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नाकद्रे कंगारू

आर्टिकल/इंटरव्यूनाकद्रे कंगारू

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अमित बिश्‍नोई

एक लाइन बहुत मशहूर है, जब ताकत, प्रतिष्ठा, सम्मान और रुतबा बढ़ता है तो अपने साथ बड़ी ज़िम्मेदारी भी लेकर आता है। कोई भी बड़ी कामयाबी अपने साथ नम्रता और सहनशीलता लेकर आती है। लेकिन जब आपको उस तरह की कामयाबी बार बार मिले तो कभी कभी वो अपने साथ घमंड व गुरुर लेकर भी आ जाती है. ऑस्ट्रेलिया की टीम 5 बार की विश्व चैंपियन थी, एक और खिताब उसके नाम हो गया, लेकिन वो अपनी उपलब्धियों के अहंकार में है. जीत के इस अहंकार में ऑस्ट्रेलिया के खिलाडी न सिर्फ अपनी मर्यादा भूल गए बल्कि जीत के गुरुर में उस ट्रॉफी का ही अपमान कर बैठे जिसके लिए क्रिकेट की दुनिया उनकी वाहवाही कर रही थी। दरअसल मैच के बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाडी मिशेल मार्श की ऐसी तस्वीर सामने आयी जो न सिर्फ क्रिकेट का अपमान है बल्कि करोड़ों क्रिकेट फैंस के दिल को तोड़ा। लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया किया कोई क्रिकेट ऐसा कैसे कर सकता है.

टीम इंडिया को फाइनल में हराना और विश्वविजेता बनना अपने आप में किसी भी टीम के लिए एक अलग अनुभूति हो सकती है, क्योंकि 99 प्रतिशत लोग ये मानकर चल रहे थे कि इस भारतीय टीम को हराना बहुत मुश्किल है, फाइनल मैच तक का सफर ही उसका कुछ इस तरह का था लेकिन एक खराब दिन ने सबकुछ बदलकर रख दिया, सारे समीकरण बदलकर रख दिए, बेशक ये ऑस्ट्रेलिया की बहुत बड़ी जीत कही जाएगी, इसलिए नहीं कि उन्होंने विश्व कप जीता, वो तो वो पहले भी पांच बार जीत चुके हैं लेकिन इतने प्रचंड फॉर्म वाली भारतीय टीम को फाइनल में हराना और खिताब जीतना, ऑस्ट्रेलिया के लिए खिताब से भी बढ़कर था, शायद यही वजह हो सकती है कि मिशेल मार्श के इस बर्ताव की, उन्हें लगा कि उन्होंने वो कारनामा कर दिया जो असंभव जैसा था, शायद इसीलिए उनका गुरुर और घमंड इस रूप में बाहर आया.

विश्वविजेता बनने के बाद जब ऑस्ट्रिलियन खिलाड़ी मैदान में दर्शकों के सामने ख़ुशी नाच रहे थे तो उनकी कामयाबी देखते ही बन रही थी, उनके सेलेब्रेशन का लोग आनंद ले रहे थे। मैदान पर ट्रॉफी के साथ हर ऑस्ट्रेलियाई खिलाडी बेहद खुश नज़र आ रहा था, और होते भी क्यों न, मौका ही ऐसा था लेकिन ये तस्वीरें तो दिखावे की लग रही थें, क्योंकि विश्व कप ट्रॉफी का एक ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ने क्या हश्र किया इसकी तस्वीर तो मैदान के बाहर बाद में सामने आयी. हाथों में बीयर की बोतल, गले में वर्ल्ड कप का मैडल, अपने डोले दिखाते मिचेल मार्श और उनके पैरों के नीचे विश्व कप की ट्रॉफी, ऐसा लगा जैसे उन्होंने किसी शेर का शिकार किया और उस शेर के सिर पर पैर रखकर फोटो खिंचवाकर अपने बलशाली होने का सबूत दे रहे हों. मिचेल मार्श ऑस्ट्रेलिया के एक स्टार खिलाड़ी हैं , उन्होंने एकबार भी नहीं सोचा कि इस ट्रॉफी को हासिल करने के लिए दुनिया की 10 टॉप की टीमें पिछले डेढ़ महीने से कितनी मेहनत कर रही थी. खुद उनकी टीम ने शुरू में लड़खड़ाने के बाद किस तरह अपने आप को संभाला, एक समय तो उनके सेमीफाइनल में पहुँचने की उम्मीदों पर भी सवाल खड़ा हो रहा था और उस पर तुर्रा ये ऐसी हरकत को पूरी दुनिया को दिखाने के लिए उन्होंने अपनी इस तस्वीर को अपने सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर पोस्ट भी किया। क्या वो दुनिया को ये बताने की कोशिश कर रहे थे कि ये ट्रॉफी उनके लिए कोई मायने नहीं रखती, इस ट्रॉफी की उनकी नज़र में कोई अहमियत नहीं। मिचेल मार्श की इस हरकत से क्रिकेट फैंस में काफी गुस्सा है, पूर्व क्रिकेटर भी मिचेल की इस हरकत से हैरान हैं।

इस ट्रॉफी को न जीत पाने पर टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा की आँखों में आंसू आ गए, जिस ट्रॉफी को न जीत पाने पर टीम इंडिया के खिलाडी गम में डूब गए, पूरा भारत निराशा में डूब गया उस ट्रॉफी को जीतने के बाद मिचेल मार्श ऐसी गन्दी हरकत की. मिचेल मार्श का इतिहास बैड बॉय वाला रहा है अक्सर वो विवादों में घिर जाते हैं , एक बार आउट होने पर उन्होंने अपने आपको ज़ख़्मी भी कर लिया था जिसकी वजह से टीम से उनकी छुट्टी हो गयी थी. वैसे भी जीत के घमंड में मर्यादा भूलने की ऑस्ट्रेलियाई खिलाडियों की आदत है , 2003 का वो नज़ारा सबकी नज़रो में आज भी घूम रहा है जब ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पोंटिंग ने ICC चीफ शरद पवार के साथ दुर्व्यवहार किया था। उस वक्त भी रिकी पोंटिंग की बड़ी आलोचना हुई थी और बाद में उन्हें शरद पवार से माफ़ी भी मांगनी पड़ी थी.

विश्व कप को जीतना हर एक सपना होता है और सपना पूरा होने पर मिली टॉफी की कदर होनी चाहिए लेकिन ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी शायद इसे नहीं समझते। विश्व कप की ट्रॉफी की क्या अहमियत होती है ये कपिल देव से पूछिए जिन्होंने उसे अपने सिर का ताज बनाया, फुटबॉलर मैसी से पूछिए जिन्होंने उसे अपने बच्चे के तरह अपने सीने से लगाया. विश्व चैंपियन बनने के बाद ट्रॉफी के साथ उनकी सोती हुई तस्वीर कितनी खूबसूरत थी. सारी दुनिया ने उस तस्वीर को देखा, उस ट्रॉफी में मैसी कितने मासूम लग रहे थे और ऐसा इसलिए था कि उनको उस ट्रॉफी की क़द्र थी, वो फ़ुटबाल के खेल की सबसे बड़ी ट्रॉफी थी लेकिन जब हम मिशेल मार्श की तस्वीर को देखते हैं तो कितनी भद्दी और घिनावनी नज़र आती है, एक पल को लगता है इस इंसान से ये ट्रॉफी छीन लेनी चाहिए क्योंकि इसे उसकी क़द्र नहीं।

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