तौकीर सिद्दीकी
देश में ये चुनावी महीने चल रहे हैं, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और मिजोरम विधानसभा के चुनाव संपन्न हो चुके हैं, राजस्थान और तेलंगाना में चुनाव प्रचार चरम पर है जहाँ क्रमशः 25 और 30 नवम्बर को मतदान होना है, राजस्थान में लड़ाई जहाँ देश की मुख्य राजनीतिक पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के बीच है वहीँ तेलंगाना में सत्ताधारी BRS की वजह से त्रिकोणीय जंग है हालाँकि कहा जा रहा है कि यहाँ पर सीधी लड़ाई BRS और कांग्रेस के बीच ही है, भाजपा इस लड़ाई में काफी पीछे छूट चुकी है हालाँकि प्रधानमंत्री मोदी अपने नाम पर वोट मांग कर लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास कर रहे हैं. तेलंगाना राज्य बनने के बाद पहली बार यहाँ कांग्रेस का उभार हुआ है और वो मुख्यमंत्री KCR की पार्टी को ज़ोरदार टक्कर देती हुई नज़र आ रही है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गाँधी और राहुल गाँधी के दौरे पर दौरे हो रहे हैं, चुनावी प्रचार से दूर रहने वाली सोनियां गाँधी भी यहाँ पर सक्रीय नज़र आयी हैं. इन सबके बीच कांग्रेस नेता राहुल गाँधी के चुनावी भाषण चर्चा में बने हुए हैं, वो मुख्यमंत्री KCR के साथ लगातार प्रधानमंत्री मोदी और अडानी को साथ में रखकर हमले कर रहे हैं लेकिन इन हमलों में कभी कभी वो भाषा और पद की मर्यादा भी खोते हुए नज़र आ रहे हैं और उनका ये लहजा लोगों को अच्छा नहीं लग रहा है।
अपने भाषणों में वो प्रधानमंत्री मोदी को लेकर कई बार इतना आवेश और आवेग में आ जाते हैं जिसमें कहीं न कहीं वो प्रधानमंत्री पद का अपमान करते हुए नज़र आते हैं. ये सभी जानते हैं कि उनके हमलों का केंद्र हमेशा प्रधानमंत्री मोदी ही रहते हैं, वो उनपर वार करने से कभी नहीं चूकते लेकिन इस कोशिश में वो कई बार प्रधानमंत्री मोदी को लेकर तू तड़ाक वाली भाषा पर उतर आते हैं जो शायद कांग्रेसियों को भी अच्छी नहीं लगती और मंच बैठे कांग्रेस के नेताओं के चेहरों से भी ये बात साफ़ झलकती है. राहुल जब प्रधानमंत्री मोदी के आगे से प्रधानमंत्री निकालकर सिर्फ मोदी का सम्बोधन करते हैं तो उनका घमंड साफ़ झलकने लगता है। राहुल जब अपने चुनावी भाषणों में कहते हैं मोदी सिर्फ अडानी के लिए काम करता है, मोदी किसानों की परवाह नहीं करता, मोदी नौजवानों के भविष्य से खेलता है, मोदी गरीबों-मज़दूरों से पैसा छीनकर अडानी को सौंपता है, मोदी कभी जाति जनगणना नहीं करा सकता। इन सारे सम्बोधनों में वो कहीं न कहीं प्रधानमंत्री पद की गरिमा पर भी हमला करते हुए नज़र आते हैं।
मोदी जी बेशक भाजपा के सर्वमान्य और सर्वाधिकार नेता हैं और विरोधी दल के किसी भी नेता को दूसरे दल के नेताओं पर राजनीतिक हमले करने का अधिकार है लेकिन भूलना नहीं चाहिए कि मोदी जी सिर्फ सत्ताधारी दल के राजनेता ही नहीं देश के प्रधानमंत्री भी हैं, बेशक आपके उनसे कितने भी मतभेद हों, आप उन्हें कितना ही नापसंद करते हों लेकिन अपने सम्बोधन में उनको लेकर इस तरह की भाषा का इस्तेमाल आप नहीं कर सकते, वैसे भी किसी भी राजनेता को किसी भी राजनेता के खिलाफ इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और मोदी जी तो देश के प्रधानमंत्री हैं. आप ये नहीं कह सकते कि हम एक पार्टी के नेता के खिलाफ बात कर रहे हैं, सच तो ये हैं आप प्रधानमंत्री के खिलाफ ही बात करते हैं क्योंकि जब आप किसानों की बात करते हैं, जातिगत जनगणना की बात करते हैं , अडानी को फायदा पहुंचाने की बात करते हैं तो आप एक प्रधानमंत्री को ही सम्बोधित कर रहे होते हैं किसी राजनेता को नहीं। आप मोदी जी को पसंद करें या न करें प्रधानमंत्री को पसंद करें या न करें, सम्मान करें या न करें मगर अपमान करने का आपको हक़ नहीं हैं भले ही वो राजनीति की भाषा में ही क्यों न हो.
हालाँकि ऐसा भी नहीं कि राहुल गाँधी अपने हर चुनावी भाषण में प्रधानमंत्री मोदी को लेकर इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हैं, ज़्यादातर वो मोदी जी ही कहते हैं लेकिन जब वो आवेशित होते हैं तो प्रधानमंत्री मोदी को लेकर उनकी भाषा बदल जाती है. एक तरफ तो आप नफरत के बाज़ार में मोहब्बत की दूकान खोलने की बात करते हैं दूसरी तरफ देश के प्रधानमंत्री के प्रति आपकी भाषा अमर्यादित हो जाती है तो ये किस तरह की मोहब्बत की दूकान है जो अपने पीएम के खिलाफ संयमित और मर्यादित भाषा के इस्तेमाल से रोकती है, तो क्या आप ड्यूल पर्सनालिटी के शिकार हैं जो अक्सर बाहर आ जाती है या फिर आप जानबूझकर इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करके प्रधानमंत्री का अपमान करने की कोशिश करते हैं. आपकी बहन प्रियंका गाँधी भी मोदी जी पर खूब हमले करती हैं, कटाक्ष करती हैं लेकिन उन्हें कभी ये कहते हुआ नहीं सुना गया कि मोदी ये करता है, वो करता है, ये नहीं कर सकता वो नहीं कर सकता।
तो राहुल जी, आप अपने विरोधी पर राजनीतिक हमले ज़रूर करें मगर इस बात का भी ध्यान ज़रूर रखें कि वो सिर्फ राजनेता है या फिर देश के किसी संवैधानिक पद पर भी है. आप सम्मान देकर भी अपने विरोधी पर हमले कर सकते हैं, ज़रूरी नहीं कि तू तड़ाक की भाषा का इस्तेमाल करना ही बड़ा हमला होता है, देश के प्रधानमंत्री के प्रति आपकी ये भाषा आपकी बदलती हुई इमेज को नुक्सान पहुंचा सकती है, व्यक्तिगत तौर पर भी और राजनीतिक तौर पर भी, भूलिए मत आज के दौर में प्रधानमंत्री मोदी देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं.