वाल्मीकि रामायण के अनुसार आपको बता दें कि जब अहिरावण भगवान राम और लक्ष्मण का अपहरण करके उन्हें पाताल पुरी ले गया तो उनकी सहायता के लिए भक्त हनुमान भी वहां दौड़े चले गए। पाताल पूरी के द्वार पर उनका सामना मकरध्वज से हुआ। मकरध्वज ने अपने परिचय में बताया कि वो राम भक्त हनुमान का पुत्र है। यह सुनते ही हनुमान जी क्रोधित हो उठे।
तब मकरध्वज उन्हें अपनी उत्पत्ति की कहानी बताते हुए कहता है, कि जब आपने रावण की लंका का दहन किया था, तब आपको तेज आग की लपटों की वजह से पसीना आया। साथ ही आपकी पूंछ में आग लगी हुई थी। आप आग को बुझाने के लिए समुद्र में कूद पड़े।
और उसी समय आपके शरीर से पसीने की एक बूंद एक मछली ने मुंह में चली गई। और वो गर्भवती हो गई। कुछ समय बाद अहिरावण के सिपाही समुद्र से उस मछली को किस ने पकड़ लिया। और जब मछली का पेट काटा गया तो मेरी उत्पत्ति हुई। मैं बड़ा हुआ और मुझे पाताल का द्वारपाल बना दिया गया।