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टीम इंडिया के तालाब की गन्दी मछली कौन?

आर्टिकल/इंटरव्यूटीम इंडिया के तालाब की गन्दी मछली कौन?

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अमित बिश्नोई
भारतीय क्रिकेट में इतना विवाद शायद पहले कभी नहीं देखा गया या बहुत कम देखा गया जितना इन दिनों ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान देखा जा रहा है. विवाद इस बात को लेकर नहीं भारत श्रंखला में 2-1 से पीछे है, विवाद इस बात का है कि टीम के अंदर इन दिनों वो सब नज़र आ रहा है जिसके लिए पाकिस्तान की टीम बदनाम है. इससे पहले टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम में वह सब हो रहा हैं जो पाकिस्तानी टीम के ड्रेसिंग रूम में होना एक आम बात रही है. ड्रेसिंग रूम की वो बातें सामने आने लगी हैं जिन्हें हमेशा राज़ में रखा जाता है, जिनके बारे में टीम की ड्रेसिंग रूम का हिस्सा बनने वाला कोई भी अपना मुंह नहीं खोलता। हर टीम के ड्रेसिंग रूम में कोच और खिलाडियों के बीच कई बातों को लेकर मतभेद होते हैं, विशेषकर कप्तान, सीनियर खिलाडियों और कोच के बीच और ऐसा अक्सर उन श्रंखलाओं में होता हैं जिनमें टीम उम्मीद के मुताबिक परफॉरमेंस नहीं कर रही होती है. सभी को मालूम था कि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुँचने के लिए बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी भारत के लिए कितनी अहम् थी और ये श्रंखला जीतना भारत के लिए बहुत ज़रूरी थी लेकिन वो मौका हाथ से निकल गया, अब सिर्फ शृंखला बराबर करने का मौका बचा है और इस नाज़ुक टेस्ट से पहले टीम इंडिया विवादों के साथ जूझ रही है, मीडिया में तमाम कहानियां चल चल रही हैं जिनमें सबसे ख़ास कहानी ये है कि रोहित शर्मा सिडनी टेस्ट में नहीं दिखाई देंगे। अब इस बात के बहुत से मतलब निकल रहे हैं जिनपर आज हर तरफ चर्चा हो रही है. इन सभी चर्चाओं का केंद्र बिंदु टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर ही हैं. हर कहानी, हर स्टोरी में उनका मुख्य किरदार नज़र आ रहा है.

दरअसल राहुल द्रविड़ के रिटायरमेंट के बाद जब गौतम गंभीर को हेड कोच बनाया गया था तभी से इस बात की बड़ी चर्चा थी कि गंभीर जैसे स्वाभाव वाला व्यक्ति टीम इंडिया को कैसे संभालेगा, विशेषकर रोहित शर्मा और विराट जैसे सीनियर खिलाडियों को. कहा तो उसी समय गया था कि गौतम गंभीर अगर अपना कार्यकाल पूरा कर लेते हैं तो यह एक आश्चर्य होगा। चलिए थोड़ी बात गौतम गंभीर को बतौर हेड कोच उनके प्रदर्शन को लेकर करते हैं. तो बता दें कि भारत को आखिरी बड़ी सफलता जून में उस समय मिली थी जब उसने राहुल द्रविड़ की कोचिंग में टी20 विश्व कप जीता था, उसके बाद गौतम गंभीर ने उनकी भूमिका संभाली। जब उन्होंने पदभार संभाला, टीम इंडिया एक बेहद मज़बूत और एकजुट टीम मानी जाती थी लेकिन गंभीर के पद सँभालते ही श्रीलंका के खिलाफ भारत को वनडे सीरीज में हार मिली और फिर वो हुआ जो भारत के क्रिकेट इतिहास में कभी नहीं हुआ था, न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में भारत का 3-0 से क्लीन स्वीप, और अब ऑस्ट्रेलिया में टीम इंडिया का साधारण प्रदर्शन। अगर भारत सिडनी में खेला जाने वाला पांचवां टेस्ट नहीं जीतता है तो वो औपचारिक और आधिकारिक रूप से विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल की दौड़ से बाहर हो जायेगा।

गंभीर जबसे हेड कोच बने हैं अधिकांश खिलाड़ियों का मानना है कि उनसे संवाद का सिलसिला उतना अच्छा नहीं है जितना रवि शास्त्री और राहुल द्रविड़ के समय हुआ करता था। नए खिलाडियों को अभी यह नहीं मालूम कि उन्हें किसलिए बाहर बिठाया जा रहा है, लगातार प्रयोगों से खिलाडियों में असुरक्षा की भावना पनपती जा रही है जो टीम के परफॉरमेंस पर असर डाल रही है. ऑस्ट्रेलिया दौरे पर ये स्पष्ट नज़र आ रहा है कि कोच और खिलाडियों में कोई तालमेल नहीं है. गंभीर का प्रेस कांफ्रेंस में रोहित के खेलने के सवाल पर यह कहना कि टीम का फैसला टॉस के समय होगा, इस बात को जन्म देता है कि मीडिया में रोहित शर्मा के रिटायरमेंट को लेकर जो बातें चल रही हैं वो सही हैं. प्रेस कांफ्रेंस में वो यह भी कहते हैं कि सभी लोग जानते हैं कि समस्या क्या है. तो गंभीर टीम में किसे समस्या बता रहे हैं, फिर वो यह भी कहते हैं कि अगर रन नहीं तो टीम में कैसे जगह बनेगी, तो वो ये बात क्या रोहित शर्मा के लिए कह रहे हैं क्योंकि रनों के मामले में इस शृंखला में सबसे कमज़ोर वही हैं, कमज़ोर विराट भी हैं लेकिन उनके नाम एक शतक है जिससे वो बच रहे हैं.

रोहित अगर टीम में नहीं तो फिर कप्तान कौन? इसपर भी मीडिया में कई स्टोरीज चल रही हैं. रोहित की जगह बुमराह स्वाभाविक चयन बनते हैं क्योंकि वो टीम के उपकप्तान भी हैं और पर्थ में रोहित की गैरमौजूदगी में कप्तानी भी की थी और भारत ने वो टेस्ट जीतकर श्रंखला की शानदार शुरुआत भी की थी. लेकिन एक बड़े अखबार की स्टोरी पर अगर यकीन करें तो एक ऐसा नाम कप्तानी के लिए सामने आया है जिसपर यकीन करना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि ये वो सीनियर खिलाडी है जिसने कभी खुद ही टेस्ट कप्तानी छोड़ी थी लेकिन अब वो केयरटेकर कप्तान बनने को तैयार है, यहाँ तक कि पता चला है कि यह ऑफर उसने खुद ही ऑस्ट्रेलिया में मौजूद चीफ सिलेक्टर को दिया है. सच्चाई कितनी है तो इसका पता तो कल सुबह टॉस के समय चलेगा, जैसा की हेड कोच ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा लेकिन इस बात में काफी दम नज़र आ रहा है कि गौतम गंभीर के टीम इंडिया के साथ जुड़ने के बाद समस्याएं तो बढ़ी हैं, ये वो टीम तो हरगिज़ नज़र नहीं आ रही जो द्रविड़ छोड़कर गए थे. बीच श्रंखला में अश्विन का इस तरह अचानक संन्यास लेना और अब जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं कि रोहित शर्मा शायद सिडनी टेस्ट का हिस्सा न हों, ये सब टीम के भविष्य के लिए अच्छा बिलकुल नहीं कहा जायेगा। समस्या तो है और बहुत बड़ी है, इसे मानना ही पड़ेगा, आँखें चुराने से समस्या का हल नहीं निकलने वाला। तालाब में एक गन्दी मछली पहुँच जाय तो वो पूरे तालाब को गन्दा कर देती है. सवाल ये है कि वो गन्दी मछली कौन है जो पूरे तालाब को गन्दा कर रही है. हालाँकि इस सवाल का जवाब ज़्यादा मुश्किल नहीं है लेकिन कभी कभी किसी और का नुक्सान करने के चक्कर अपना नुक्सान करवाना पसंद किया जाता है लेकिन उसे यह नहीं मालूम कि उसके लिए भी आगे राहें बहुत मुश्किल ही हैं. इस श्रंखला के बाद टीम को चैंपियंस ट्रॉफी खेलना है, क्या होगा अगर वहां भी टीम को कामयाबी नहीं मिली, तब तो लोगों को सूली पर चढाने वाले को खुद सूली पर चढ़ना पड़ेगा।

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