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Aditya L1 Mission: सूरज के राज खुलेंगे, संचार तकनीक की बाधा होगी दूर, रामबाण साबित होगा आदित्य-एल1

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Aditya L1 Mission: पड़ोसी मुल्क चीन सोलर मिशन लॉन्च कर चुका है। चीन द्वारा भेजा गया मिशन धरती के ऑर्बिट में है। भारत के इसरो का आदित्य एल1 मिशन उससे बाहर होगा। आदित्य एल1 मिशन एक प्रतिशत दूरी तक जाएगा। साढ़े छह सौ करोड़ रुपए लागत पर तैयार ‘चंद्रयान 3’ मिशन की सफल लैंडिंग के बाद आदित्य एल1 मिशन की बारी है। इसकी कामयाबी से दुनिया को सूरज के वे राज मालूम चलेंगे, जिनसे अभी पर्दा उठना बाकी है। पूर्व वैज्ञानिक एवं प्रमुख रेडियो कार्बन डेटिंग लैब, बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के डॉ. सीएम नौटियाल ने बताया, सूरज का मिजाज जानने के लिए दुनिया का हर देश प्रयास कर रहा है।

सूर्य के व्यवहार का पता लगना अहम है। अगर पता लगाने में भारत कामयाब हो जाता है तो मानव जाति के विकास से जुड़ी समस्याओं का हल होगा। सूरज पर तूफान आते हैं, जिन्हें हम ‘सोलर स्ट्रॉम‘ कहते हैं। ‘आदित्य एल1 मिशन’ के जरिए ‘सोलर स्ट्रॉम’ का पता चल सकता है। तूफान संचार तकनीक पर असर डालते हैं। कम्युनिकेशन सिस्टम बाधित करते हैं। यदि हमें सूरज के मिजाज और वहां आने वाले तूफान का पता चल जाए तो दुनिया में संचार तकनीक की बाधाओं को दूर करने में सफलता मिलेगी। इसमें ‘आदित्य एल1 मिशन’ रामबाण साबित हो सकता है।

आदित्य एल1 भेजने के समय में बदलाव

डॉ. सीएम नौटियाल के अनुसार, आदित्य एल1 मिशन विभिन्न क्षेत्रों में भारत के लिए नई राहें बनाएगा। इस कामयाबी से अंतरिक्ष, तकनीकी क्षेत्र और सोलर एनर्जी के मामले में भारत नए आयाम स्थापित करेगा। अमेरिका के अनेक सौर मिशन लांच हुए हैं। उनसे बहुत जानकारियां दुनिया के सामने आई हैं। हालांकि बहुत से तथ्य ‘राज’ बने हैं। सूरज पर तूफान आते हैं। इस वजह से हमारा संचार सिस्टम प्रभावित होता है। ‘आदित्य एल1 मिशन’ हमें बताएगा कि वहां कितने समय में, कितनी तीव्रता से और कितने क्षेत्र में तूफान आता है।

संचार सिस्टम को दुरुस्त रखने और मौसम की सटीक जानकारी

इससे संचार सिस्टम को दुरुस्त रखने और मौसम की सटीक जानकारी मिलेगी। तूफान की तीव्रता को देखते हुए अंतरिक्ष यान भेजने के समय में बदलाव किया जा सकता है। सोलर स्ट्रॉम से संचार तकनीक को कम से कम नुकसान हो, यह तैयारी पहले से की जा सकेगी। सूरज के तापमान से उपकरणों को नुकसान न पहुंचे। इसके लिए स्पेशल अलॉय उपयोग किए गए हैं। सूरज पर कई तरह के कण और ऊर्जा है। वह ऊर्जा कई तरह की तरंगों के रूप में निकलती है। पराबैंगनी किरणों को सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा का एक प्रकार माना जाता है। सूरज के बाहरी हिस्से का तापमान ज्यादा होता है तो वहां कण वाष्पित होते रहते हैं।

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