उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपनी FDI नीति में बड़ा बदलाव किया है। नयी नीति में इक्विटी के साथ-साथ ऋण लेकर निवेश करने वाली विदेशी कंपनियां अब राज्य सरकार की प्रोत्साहन नीति के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र होंगी। इससे पहले, नीति के तहत प्रोत्साहन केवल इक्विटी निवेश के लिए उपलब्ध थे। इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल द्वारा 4 नवंबर को निर्णय ले लिया गया है।
प्रोत्साहन नीति को अब ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, विदेशी पूंजी निवेश और फॉर्च्यून ग्लोबल 500 और फॉर्च्यून इंडिया 500 निवेश प्रोत्साहन नीति 2023’ के रूप में संशोधित किया गया है। नीति के तहत प्रोत्साहन में कर लाभ के साथ भूमि और पूंजी सब्सिडी शामिल हैं।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अब वो विदेशी कंपनियां भी राज्य में निवेश कर सकेंगी जो इक्विटी के साथ-साथ ऋण या किसी अन्य स्रोत से निवेश लाती हैं। योगी सरकार के इस फैसले से राज्य में विदेशी निवेश में वृद्धि की संभावना है।” इन निर्णयों की जानकारी देते हुए यूपी के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि नीति में थोड़ा संशोधन किया गया है, हालांकि नीति में पात्रता के लिए न्यूनतम निवेश 100 करोड़ रुपये ही रहेगा।
उन्होंने कहा कि कंपनियां अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए इक्विटी के अलावा अन्य स्रोतों से भी धन का प्रबंध करती हैं। उन्होंने कहा, “यदि किसी कंपनी के पास केवल 10 प्रतिशत इक्विटी है और उसने 90 प्रतिशत निवेश अन्य स्रोतों से किया है, तो भी वह लाभ के लिए पात्र होगी।” उन्होंने आगे कहा कि विदेशी कंपनियां वरीयता शेयरों, डिबेंचर, बाहरी वाणिज्यिक उधार, स्टैंड बाय लेटर ऑफ क्रेडिट, गारंटी पत्र और अन्य ऋण प्रतिभूतियों के रूप में पूंजी ला सकती हैं।