अंतिम चरण के मतदान से एक दिन पहले कांग्रेस पार्टी ने प्रेस वार्ता के ज़रिये प्रधानमंत्री मोदी और उनके प्रचार अभियान पर जमकर हमला बोला। पत्रकार वार्ता को जयराम रमेश, पवन खेड़ा और सुप्रिया श्रीनेत ने सम्बोधित किया। श्रीनेत ने कहा कि इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी और हमारी लीडरशिप महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की बदहाली जैसे जनता से जुड़े मुद्दों पर टिकी रही। हमारा मुद्दा था कि हाशिए पर जो लोग हैं, वे मुख्यधारा में आएं। इसलिए लोगों ने हमारी बात सुनी। असलियत ये है कि इस बार के चुनाव का नैरेटिव कांग्रेस पार्टी ने सेट किया, जिससे घबराकर मोदी जी ऊल-जुलूल बातें करने लगे।
कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे कहा कि राजनीति में सोशल मीडिया और जमीनी लहर एक दूसरे के पूरक हैं। कांग्रेस के प्लेटफॉर्म पर लोगों को अपने मतलब की बातें नजर आईं- जिसमें महंगाई, बेरोजगारी, गिनती की बातें दिखाई दे रही थीं। वहीं, BJP के पूरे सोशल मीडिया से आम जनता की आवाज पूरी तरह से गायब थी। BJP ने देश के लोगों को बेवकूफ समझने की गलती कर दी, इसलिए उन्होंने 2014 का कैम्पेन 2024 में भी चला दिया। ‘पापा ने वॉर तो रुकवा दी, लेकिन सोशल मीडिया के मीम नहीं रुकवा पाए’ हमारे पास एक डाटा है, जो दिखाता है कि लोग क्या और किसकी बात सुनना चाह रहे थे। सुप्रिया श्रीनेत बताया कि सोशल मीडिया के हर प्लेटफॉर्म पर भाजपा से कई गुना ज़यादा लोग कांग्रेस पार्टी की बातें सुनने के लिए आये हैं.
वहीँ पवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री के चुनावी अभियान पर अपनी बात रखते हुए कहा कि कि कांग्रेस ने ‘न’ से न्याय के आधार पर अपनी बात रखी और अपना प्रचार किया। वहीं, नरेंद्र मोदी और BJP ने ‘म’ से मंदिर, मंगलसूत्र, मटन, मुजरा जैसे शब्दों के आधार पर अपना प्रचार किया और इन सबके बाद अब प्रधानमंत्री ध्यान लगाने चले गए हैं। इस चुनाव में उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं था।उन्होंने कहा कि जब BJP ने ‘400 पार’ का नारा दिया, तब इनके इरादे देश के सामने आए। BJP के कई नेताओं ने कहा कि वे संविधान बदल देंगे, लेकिन कांग्रेस के नेताओं ने संविधान को बचाने की मुहिम छेड़ दी। चुनाव से ज्यादा जरूरी हमारे लिए संविधान और लोकतंत्र को बचाना है। नरेंद्र मोदी इतने परेशान हो गए कि अपने ही दोस्तों पर इल्जाम लगा दिया कि वे टेम्पो में भर-भरकर पैसे भेजते हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने जाते-जाते रविवार और शुक्रवार के बीच लड़ाई लगा दी।