Rajasthan Assembly Election Result 2023: राजस्थान में कमल खिल रहा है। वहीं प्रचंड बहुमत की ओर बढ़ती भाजपा नेताओं की धड़कनें तेज हैं। सबसे अधिक चर्चा सीएम चेहरे को लेकर है। सवाल है कि क्या भाजपा तीसरी बार वसुंधरा को सीएम बनाएगी या किसी नए दावेदार पर भरोसा करेगी? वसुंधरा राजे सहित कई चेहरे सीएम पद के दावेदार हैं।
राजस्थान में भाजपा प्रचंड जीत की ओर है। रुझानों में दिख रही बढ़त ने साफ कर दिया कि राजस्थान में रिवाज कायम रहेगा। अब बड़ा सवाल है कि आखिर भाजपा सीएम किसे बनाएगी। वसुसंधरा राजे प्रदेश की तीसरी बार सीएम बनेंगी या किसी और को भाजपा कमान सौंपेगी। दरअसल राजस्थान में सीएम पद के वसुंधरा राजे सहित कई दावेदार हैं। भाजपा की बात की जाए तो आलाकमान की ओर से किसी के नाम पर मुहर नहीं लगी है।
भाजपा आलकमान और राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बीच लंबे समय से खटपट है। ये नाराजगी उस समय और बढ़ी जब भाजपा ने राजस्थान चुनाव में सीएम फेस के बिना उतरना तय किया। यह फैसला वसुंधरा राजे को पसंद नहीं आया। उनके समर्थकों ने तो खुलकर नाराजगी जताई और राजे को सीएम फेस घोषित करने की मांग की थी। हालांकि भाजपा ने चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ा था। इसके बाद ये तय मान लिया था कि भाजपा पूर्व सीएम राजे को तीसरी बार सीएम बनाने के मूड में नहीं। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राजे सीएम बनेंगी या नहीं ये भाजपा की जीत के अंतिम आंकड़े तय करेगा। दरअसल राजे को सीएम फेस घोषित न किया जाना भाजपा की रणनीति रही है।
क्या राजे फिर बनेंगी सीएम?
भाजपा लंबे समय से राजस्थान में वसुंधरा का विकल्प तलाश रही है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, दीया कुमारी और राज्यवर्धन सिंह राठौर और बालक नाथ सहित कई चेहरे सीएम पद के दावेदार हैं। हालांकि वसुंधरा को दरकिनार करना भाजपा के लिए इतना आसान नहीं है। क्योंकि वसुंधरा राजे राजस्थान की बड़ी नेता और उनके पास विधायकों का अच्छा खासा समर्थन भी है। खुद सात बार विधायक रहे देवीसिंह भाटी ने हाल में बयान दिया था कि राजस्थान राजे के मुकाबले कोई चेहरा ऐसा नहीं जो भाजपा को सत्ता में ला सके। उन्होंने ऐलान किया था कि यदि वसुंधरा को चेहरा नहीं बनाया तो उनके समर्थक किसी अन्य विकल्प पर विचार करेंगे।
लंबे समय में किनारे वसुंधरा राजे
राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे की एक अलग धमक है। वसुंधरा बीते पांच साल वह सक्रिय तौर पर नजर नहीं आईं। खास तौर से 2020 में ऑपरेशन लोटस की असफलता का ठीकरा राजे के सिर फोड़ा गया। जब एक तरह से ये मान लिया था कि राजस्थान से गहलोत सरकार जा सकती है। इसके अलावा सचिन पायलट ने अपनी सरकार पर वसुंधरा राजे के खिलाफ कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए पद यात्रा निकाली थी। इसके बाद वसुंधरा राजे पार्टी के चुनाव अभियान से एक किनारा किए नजर आईं थीं। न तो गहलोत सरकार के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों में दिखीं और न भाजपा की बैठकों में। इसके बाद से कयास लगाए जाने लगे थे कि राजे और भाजपा आलकमान के बीच सब कुछ ठीक नहीं।
…लेकिन पलटते दिखी बाजी
राजस्थान की चुनावी तैयारियों में वसुंधरा राजे की भूमिका नहीं दिखी। लेकिन चुनाव नजदीक आते-आते उनकी धमक जरूर दिखाई देने लगी। पीएम मोदी का राजस्थान दौरा हो या फिर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का. वसुंधरा राजे को मंच पर पूरे सम्मान के साथ बैठाना रहा हो। लेकिन भाजपा ने उन्हें सीएम फेस नहीं बनाया। हालांकि माना जा रहा है कि भाजपा ने पूरी तरह से राजे को सीएम बनाने से इन्कार नहीं किया है। इसका कारण है कि पार्टी राजे की ताकत की पूरी तरह से दरकिनार नहीं कर सकती है।
राजस्थान में आखिर राजे ही क्यों?
भाजपा की सबसे मजबूर चेहरा वसुंधरा राजे हैं। प्रदेश में सीएम पद के दूसरे दावेदार गजेंद्र सिंह शेखावत के मुकाबले राजे का अनुभव अधिक है। इसके अलावा शेखावत के मुकाबले राजे का कद बड़ा है। राजस्थान में अच्छा खासा जनाधार और विधायकों का समर्थन उनके पास है। राजस्थान में वसुंधरा राजे दो बार सीएम की कमान संभाल चुकी हैं। इसके अलावा अटल सरकार में मंत्री रही हैं और वर्तमान में पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। हालांकि उनके पक्ष में सबसे नकारात्मक चीज उनकी आलाकमान से खटपट और उम्र है। दरअसल राजे 70 साल की हो चुकी हैं। ऐसे में भाजपा उनका विकल्प तलाश रही है। हाल में झालावाड़ की जनसभा में उन्होंने अपने बेटे सांसद दुष्यंत के संबोधन के बाद कहा था कि बेटा राजनीति में परिपक्व हो रहा है। अब वो रिटायरमेंट के बारे में सोच सकती हैं। हालांकि अगले दिन नामांकन के समय उन्होंने ये भी कहा कि रिटायरमेंट का उनका कोई इरादा नहीं है।
ये नाम भी हैं राजस्थान में सीएम पद के दावेदार
भाजपा राजस्थान में राजे को सीएम नहीं बनाती तो संभावित नामों में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व राजकुमारी और राजसमंद सांसद दीयाकुमारी के अलावा अलवर सांसद महंत बालकनाथ, राजेंद्र राठौर और सतीश पूनिया के नाम ऊपर हैं। खासतौर से गजेंद्र सिंह शेखावत ने कांग्रेस विधायकों को तोड़कर भाजपा में शामिल करने में अहम भूमिका निभाई थी। इसके अलावा प्रदेश की राजनीति में खूब सक्रिय रहे थे। इसके बाद नंबर आता है दीयाकुमारी का। जयपुर के आखिरी महाराजा और आजाद भारत के राजस्थान के राज प्रमुख मान सिंह द्वितीय की पोती दीया कुमारी को राजनीति में वसुंधरा राजे लेकर आईं थीं। लेकिन अब दीया कुमारी ही वसुंधरा के रास्ते का कांटा बनती दिखाई दे रही हैं। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में तीसरा नाम अलवर सांसद बालकनाथ का है। प्रदेश की राजनीति में सबसे तेज आगे बढ़ने वालों में वह प्रमुख हैं।