महाराष्ट्र में सत्ता में बदलाव के बाद एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच पार्टी का चुनाव चिन्ह हासिल करने और बचाने की जंग शुरू हो गयी है, चुनाव आयोग में सुनवाई शुरू हो चुकी है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले उद्धव गुट को एक बड़ा धक्का लगा था. शिंदे गुट ‘धनुष और तीर’ पर अपना दावा पक्का करने के लिए शुक्रवार को चुनाव आयोग से मिला था. शिंदे गुट को सुनने के बाद चुनाव आयोग ने उद्धव गुट को कल दोपहर तक अपना पक्ष रखने को कहा है और साथ यह चेताया है कि अगर वो नहीं आते तो आयोग उचित करने के लिए स्वतंत्र है.
वहीँ इस मामले में उद्धव ठाकरे का कहना है कि शिंदे गुट का शिवसेना के चुनाव चिन्ह पर कोई अधिकार नहीं नहीं है क्योंकि उन लोगों ने स्वेच्छा से पार्टी छोड़ी थी. जानकारी के मुताबिक उद्धव ठाकरे ने एक दिन पहले ही चुनाव आयोग के सामने पार्टी का पक्ष रख दिया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह तय करने के लिए 27 सितंबर तक का समय दिया है, “असली” शिवसेना की कमान शिंदे के हाथ या फिर उद्धव के पास, इसका उसे फैसला करना है.
बता दें की महाराष्ट्र में शिवसेना पर कब्ज़े को लेकर एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे दोनों ही दावे कर रहे हैं. शिंदे गुट चाहता है कि अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव से पहले शिवसेना के चुनाव चिह्न उसे मिल जाय. शिवसेना में टूट के समय उद्धव ने दावा किया था कि वह महाराष्ट्र अगले चुनावों में शिवसेना के चुनाव निशाँ के बिना चुनाव जीतकर दिखाए तो जाने, वहीँ एकनाथ शिंदे ने कहा था कि वो धनुष और तीर के बिना भी चुनाव जीतने की शक्ति रखते हैं , इसके बावजूद भी अब वो जी जान से धनुष और तीर के पीछे भाग रहे हैं.
देश में जो संवैधानिक सस्थाएं जिस तरह का व्यवहार कर रही है और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जिस तरह से अपने को अलग कर लिया है उसे देखते हुए चुनाव आयोग उद्धव के साथ न्याय करेगा इसमें संशय दिख रहा है, ऐसे में अगर उद्धव गुट से अगर धनुष और तीर छिन जाय तो कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी.