अमित बिश्नोई
काउंटडाउन शुरू हो चूका है, क्रिकेट का महाकुम्भ आधिकारिक रूप से 5 अक्टूबर को पिछले चैंपियन इंग्लैंड और रनर अप न्यूज़ीलैण्ड के बीच अहमदाबाद में खेले जाने मैच से शुरू हो जायेगा और फिर इसी मैदान पर 19 नवंबर को कोई दो टीमें खिताब के लिए टकराएंगी। बड़ा सवाल होगा कि खिताब कौन जीतेगा, क्या कोई नया चैंपियन सामने आएगा या फिर पूर्व चैम्पियनों में से कोई इस बार बाज़ी मारेगा। भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसी टीमें एकबार फिर चैंपियन बनने के लिए लम्बे अरसे से इंतज़ार कर रही हैं. श्रीलंका 1996 से इंतज़ार कर रही तो पाकिस्तान 1992 से वहीँ भारत भी अपना तीसरा खिताब पाने के लिए 2011 से राह देख रहा है. तो क्या भारत का इंतज़ार ख़त्म होगा, क्या उसे घरेलू कंडीशंस का फायदा मिलेगा? क्या उसे 2011 की तरह एकबार फिर मेज़बानी का फायदा मिलेगा, क्या 2011 से मेज़बान मुल्क के चैंपियन बनने का सिलसिला 2023 में भी बरक़रार रहेगा। अगर ऐसा हुआ तो ये लगातार चौथा विश्व कप होगा जो मेज़बान देश जीतेगा।
अगर हम इस विश्व कप के तीन संभावित चैम्पियनों की बात करें तो निश्चित रूप भारत सबसे आगे नज़र आता और फिर इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया। हालाँकि अगर सिर्फ एक महीना पीछे जाएँ तो यह नंबर बदला हुआ था, तब भारत नंबर तीन पर नज़र आ रहा था लेकिन एशिया कप के बाद नज़ारा बदल गया. तीन चार हफ्ते पहले टीम इंडिया के खेमे में जो पहेलियाँ थी वो सब सुलझती चली गयीं, जो सवाल थे उन सबके जवाब मिल गए, जो चिंताएं थी वो निश्चिंतता में परिवर्तित हो गयी हैं. इतने बड़े टूर्नामेंट से पहले किसी टीम का पीक की तरफ जाना बड़ी बात होती है, टीम इंडिया का प्रदर्शन इस समय पीक की तरफ है, एशिया के दो धुरंधर टीमों को एशिया कप में धूल चटा चुके हैं, पांच बार की विश्व कप चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को भी ऐन पहले शिकस्त दे चुके हैं, इससे बढ़िया प्लेटफॉर्म और क्या सजाया जा सकता है. तीन हफ्ते पहले क्रिकेट जगत के जो पुरोधा भारत को दावेदार तो मान रहे थे मगर प्रबल दावेदार नहीं वो आज भारत को प्रबल दावेदार मान रहे हैं। इंग्लैंड के बड़बोले पूर्व क्रिकेटर केविन पीटरसन फाइनल में भारत और इंग्लैंड को देख रहे हैं, ये जनाब पहले इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच फाइनल की बात करते थे. अभी हाल ही में लखनऊ आये श्रीलंका के महान ऑफ स्पिनर भारत को चैंपियन बनता देख रहे हैं , उनका कहना है कि भारत की मौजूदा फॉर्म और घरेलू कंडीशंस का उसे ज़रूर फायदा मिलेगा।
चलिए देखते हैं कि इस बात में कितनी हकीकत है, वैसे तो घरेलू कंडीशन का फायदा तो हर मेज़बान देश उठाता है लेकिन जब हम भारत के शेडूल को देखते हैं तो पता चलता है कि उसे अपने सभी लीग मैच अलग अलग शहरों में खेलने हैं , मतलब 9 मैच 9 अलग अलग शहरों में. अब आप इसे एडवांटेज कहेंगे या फिर डिसएडवांटेज। सभी लीग मैच अलग अलग शहरों में खेलने का मतलब टीम को ज़्यादा ट्रेवेल भी करना होगा और ज़्यादा ट्रेवलिंग से सभी टीमें बचने की कोशिश करती हैं। ऐसा नहीं है कि दूसरी टीमों को यह समस्या नहीं आएगी, दावेदारों में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को अपने 9 मैच आठ अलग शहरों में खेलने हैं. इस मामले में पाकिस्तान टीम सबसे फायदे में नज़र आती है जिसे सिर्फ पांच शहरों में अपने 9 मैच खेलना है और ये सुरक्षा कारणों से है. तो अगर शेड्यूल की बात करें तो ओवर ट्रेवलिंग का भारत को नुक्सान ही हो सकता है, लेकिन सवाल ये भी है मेज़बान देश की इस शेड्यूल में कही न कहीं उसकी मर्ज़ी ज़रूर शामिल होगी। उसके सारे वेन्यूज टीमों के हिसाब से ही रखे गए होंगे कि किस जगह पर कौन सी टीम के साथ बेहतर कंडीशंस में मुकाबला करना है. कहाँ पर उसे स्पिन ट्रैक का इस्तेमाल करना है और कहाँ पर तेज़ विकेट का इस्तेमाल और कहाँ पर पाटा विकेट का यूज़ करना है.
मिसाल के तौर पर पाकिस्तान के खिलाफ भारत का मैच एक लाल मिटटी वाली पिच पर हो सकता है जहाँ गेंद बल्ले पर अच्छे से आती है, पाकिस्तान का स्पिन अटैक शायद विश्व कप की सभी टीमों में सबसे कमज़ोर है तो ऐसे में मिडिल के 20 ओवरों का टीम इंडिया पूरा फायदा उठाना चाहेगी। लेकिन वहीँ हम देखते हैं कि न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ भारत का मैच धर्मशाला में है और धर्मशाला का मौसम लगभग न्यूज़ीलैण्ड के मौसम की तरह ही होता है तो ऐसे में यहाँ पर कंडीशंस का फायदा तो न्यूज़ीलैण्ड को मिलता हुआ दिखता है. ऐसे में इस बात को बहुत मज़बूत ढंग से नहीं कहा जा सकता कि टीम इंडिया घरेलू कंडीशन की वजह से चैंपियन बनेगी। घरेलु कंडीशंस का मतलब अगर होम क्राउड से है तो इसमें कोई शक नहीं कि अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में एक लाख से ज़्यादा घरेलू दर्शकों के बीच पाकिस्तान टीम जब मैदान पर आएगी तो हाथ पैर ज़रूर फूल जायेंगे। उसके लिए यह पहला मौका होगा जब इतने दर्शकों के सामने वो खेलेंगे और भी तब जब पूरा स्टेडियम इंडिया इंडिया चिल्ला रहा होगा। इस मामले में तो ज़रूर भारत को फायदा मिलेगा। भारत में क्रिकेट की दीवानगी वैसे भी बहुत होती है और फिर जब विश्व कप जैसा टूर्नामेंट हो तो भारतीय फैंस अपनी तरफ से तो पूरा ज़ोर लगाते हुए नज़र ही आएंगे।
घरेलू कंडीशंस के जहाँ तक फायदे की बात है तो उसका फायदा भी वही टीम उठा सकती है जिसमें कुछ दम होता है, बेदम टीमें होम कंडीशन का भी फायदा नहीं उठा पातीं। और फिर इस बार हर टीम को 9 लीग मैच खेलने हैं , कोई भी टीम नॉक आउट दौर में घरेलू कंडीशंस की वजह से नहीं पहुँच सकती, इसलिए बड़े विदेशी पूर्व क्रिकेटर होम कंडीशंस की जो बात कर रहे हैं , एकदम बकवास है। हकीकत ये है कि टीम इंडिया ने अपने आपको साबित किया है और यही वजह है कि अब सभी उसे फ़ाइनल में देख रहे हैं.