Crude oil: कच्चे तेल की कीमतें दो महीने में 10 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ चुकी हैं। कुछ दिन पहले Crude oil 95 डॉलर तक पहुंच गया। हालांकि, अभी Crude oil 92 डॉलर प्रति बैरल है। भारत की सरकारी रिफाइनरियां उत्पादों की कीमत अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुरूप तय होती हैं।
पिछले चार माह में कच्चे तेल का दाम 30 प्रतिशत तक बढ़ गया है। इससे पेट्रोल और डीजल की महंगी कीमतों से जल्द राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। इसी के साथ घरेलू खुदरा बाजार में पिछले साल से स्थिर कीमतों के कारण सरकारी तेल कंपनियों को प्रत्येक लीटर डीजल पर पांच रुपए का नुकसान हो रहा है। हालांकि, पेट्रोल पर एक रुपए का फायदा हो रहा है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत सस्ता होने से अप्रैल-जून तिमाही में तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल पर मुनाफा कमा रही थीं। ICICI सिक्योरिटीज के अनुसार, इस दौरान कंपनियों ने डीजल पर 8.6 रुपए प्रति लीटर और पेट्रोल पर नौ रुपए का लाभ कमाया था। पेट्रोल व डीजल की कीमतें न बढ़ने से चालू वित्त वर्ष में तेल कंपनियों की कमाई घट सकती है।
इंडियन ऑयल को पहली तिमाही में 13,750 करोड़ रुपए और भारत पेट्रोलियम को 10,644 करोड़ रुपए का लाभ हुआ। मोटे मुनाफे के बाद कंपनियों ने तेल की कीमत कम नहीं की। क्रिसिल के मुताबिक, तीनों सरकारी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और एचपीसीएल मौजूदा वित्त वर्ष 2023—24 में एक लाख करोड़ रुपए के परिचालन लाभ होने का अनुमान है। यह बीते साल के 33,000 करोड़ रुपए का तीन गुना है।
95 डॉलर पहुंचा कच्चा तेल भाव
कच्चे तेल की कीमत दो महीने में 10 डॉलर प्रति बैरल बढ़ चुकी हैं। कुछ दिन पहले 95 डॉलर पर पहुंच गईं हैं। हालांकि, अभी 92 डॉलर प्रति बैरल पर हैं। सरकारी रिफाइनरियां उत्पादों की कीमत अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुरूप तय होती हैं। जिस तरह का माहौल है। उससे ऐसे में कच्चे तेल का भाव 100 डॉलर प्रति बैरल पहुंचने की संभावना है। ऐसे में पेट्रोल और डीजल के सस्ते होने की उम्मीदों को तेज झटका लग सकता है।