आज 14 सितम्बर 2022 को भरणी नक्षत्र होने के कारण भरणी श्राद्ध है। भरणी नक्षत्र देवता यमराज का माना गया है। इस कारण भरणी श्राद्ध का विशेष महत्व है। आश्विन पितृपक्ष में चतुथÊ अथवा पंचमी को भरणी नक्षत्र आता है। कहा जाता है लोक लोकान्तर की यात्रा जन्म, मृ्त्यु व पुनः जन्म उत्पत्ति का कारकत्व भरणी नक्षत्र के पास है। अतः भरणी नक्षत्र के दिन श्राद्ध करने से पितरों को सद्गति प्राप्त होती है। महाभरणी श्राद्ध में कहीं पर भी श्राद्ध किया जाए, फल गयाश्राद्ध के बराबर मिलता है। यह श्राद्ध सभी कर सकते हैं।
भरणी नक्षत्र में श्राद्ध करने से श्राद्धकर्ता को उत्तम आयु की प्राप्त होती है।
भरणी नक्षत्र में ब्राह्मण को काले तिल, गाय दान करने से सद्गति प्राप्ति होती है और कष्ट कम होता है। कुर्मपुराण में कहा है कि जो प्राणी जिस किसी भी विधि से एकाग्रचित होकर श्राद्ध करता है, वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है और पुनः संसार चक्र में नहीं आता। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि इस पुराण के अनुसार पितृ पूजन (श्राद्धकर्म) से संतुष्ट होकर पितर मनुष्यों के लिए आयु, पुत्र, स्वर्ग,यश, कीर्ति, पुष्टि, वैभव, बल, धन,सुख और धान्य देते हैं।