अमित बिश्नोई
कोई नहीं है टक्कर में, कहाँ पड़े हो चक्कर में. वैसे आमतौर पर ये नारा राजनीतिक सभाओं और रैलियों में सुनाई देता है लेकिन आजकल विश्व कप 2023 में ये नारा रोहित सेना पर बिलकुल सटीक बैठ रहा है. जिस तरह के प्रचंड फॉर्म में इस समय टीम इंडिया है और जिस तरह का प्रदर्शन कर रही है, वाकई ऐसा लगता है कि इस समय उसे हराने का दम किसी भी टीम के पास नहीं है. धर्मशाला में मैच से पहले बड़ी चर्चा चल रही थी कि न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ आईसीसी मुकाबलों में भारत को न जाने क्या हो जाता है, क्यों वो न्यूज़ीलैण्ड नाम की दीवार को नहीं गिरा पाता है, तो लीजिये वो दीवार भी गिर गयी और 20 साल से हार का जो सिलसिला चल रहा था वो ख़त्म हुआ, पंजे का ऐसा पंच लगा कि दीवार धराशायी हो गयी।
मैच से पहले चर्चा चल रही थी कि न्यूज़ीलैण्ड भारत के खिलाफ जीत का छक्का लगाएगी या फिर टीम इंडिया अपनी अजेय यात्रा को आगे जारी रखते हुए जीत का पंच मारेगी, छक्का तो नहीं लगा न्यूज़ीलैण्ड को पंजे का पंच ज़रूर लग गया. पंजे पर पंजा। पहले शामी ने पंजे का पंच मारा फिर कोहली ने अपनी विराट पारी से जीत का पंच मारा। टीम इंडिया का सेमिफाइनल में पहुंचना तो अब लगभग पक्का हो चुका है, देखने वाली बात बस यही है कि अंतिम चार में वो अजेय रूप में पहुँचती है या उसपर औसत का नियम लागू होगा, फिलहाल तो यही लगता है कि 9 मुसलसल जीतों के साथ उसका सेमीफाइनल में पदार्पण होगा। अच्छा भी है, जीत का सिलसिला चलता रहे इससे अच्छी बात और कोई हो नहीं सकती।
विराट कोहली! बस नाम ही काफी है. ये बल्लेबाज़ टीम इंडिया के लिए एक सिक्योरिटी कवर की तरह है, एकदम लाइफ इन्शुरन्स पालिसी की तरह. टीम कितने भी संकट में हो, लक्ष्य कितना भी मुश्किल और बड़ा हो, विराट है तो मुमकिन है. कोई टेंशन नहीं, मैं हूँ न फिर चिंता किस बात की. एक और ग्रेट इनिंग, शतक पूरा न हो पाने का अफ़सोस ज़रूर रहा, लेकिन कोई बात नहीं, अभी काफी मैच पड़े हैं, सचिन के ODI शतकों का रिकॉर्ड इसी विश्व कप में टूटेगा। विराट जबतक क्रीज़ पर हैं कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं, ये बात विरोधी टीमें भी अच्छी तरह जानती हैं. लक्ष्य को पाने की ज़िद कोहली को और भी विराट बना देती है, विराट को मालूम रहता है उसे कैसे हासिल करना है, उन्हें अपने विकेट की अहमियत भी मालूम है जो उन्हें चेज़ मास्टर बनाती है. विराट की इस विशेषता को देखते हुए तो विरोधी टीम को टॉस जीतकर कभी पहले बल्लेबाज़ी का फैसला करना ही नहीं चाहिए, उन्हें विराट के रहते भारत को जीत का लक्ष्य देना ही नहीं चाहिए, क्योंकि विराट के रहते भारत के लिए हर लक्ष्य आसान रहता है, कैसी भी पिच हो, कैसी भी कंडीशन हो, सामने जब लक्ष्य हो तो विराट और खूंखार बन जाते हैं.
रोहित शर्मा। इस विश्व कप में वो वास्तव में हिटमैन के रूप में नज़र आ रहे हैं, जो विस्फोटक शुरुआत वो दे रहे हैं वो बाद में आने वाले बल्लेबाज़ों के काम को बहुत आसान बना रही है, शायद यही वजह है जो टीम इंडिया को इस विश्व कप में कुछ विशेष बना रही है. कल के मैच में उनकी विस्फोटक पारी का ही नतीजा था कि लक्ष्य कभी भारत के हाथ से फिसलता नहीं दिखा। आंकड़ों के हिसाब से मैच भले ही 48 ओवर तक गया मगर जीत काफी पहले नज़र आने लगी थी और ये रोहित की विस्फोटक पारी की वजह से था, मैच शायद दो ओवर पहले ही ख़त्म हो जाता, ये तो कोहली के बैक टू बैक शतक की बात थी, हालांकि शतक पूरा न हो सका और कोहली 95 के स्कोर पर छक्का मारने की कोशिश में आउट हो गए.
मोहम्मद शामी। टीम इंडिया का ये तेज़ गेंदबाज़ अब तक बेंच पर क्यों बैठा था, अब समझ में आया. कप्तान रोहित ने उसे अपने सबसे अहम मैच के लिए छुपा रखा था, रोहित को लोगों का मुंह जो बंद करना था, बड़ी हाय तौबा मचाये हुए थे लोग. शामी भी कप्तान की उम्मीदों पर खरे उतरे और एकबार अपनी क्लास को साबित किया, वापसी पर पंजे का पंच लगाकर, जिसने न्यूज़ीलैण्ड को उभरने का कोई मौका नहीं दिया। एक समय ऐसा लग रहा था कि कीवी टीम 300+ भी जा सकती है मगर बुमराह और सिराज के साथ शामी ने उन्हें 273 पर ही सीमित कर दिया। कहना होगा कि भारतीय गेंदबाज़ों ने एकतरह से बल्लेबाज़ों का काम आसान कर दिया और उन्हें एक मुश्किल लक्ष्य की जगह एक पहुँच वाला लक्ष्य दिया।
बात थोड़ी न्यूज़ीलैण्ड की भी. भारत ने मुकाबला भले ही आसानी से जीता मगर मैच से ये तो लगा ही कि टीम इंडिया को टक्कर देने का अगर कोई टीम माद्दा रखती है तो वो यही टीम है , कम से कम मैच को 48 ओवर तक तो ले गए वर्ना अबतक मैच 15 -20 ओवर पहले ही ख़त्म हो रहे थे. डेविन कान्वे और रचिन रविंद्र जबतक क्रीज़ पर थे, न्यूज़ीलैण्ड सही रास्ते पर जाती हुई दिख रही थी मगर शामी ने रचिन को आउट कर कहानी पलट दी, हालाँकि कान्वे अंत तक कोशिश करते रहे, उन्होंने इस विश्व कप में अपना दूसरा शतक भी बनाया मगर शामी ने न्यूज़ीलैण्ड की उम्मीदों पर पानी फेर दिया, फिर भी थोड़ी ही सही, टीम इंडिया को न्यूज़ीलैण्ड ने टक्कर तो दी. भारत के अब चार मैच बचे हैं, उसे इंग्लैंड, साउथ अफ्रीका, श्रीलंका और नीदरलैंड से खेलना है, उसके मुश्किल मैच निकल चुके हैं, ऐसे में बचे हुए इन चारों मैचों में उसे कोई मुश्किल नहीं आनी चाहिए। जीत की आदत बनी रहे यही हर भारतीय की दुआ है।