सुनील शर्मा
दुनियाभर के लोग कोरोना वैक्सीन आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। मगर अपने युवा, ओजस्वी नेता ने वैक्सीन लगवाने से साफ इंकार कर दिया। पत्रकारों के सामने कह बैठे कि वैक्सीन कमल वाली पार्टी की है। वह तो चुनाव जीत कर साईकिल वैक्सीन बनवायेंगे, खुद भी लगवायेंगे और जनता को भी फ्री में बांटेगे। अब चुनाव आने तक जनता रूकेगी कैसे और टूटती सांसों की डोर थमेगी कैसे। इन्हीं सवालों का जवाब पाने के लिये शर्माजी पहुंच गये नेताजी के पास। अपने पार्टी कार्यालय में नेताजी बैठे थे और अपने बयान पर कार्यकर्ताओं की तारीफ बटोर रहे थे। खैर शर्माजी ने अपनी कॉपी-पेन संभाला और बैठ गये नेताजी का इंटरव्यू करने के लिये। नेताजी, आपने जो कोरोना वैक्सीन न लगवाने का निर्णय लिया है उसके पीछे क्या कारण है। शर्माजी का सवाल सुनकर नेताजी मुस्कुराए और बोले, राजनीति है भाई और क्या। अरे जब सारी दुनिया टकटकी बांध कर कोरोना वैक्सीन के आने का इंतजार कर रही हो तो हम क्या दुनिया से अलग है। लेकिन हम नेता हैं, लेते सबकुछ हैं मगर जाहिर नहीं होने देते। सो देख लेंगे किसी दिन इधर-उधर जाकर, लगवा लेंगे चुपके से।
नेताजी का ऐसा जवाब सुनकर हतप्रभ रह गये शर्माजी ने किसी तरह खुद पर काबू पाया और बोले, मगर नेताजी, आपने तो मना किया है न कमल वाली वैक्सीन लगवाने से। फिर आपके दावे का क्या होगा। शर्माजी का यह कहना था कि नेताजी खिलखिला कर हंस पड़े और बोले, यार शर्माजी, आप भी बड़े भोले हो। वो सुना नहीं अश्वथामा मारा गया मगर हाथी। हमारी कमल वाली वैक्सीन न लगवाने की बात तो दुनिया ने सुन ली मगर ये न सोचा कि पूरी दुनिया में वैक्सीन क्या सिर्फ कमल वालों की ही है। अरे हमारा तो एक भाई पहले से ही छुट्टी लेकर विदेश घुमने गया है। वो खाली घुमने के लिये विदेश न गया, वो भाई तो वैक्सीन का पूरा कोर्स करके ही देश में कदम रखेगा। उसके बाद वो भी कहेगा, हमें नहीं चाहिये कमल वाली वैक्सीन। हम तो अपने हाथ वाली ही लगवायेंगे। और यदि आपने चुनाव पार्टियों का गठबंधन बनाकर जीता तब भी क्या आपकी साईकिल वाली वैक्सीन ही लगायी जायेगी। शर्माजी के इस सवाल ने नेताजी को थोड़ा असमंजस में डाला। मगर जल्द ही खुद पर काबू पाकर बोले, इस बात का भी समाधान हमने सोच रखा है। अगर गठबंधन ने चुनाव जीता तो सब पार्टियों को अपनी-अपनी वैक्सीन बनाने को कहा जायेगा। साईकिल वैक्सीन, पंजा वैक्सीन, हाथी वैक्सीन और गठबंधन की सारी वैक्सीन को मिलाकर एक महावैक्सीन बनायी जायेगी। उस वैक्सीन पर सबके झंडे के निशान होंगे। यह जादुई वैक्सीन होगी जो कोरोना को ऐसे गायब कर देगी जैसे चुनाव के बाद क्षेत्र की समस्याओं को देख नेता गायब हो जाते हैं।
कशमकश में पडे़ शर्माजी पूछ बैठे, नेताजी आपकी बात पर भरोसा कर अगर कार्यकर्ताओं या वोटरों ने वैक्सीन न लगवाई तो कोरोना खत्म कैसे होगा और लोग जिंदा कैसे रहेंगे। अब नेताजी कुछ गुस्से में आ गये और बोले, अरे यार कैसी बात करते हो। अगर वोटरों को हम पर भरोसा ही होता तो आज हम यहां पाटी कार्यालय मे बैठे होते। और कार्यकर्ताओं की तो बात ही न करो। वो तो कमल का फूल चारों ओर से बंद है वरना बडे़ नाम भी वहां के दरवाजे खटखटा कर आ चुके हैं। हमें भी पता है कि वैक्सीन आ जायेगी न तो कोई रूकने वाला नहीं है। सब लग जायेंगे लाइनों में वैक्सीन लगवाने को। तब किसी को न आयेगी हमारी याद। इसलिये ही तो हमने चुनाव तक का टाईम मांगा है। तब तक तो सब लोग वैक्सीन लगवा ही चुके होंगे। भाई शर्माजी, यह वैक्सीन है, कोई बच्चों के रूठने की चीज नहीं। न लगवाई तो अगला नंबर कब आयेगा, आयेगा भी की नहीं इस बात का किसी को पता नहीं।
लेकिन नेताजी आपने तो कहा था, शर्माजी इतना ही कह पाये थे कि नेताजी तमतमाते हुए उठ खड़े हुए और बोले, अरे यार कह दिया तो क्या वैक्सीन लगने न दोगे। अरे बात चल रही थी, विरोध करना हमारी आदत बन गया है तो बिना सोचे कर डाला विरोध। ये तो बाद में ध्यान आया कि बात वैक्सीन की चल रही है। सो कैसे-कैसे करके आने वाले चुनाव तक मामला टाला है आपको क्या बताएं। और आप हैं कि हमारा नंबर ही वैक्सीन लिस्ट से कटवाने को राजी हैं। अरे अगर बिना वैक्सीन लगवाये जनता के बीच गये तो जनता ही हमसे दूर भाग खड़ी होगी। तो शर्माजी, राजनीति में जो कह दिया जाये उसे हर बार सच मानकर न बैठ जाया करो। कभी-कभार अपना दिमाग भी लगाया करो।
नेताजी के जवाब सुनकर शर्माजी के सारे भ्रम दूर हो गये। वह समझ गये कि जोश में आकर बहके नेताजी को हकीकत का अहसास हो चुका है। इसलिये उन्होंने नेताजी के जख्मों को और कुरेदना ठीक नहीं समझा और कॉपी-पेन संभाल कर उठ खडे़ हुए। सवालों का जवाब तो मिला लेकिन मन की शंकाएं बढ़ गयीं। वह समझ नहीं पा रहे थे कि कोरोना तो एक दिन चला जायेगा लेकिन समाज में फैली नफरत का खात्मा कैसे होगा। क्या आपके पास है शर्माजी के सवालों का जवाब ….