अमित बिश्नोई
तीन दशक बाद दिल्ली में भाजपा ने जीत दर्ज की और 11 बरस से राज कर रही अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी को दिल्ली से बाहर कर दिया। इस चुनाव में भगवा पार्टी ने 70 विधानसभा सीटों में से 48 पर जीत दर्ज की। देश भर में भगवा खेमे में जश्न का माहौल है लेकिन दिल्ली में सरकार का नेतृत्व कौन करेगा इस सवाल का जवाब अभी नहीं मिल रहा है. भाजपा ने हमेशा की तरह दिल्ली का चुनाव भी पीएम मोदी के नाम पर लड़ा और जीत के बाद सेहरा भी उन्ही को दिया। केजरीवाल को हराने वाले परवेश वर्मा ने कल अमित शाह से मुलाकात के बाद मीडिया से यही कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी की वजह से जीत मिली है लेकिन सच बात तो यह है कि उन्हें कांग्रेस के उम्मीदवार संदीप दीक्षित की वजह से जीत मिली है जिनको मिले वोट एक बड़ा अंतर बने, यही नहीं, संदीप दीक्षित ने नई दिल्ली सीट पर केजरीवाल के विरोध में एक माहौल भी तैयार किया जिसने परवेश वर्मा को जीत दिलाने में अहम् भूमिका निभाई। लेकिन भाजपा में जीत हमेशा पीएम मोदी की वजह से मिलती है और हार के लिए पार्टी में दूसरे कई लोग हैं जो ख़ुशी ख़ुशी ज़िम्मेदारी ले लेते हैं.
खैर जीत के बाद सबसे बड़ा सवाल यही कि दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन? कायदे से देखा जाय तो परवेश वर्मा इस पद के लिए सबसे बड़े उम्मीदवार होने चाहिए क्योंकि उन्होंने केजरीवाल को हराया है. यह कोई मामूली बात नहीं। परवेश ने उस इंसान को हराया है जो खुले आम प्रधानमंत्री मोदी को चैलेन्ज देता रहा है, जिसने जेल से निकलने के बाद बड़ा बम फोड़ा था और कहा था पीएम मोदी बस दो ढाई साल और प्रधानमंत्री रहेंगे। इसके बाद वह 75 साल के हो जायेंगे और अमित शाह या फिर योगी आदित्यनाथ गद्दी को संभालेंगे। सिर्फ यही नहीं, केजरीवाल वह नेता हैं जिनकी नज़र मोदी जी की कुर्सी पर लगी थी, कई बार संकेतों में उन्होंने इस बात का इज़हार भी किया। खैर परवेश वर्मा मुख्यमंत्री बन सकते हैं इसमें थोड़ा संशय है. हालाँकि दिल्ली फतह करने के बाद जिस एक इंसान को अमित शाह ने मिलने के लिए बुलाया वो परवेश वर्मा ही थे. लोगों ने कयास भी लगाए कि शायद मुख्यमंत्री के नाम की चर्चा हुई होगी, लेकिन परवेश वर्मा जब अमित शाह के घर से निकले तो उनके चेहरे पर ऐसे कोई भाव नहीं दिखे कि उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलने वाली है. मुंह थोड़ा लटका हुआ था, मीडिया को भी ज़्यादा भाव नहीं दिया और वहां से निकल गए.
अब अगर भाजपा के दुसरे ऐसे कुछ नेताओं की बात करें जो इस दौड़ में शामिल हो सकते हैं या फिर सियासी गलियारों में उनका नाम चल रहा है या फिर चलाया जा रहा है तो उनमें से जनकपुरी सीट से 18,766 वोटों से जीतने वाले आशीष सूद हैं जिन्हें दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में भाजपा के शासन के दौरान प्रशासनिक मामलों में कुछ व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ है। वे गोवा के लिए भाजपा के प्रभारी और पार्टी की जम्मू-कश्मीर इकाई के सह-प्रभारी भी हैं। उत्तम नगर से जीतने वाले पवन शर्मा भी मुख्यमंत्री पद के लिए दौड़ में हैं। वो वर्तमान में असम के लिए भाजपा के सह-प्रभारी हैं।
इसके अलावा पिछली दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने रोहिणी से 37,816 वोटों से जीत दर्ज करते हुए जीत की हैट्रिक बनाई। वो भी एक कैंडिडेट हो सकते हैं. नई दिल्ली नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष उपाध्याय के बारे में माना जाता है कि वे आरएसएस नेतृत्व के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं। भाजपा की मध्य प्रदेश इकाई के सह-प्रभारी उपाध्याय ने मालवीय नगर से आप के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री सोमनाथ भारती को 2,131 मतों के मामूली अंतर से हराया। शालीमार बाग से 29,000 से अधिक मतों से जीतने वाली रेखा गुप्ता का भी नाम चल रहा है। वह भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य हैं और पार्टी की दिल्ली राज्य इकाई की महासचिव हैं।
आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेता सौरभ भरद्वाज को हराने वाली शिखा राय भी एक उम्मीदवार हो सकती हैं. क्या पता भाजपा इसबार किसी महिला पर दांव खेले। पहले भी वह सुषमा स्वराज को दिल्ली का मुख्यमंत्री बना चुकी है. मध्य प्रदेश, राजस्थान छतीसगढ़ में मिली जीत के बाद भाजपा ने सबको सरप्राइज़ किया था और स्थापित नेताओं की जगह नए नाम स्थापित किये थे. हो सकता है दिल्ली में भी कोई सरप्राइज़ हो?