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China ने बनाया hypersonic स्पेस वेपन, चिंता में USA, EU and India

इंटरनेशनलChina ने बनाया hypersonic स्पेस वेपन, चिंता में USA, EU and India

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Hhypersonic Space Weapon: China ने खतरनाक हथियार बनाया है। atom bomb का बाप हाइपरसोनिक स्पेस वेपन है। चीन के इस हथियार से चिंता में USA, EU and India आ गए हैं। दुनिया में सबसे खतरनाक हथियार परमाणु बम को माना है। लेकिन अब इससे अधिक खतरनाक हथियार चीन बना रहे हैं। इस खतरनाक हथियार का नाम रोड्स प्राम गॉड है। परमाणु हथियार से घातक ये एक हाइपरसोनिक स्पेस वेपन है।

रोड्स फ्रॉम गॉड की पहली बार परिकल्पना शीतयुद्ध के वक्त की गई

रोड्स फ्रॉम गॉड की पहली बार परिकल्पना शीतयुद्ध के वक्त की गई थी। लेकिन एक बार फिर से इसकी चर्चा हो रही है। चीन ने घातक हाइपरसोनिक हथियारों से लैस दुनिया का पहला स्पेस कमांड’ बना ​लिया है। नई सेना अब चार मौजूदा शाखाओं-थल सेना, नौसेना, वायु सेना, रॉकेट फोर्स के अलावा पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की पांचवीं ताकत के रूप में कार्य करेगी। हालांकि अभी ये स्पष्ट नहीं था कि अंतरिक्ष कमान औपचारिक रूप से कब स्थापित की गई थी। माना जाता है कि यह अभी डेवलपिंग फेज में है।

अंतरिक्ष बनेगा युद्ध का दूसरा मैदान

चीनी शोधकर्ताओं का कहना ​​है कि अंतरिक्ष कमांड उस धारणा के अनुरूप है कि अंतरिक्ष अगला युद्धक्षेत्र है। जहां चीन अपने प्रतिस्पर्धियों पर स्पष्ट बढ़त हासिल रखने की कोशिश में आगे बढ़ रहा है। चीन विशेषज्ञों की पूरी टीम द्वारा अक्टूबर में 11वीं चीन कमान और नियंत्रण सम्मेलन में पेपर प्रस्तुत किया था। जिसमें कहा गया कि निकट-अंतरिक्ष एक हॉट वारफेयर वाला क्षेत्र बनता जा रहा है जो भविष्य की लड़ाइयों के नतीजे निर्धारित करेगा। दुश्मनों की महत्वपूर्ण सैन्य संपत्तियों को निशाना बनाने के लिए चीन की निकट-अंतरिक्ष कमान आधुनिक हाइपरसोनिक मिसाइलों से लैस की गई हैं। इसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर हमले करने के साथ ही स्वचालित ड्रोन और जासूसी गुब्बारों के माध्यम से दुनिया भर में उच्च ऊंचाई पर निगरानी करने का काम सौंपा जाएगा।

अंतरिक्ष कमांड एक दोधारी तलवार

चीनी शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि सुपर-एडवांस्ड निकट-अंतरिक्ष कमांड एक दोधारी तलवार है। ये चीन को पृथ्वी पर किसी लक्ष्य को अजेय गति से मारने की क्षमता देता है वहीं दूसरी तरफ इसके साथ ये अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण राजनयिक चुनौतियां पेश करेगा। यह सही है कि चीन एक समर्पित अंतरिक्ष कमान रखने में विश्व में सबसे आगे है। अमेरिका, यूरोपीय संघ, भारत और यहां तक ​​कि रूस जैसे देश चीन के इस अभियान से चिंता में आ गए हैं। इससे विश्व के प्रमुख देशों के कान खड़े हो गए है। रिपोर्ट के अनुसार, अंतरिक्ष कमान बड़ी संख्या में जासूसी गुब्बारे, सौर ऊर्जा से चलने वाले ड्रोन और अन्य सहायक उपकरण से लैस होंगे।

निर्णय लेने की शक्ति को ऊपर की ओर स्थानांतरित करना जरूरी

स्पेस ओरिएंटेड ऑपरेशन से अलग, जासूसी गुब्बारों को अन्य देशों के क्षेत्रों या संवेदनशील क्षेत्रों पर विशेष अभियान चलाना पड़ सकता है। इससे बड़ी सैन्य या राजनीतिक प्रतिक्रिया होती है। जैसा कि इस साल की चीनी जासूसी गुब्बारा की घटना का सुर्खियों में रहना पाया गया। फरवरी में अलास्का से पूर्वी तट तक महाद्वीपीय अमेरिका को पार करने वाला चीनी गुब्बारा दुनिया की दो महाशक्तियों के बीच संबंधों को और खतरे में डाल रहा है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इससे निर्णय लेने की शक्ति को ऊपर की ओर स्थानांतरित करना जरूरी हो गया। अंतरिक्ष कमान सीधे सेना के बड़े स्तर को रिपोर्ट करती है। राजनीतिक और कूटनीतिक उपद्रव से बचने के लिए सर्वोच्च सैन्य कमान उपयोग के पैमाने, गतिविधि क्षेत्रों और उपयोग की विधि को मंजूरी दे सकती है।

ऐसे काम करेगी चीन की स्पेस कमांड?

चीन की अंतरिक्ष कमान का उद्देश्य युद्ध की स्थिति में चीन को जीत दिलाने में मदद करना है। ऐसे में प्रश्न है कि यह ऐसा कैसे करेगा? तो अंतरिक्ष कमान सबसे पहले दुश्मन के रॉकेट प्रक्षेपण स्थलों को निशाना बनाएगी। जिससे चीन नागरिक या सैन्य उपग्रह नेटवर्क पर उपग्रह-रोधी मिसाइलें दागने की उनकी क्षमता बाधित होगी। ये हमले सटीक, जबरदस्त और निर्दयी होगे। शोधकर्ताओं के अनुसार, संघर्ष के शुरुआती चरणों में कई पार्ट में होगी। जिसमें बुनियादी ढांचे के नुकसान से दुश्मन की युद्ध मशीन टूट जाएगी। इसके बाद दुश्मन की लड़ने की क्षमता और इच्छा पर गंभीर असर पड़ेगा। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इससे लड़ाई की गति बदलेगी। युद्ध कैसे समाप्त होगा, इस पर प्रभाव पड़ सकता है।

हाइपरसोनिक हथियार निभाएंगे मुख्य भूमिका

अंतरिक्ष कमान ‘निकट-अंतरिक्ष’ क्षेत्र में काम करेगी। जो लगभग 20 किमी (12 मील) की ऊंचाई से शुरू होती है। यह पृथ्वी से 100 किमी दूर अंतरिक्ष की निचली सीमा तक पहुंचती है। जहां हवा विमानों के लिए बहुत पतली है। इस जगह पर इसीलिए सैन्य विमान जाने से बचते हैं। लेकिन हाइपरसोनिक हथियार इस जगह ध्वनि की गति से पांच गुना से अधिक गति से काम कर सकते हैं और अपने अप्रत्याशित युद्धाभ्यास से वायु रक्षा प्रणालियों को धोखा दे सकते हैं। युद्ध के दौरान, निकट-अंतरिक्ष कमान पीएलए की अन्य शाखाओं के पास मौजूद हाइपरसोनिक हथियारों का पूर्ण नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगी।

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