पिछले दिनों मशहूर कमेडियन राजू श्रीवास्तव को जिम करते समय हार्ट अटैक आया। करीब तीन महीने एम्स में भर्ती रहने के बाद आखिरकार उन्होंने दम तोड़ दिया। राजू श्रीवास्तव के बारे में यह कहा जा सकता है कि उनके हार्ट में स्टंट पड़ चुका था, लेकिन साथ ही यह कहा जाएगा कि आखिर लगातार जिम करने वाले एक युवा को, वो भी उसे जो दिन-रात लोगों को हंसाने का काम करता था, हमेशा खुश रहता था, उसे हार्ट अटैक कैसे पड़ गया?
दरअसल इस सवाल का जवाब तो नहीं है। लेकिन देखा गया है कि इसी साल देश के कई ऐसे युवाओं की हार्ट अटैक से मौत हुई। जो या तो जिम करते हुए या किसी धार्मिक कार्यक्रम में कलाकार के रूप में हिस्सा लेते हुए मौत के शिकार हुए। हाल ही में शामली के एक डॉक्टर के बेटे को किसी मंच पर हार्ट अटैक आया और फिर उसे नहीं बचाया जा सका। इसी तरह मुंबई विरार में गरबा खेलते 35 साल के युवक मनीष को हार्ट अटैक पड़ गया। मनीष को तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया, डॉक्टरों ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह नहीं बच सका। इससे भी हैरत और दुख की बात यह कि अस्पताल पहुंचने पर जब मनीष के पिता को बेटे की मौत खबर लगी तो उन्होंने भी हार्टअटैक से दम तोड़ दिया।
सवाल है कि आखिर हार्टअटैक के मामले युवाओं में तेजी से क्यों बढ़ रहे हैं? सबसे चिंता की बात है कि अधिकांश हार्ट अटैक 16 साल से लेकर 40 साल के बीच के युवाओं को हो रहा हैं। अगर रिपोर्ट्स देखें, तो पता चलता है कि साल 1990 के दौरान हिंदुस्तान में 15.2 प्रतिशत लोग हार्ट अटैक से मरते थे। लेकिन साल 2016 आते तक हार्ट अटैक से मरने वालों का आंकड़ा 28.1 प्रतिशत तक चला गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में साल 2019 में 1.79 करोड़ लोग दिल की बीमारियों से मरे। जिनमें तकरीबन 85 प्रतिशत लोगों की मौत सिर्फ हार्ट अटैक और स्ट्रोक से हुई। वर्ष 2018 में एक अध्ययन में दावा किया कि हार्ट अटैक से मरने वालों में युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है और यही हाल रहा तो, आने वाले सालों में हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या सबसे अधिक होगी। जिसके सबसे ज्यादा शिकार युवा होंगे। अगर यह बात सच साबित होती है तो दुनिया की सबसे अधिक मौतों की जिम्मेदार बीमारी हार्ट अटैक होगी।
एक आरटीआई से मिली जानकारी में खुलासा हुआ है कि साल 2021 में जनवरी से जून के तक मुंबई में कोरोना संक्रमण से कुल 10 हजार 289 लोगों की मौत हुई। जबकि इसी शहर में हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या 17 हजार 880 थी। यह कम चिंता की बात नहीं कि कोरोना जैसी महामारी से अधिक मौतों का कारण हार्ट अटैक बन रहा है। जबकि अभी तक कोरोना काल के बाद के हार्ट अटैक के आंकड़े सामने नहीं आए हैं। जाहिर है कि लोगों को हार्ट अटैक चिंता,तनाव, अधिक फैट, कोलस्ट्रोल के अलावा अचानक किसी दर्दनाक घटना की सूचना या अन्य कोई घटना सामने से देखने पर आता है।
अमेरिका के एक जनरल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदुस्तान में वर्ष 2015 तक 6.2 करोड़ लोगों को दिल से जुड़ी बीमारियां थीं। हैरत की बात यह कि इनमें से 2.3 करोड़ लोग यानि एक-तिहाई से ज्यादा लोग करीबन 40 साल से कम उम्र के थे। इससे बचने के लिए अमेरिका के फ्लोरिडा के सर्जन जनरल डॉ जोसेफ ए लाडापो 18 से 39 साल के लोगों को कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाने की सलाह भी दी थी। इसकी वजह यह है कि कोरोना महामारी से बचकर जिंदगी जी रहे लोगों में कोरोना वैक्सीन लगवाने के कारण हार्ट अटैक की संभावना बढ़ी है। इसके साथ ही उनकी काम करने की क्षमता पर असर पड़ा है। कुछ डॉक्टर यही बात कह रहे हैं। यह अलग बात है कि डॉक्टर खुलकर कोरोना वैक्सीन के खिलाफ नहीं बोल पाते।
दूसरी बात यह है कि हार्ट अटैक उन युवाओं को अधिक आता है,जो जिम करते हैं, हंसते-खेलते हैं। एक तरफ डॉक्टरों ने ऐसा कहा है कि स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम बहुत जरूरी है। वहीं दूसरी तरफ ऐसे मामले देखने को मिल रहे हैं, जिनमें जिम करते या हंसते-खेलते युवाओं को हार्टअटैक आ गया। इससे अधिकतर युवाओं की मौके पर या अस्पताल जाते समय मौत हो जाती है।
बहरहाल, याद रखें कि जितना घी-तेल उपयोग कर लें, लेकिन उसके हिसाब से शारीरिक मेहनत करना जरूरी है। पहले के लोग देशी घी एक बार में पी जाते थे। लेकिन उसे पचाने के लिए वो दिन भर खेतों में काम करते थे। तब किसी को हार्ट अटैक नहीं पड़ता था। लेकिन कुछ लोगों ने दुकान चलाने के लिए देशी घी को खराब बताना शुरू कर दिया। जिसके बाद से कई बीमारियों ने लोगों को घेर लिया। आज हार्ट अटैक के पीछे अगर हमारा मशीन बनकर कंप्यूटर आदि पर काम करना है, तो खानपान बिगड़ना भी है।