रूस और ऑस्ट्रिया की यात्रा से लौटने के तुरंत बाद पीएम मोदी ने करीब 20 अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों से बात की। कहा जा रहा है कि यह बजट आगामी आम बजट को लेकर था। इस बैठक से जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक 23 जुलाई को पेश होने वाले बजट में सरकार नौकरियों, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और मैन्युफैक्चरिंग पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकती है और इन्हें लेकर कुछ खास घोषणाएं की जा सकती हैं।
इस बैठक में पीएम मोदी ने केंद्र-राज्य संबंधों की जटिलताओं के बारे में भी बात की। केंद्र द्वारा कई कार्यक्रमों या योजनाओं को वित्तपोषित करने और राज्यों द्वारा उन्हें जमीनी स्तर पर लागू करने की पूरी जिम्मेदारी नहीं लेने के बारे में भी चर्चा हुई। खबरों के मुताबिक अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के साथ पीएम मोदी की बैठक का मुख्य एजेंडा वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य था, साथ ही रोजगार सृजन में तेजी लाने की जरूरत थी। बैठक में मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरिंग, कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में उस लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए उठाए जा सकने वाले उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया। स्थिर मजदूरी प्रवृत्तियों और धीमी खपत मांग के लिए पहले से ही बारीकी से देखी जा रही ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर विस्तार से चर्चा की गई।
अर्थशास्त्रियों ने कृषि विकास, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की कमी और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मुद्रा योजना के तहत दिए गए छोटे ऋणों के बावजूद धीमी ऋण वृद्धि के बारे में चिंता जताई। रिपोर्ट के अनुसार, बैठक में विनिर्माण क्षेत्र पर भी विस्तार से चर्चा की गई। विचार यह था कि भारत को बहुत सारी चीजों का विनिर्माण करना चाहिए और विनिर्माण कैसे न केवल आर्थिक विकास की उच्च दर हासिल करने में बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में शामिल होने के रणनीतिक लक्ष्य को प्राप्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। बैठक में कपड़ा क्षेत्र के बारे में चिंताएँ भी उठीं, जिसमें भारत कभी दुनिया में अग्रणी था। अर्थशास्त्रियों और प्रधानमंत्री के बीच चर्चा में कराधान दरों पर भी चर्चा हुई।