मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना के शुभारंभ के सात साल बाद, भारत द्वारा जापान से बुलेट ट्रेन आयात करने की संभावना नहीं है। इसके बजाय, नई दिल्ली ने मेक-इन-इंडिया दृष्टिकोण को चुना है, सितंबर में अनुबंध BEML लिमिटेड-मेधा सर्वो ड्राइव्स संयुक्त उद्यम को दिया गया है जो वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण करता है।
एक अधिकारी के मुताबिक बुलेट ट्रेनों के आयात के लिए जापानी सरकार के साथ बातचीत अभी भी चल रही है। हालांकि, पिछले छह महीनों में बातचीत काफी धीमी हो गई है।” दोनों ही सरकारें अभी भी बुलेट ट्रेनों यानि Shinkansen ट्रेनों के लिए कीमत और टेस्ट रन आयोजित करने के लिए एक निश्चित टाइम पीरियड के बारे में आम सहमति पर नहीं पहुंच पाई हैं। हालांकि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सरकारी अधिकारियों के साथ लंबित मुद्दों को हल करने के लिए सितंबर में जापान का दौरा किया, लेकिन बातचीत अनिर्णायक रही।
एक अन्य अधिकारी के मुताबिक भारत में शिंकानसेन ट्रेनों का आयात महंगा सौदा है। इसके अलावा, इनका आजीवन रखरखाव जापानी कंपनियों को करना होगा। रखरखाव से परियोजना की कुल लागत में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।” इन बाधाओं के बावजूद, जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JICA) अभी भी परियोजना के लिए 59,396 करोड़ रुपये का वित्तपोषण करने के लिए प्रतिबद्ध है, जबकि महत्वाकांक्षी संयुक्त उद्यम (JV) के पूरा होने में और देरी न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए ऋण की रूपरेखा पर फिर से बातचीत की जा रही है।