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अगर आप ट्रैकिंग में दुर्लभ जीव बुग्याल और रोमांच चाहते हैं तो चले आइए Kedartal

धर्मअगर आप ट्रैकिंग में दुर्लभ जीव बुग्याल और रोमांच चाहते हैं तो...

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उत्तरकाशी- देवभूमि उत्तराखंड न केवल अपने धार्मिक स्थलों के लिए जाना जाता है बल्कि यहां के प्राकृतिक सौंदर्य और साहसी खेलों के शौकीन पर्यटक के लिए भी हमेशा आकर्षण का केंद्र रहा है. आज हम आपको उत्तराखंड की एक ऐसी ताल के बारे में बताते हैं जो न केवल अपने धार्मिक महत्व के लिए जानी जाती है अपितु ट्रैकिंग के शौकीनों की भी हमेशा पहली पसंद होती है. हम बात कर रहे हैं चार धाम यात्रा के मुख्य धाम गंगोत्री मंदिर के समीप स्थित ‘केदारताल’ की. जिसे भगवान भोलेनाथ की झील भी कहा जाता है. यह ताल दुर्गम हिल शिखरों में अपने दिव्य सौंदर्य के लिए जानी जाती है. उच्च हिमालई क्षेत्रों में झील की प्राकृतिक और अद्भुत संरचना जहां आने वाले पर्यटको को बार-बार आने पर विवश करती है.

केदार गंगा का उद्गम

उत्तराखंड के प्रसिद्ध ट्रैकिंग स्पोटस में से एक केदारताल हमेशा से दुनियाभर के ट्रैकर्स को लुभाती है. इसके अलग केदारताल की अपनी धार्मिक मान्यताएं भी हैं. कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय विश्व रक्षा के लिए भगवान शिव ने विषपान किया था. जिससे उनके गले में बहुत जलन होने लगी थी, माना जाता है कि भगवान शिव ने अपने कंठ की ज्वाला को शांत करने के लिए केदारताल का जल पिया था. उसी समय केदारताल से एक धारा निकली, जिसे केदार गंगा के रूप में जाना जाता है. केदार गंगा गंगा की उन 12 सहायक नदियों में से प्रमुख नदी मानी जाती है जो आगे चलकर भागीरथी में मिल जाती है.

दुर्गम ट्रैक का आनंदमय सफर

केदारताल हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र में समुद्र तल से करीब 4900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. गंगोत्री से महज 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह झील हमेशा से साहसिक और प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान रही है. ताल के समीप मौजूद प्रसिद्ध मृगुपंथ और थलयसागर पर्वत यहां आने वाले पर्यटकों की ट्रेकिंग में चार चांद लगा देते हैं. गंगोत्री से शुरू होने वाले ट्रैक पर आप भोजखरक और केदारखरक होते हुए केदारताल पहुंच सकते हैं. करीब 18 किलोमीटर के इस ट्रक में आपको घने जंगल, बुग्याल और कई दुर्लभ जानवरों के दीदार भी होंगे.

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