अमित बिश्नोई
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे कल यानि 23 नवंबर को आने वाले हैं. एग्जिट पोल्स की मानें तो महायुति गठबंधन की सरकार बनती दिख रही है लेकिन महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा इसकी तैयारी महायुति और महाविकास अघाड़ी दोनों गठबंधनों में चल रही है. मतदान से पहले और मतदान के दिन तक महाराष्ट्र सीएम की कुर्सी के लिए अपने को सबसे बेहतर बनाने दिखाने के प्रयास होते रहे, कुछ ने खुले तौर पर अपनी दावेदारी पेश की तो कुछ ने डिप्लोमेसी से काम लिया मगर अपनी भाषा में सन्देश ज़रूर दिया कि वो भी इस ज़िम्मेदारी को सँभालने योग्य हैं या फिर महाराष्ट्र को महिला भी अच्छी तरह से संभाल सकती है. फिलहाल तो सबकी निगाहें 23 नवंबर को आने वाले नतीजों पर है लेकिन कहीं न कहीं मुख्यमंत्री कौन? के सवाल पर गुणा भाग तो चल ही रहा होगा क्योंकि उम्मीद पर दुनिया कायम है. तो चलिए उन कुछ नामों पर नज़र डालते हैं जिनका नाम महाराष्ट्र के संभावित मुख्यमंत्री के रूप में लिया जा रहा है. पहले बात करते हैं सत्ताधारी महायुति की जिसको एग्जिट पोल भी सरकार बनाने का तगड़ा दावेदार या फिर सम्भावना जता रहे हैं. फिलहाल तो महायुति सरकार के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हैं लेकिन उनके पास ये कुर्सी बरकरार रहेगी या नहीं इसका फैसला तो आने वाले दिनों में ही होगा।
महायुति की तरफ से मुख्यमंत्री पद के लिए फिलहाल सबसे ऊपर नाम पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का माना जा रहा है जिनका मौजूदा सरकार में डिमोशन हो गया था और जो मुख्यमंत्री से उपमुख्यमंत्री बनने वाले पहले राजनेता बने थे, इसके बाद स्वाभाविक तौर से मौजूदा मुख्यमंत्री और शिवसेना शिंदे गुट के प्रमुख एकनाथ शिंदे का नाम है और उसके बाद अपने चाचा शरद पवार से पार्टी छीनने वाले अजित पवार का नाम है जो चार बार महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री तो बन चुके हैं लेकिन अभी मुख्यमंत्री का पद उनकी लाख कोशिशों के बाद भी उनसे दूर ही रहा है. इस पद के लिए उनकी छटपटाहट उनके बयानों भाषणों में अक्सर नज़र आती है. इसके अलावा विदर्भ क्षेत्र से भाजपा के दिग्गज सुधीर मुनगंटीवार, अभी ताज़ा ताज़ा कैशकाण्ड में चर्चित हुए विनोद तावड़े और पंकजा मुंडे का भी नाम चल रहा है जिसमें विनोद तावड़े का नाम सबसे ज़्यादा चर्चित है. कहा जा रहा है कि भाजपा सरप्राइज़ करते हुए तावड़े को महाराष्ट्र की कमान थमा सकती है. कहा ये भी जा रहा है कि तावड़े को सीएम की कुर्सी तक पहुँचने से रोकने के लिए ही कैशकाण्ड दुनिया के सामने लाया गया और ये कैशकाण्ड मतदान से एकदिन पहले लाने में अंदरखाने का ही हाथ था ताकि विनोद तावड़े को इस रेस से बाहर किया जाय.
खैर तावड़े कांड अपनी जगह लेकिन महायुति की सरकार बनने की स्थिति में फडणवीस से मज़बूत कोई दावेदार नहीं जिनके ऊपर अमित शाह का पूरा हाथ है। अमित शाह ने इस बात के संकेत भी कई बार दिए हैं, बल्कि चुनाव से कुछ समय पहले तो ये बात भी चल रही थी कि एकनाथ शिंदे की जगह फडणवीस को मुख्यमंत्री की कुर्सी दी जाय और उन्ही के नेतृत्व में महायुति चुनाव भी लड़े ताकि वोटरों में स्पष्ट सन्देश जाय कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा लेकिन बाद में गठबंधन की मजबूरियों के तहत इस विचार को भाजपा ने छोड़ दिया और बिना किसी नाम के चुनाव में उतरने का फैसला किया गया. हालाँकि महायुति में भाजपा की दोनों सहयोगी पार्टियों को ये अच्छी तरह से मालूम है कि उनके लिए सीएम की कुर्सी दूर का सपना है. सीटों के बंटवारे के समय ही भाजपा ने दोनों पार्टियों को बता दिया था कि इसबार शिवसेना और एनसीपी सिर्फ सहयोगी की भूमिका में रहेंगी, नेतृत्व इस बार भाजपा का ही रहेगा, इसलिए उसने आधे से ज़्यादा सीटें हथियाकर अपने उम्मीदवार उतारे। अब जो ज़्यादा सीटें लड़ेगा वही ज़्यादा सीटें जीतेगा भी तो एनसीपी और शिवसेना की दावेदारी वैसे भी ख़त्म हो जाती है. मौजूदा मुख्यमंत्री की बात करें तो एकनाथ शिंदे फिर मुख्यमंत्री बन सकते हैं, ऐसे हालात तो बिलकुल भी नज़र नहीं आते, भाजपा वैसे भी अपने किसी सहयोगी को ज़्यादा मज़बूत होने का मौका नहीं देती। यही बात अजीत पवार पर भी लागू होती है, उनके बारे में तो भाजपा को हमेशा इस बात का संशय रहता है कि कब वो अपने परिवार के पास लौट जांय और इसलिए भाजपा ने अजीत पवार को अपने पैर मज़बूत करने का कोई मौका नहीं दिया और इसीलिए महायुति में सबसे खराब हालत अजीत पवार की ही है. बाकी जो नाम सामने आ रहे हैं उनमें सिर्फ तावड़े ही गंभीर चर्चा में हैं शेष सिर्फ चर्चा में ही हैं.
वहीँ अगर MVA की बात करें तो यहाँ पर स्पष्ट रूप से तीनों सहयोगी पार्टियों शिवसेना यूबीटी, कांग्रेस और एनसीपी शरदचंद पवार से एक एक नाम सामने है. स्वाभाविक तौर से उद्धव ठाकरे का नाम इसमें है क्योंकि वो पिछली MVA सरकार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. कांग्रेस की तरफ से वैसे तो कई नाम हैं लेकिन नाना पटोले का नाम मुख्य तौर पर लिया जा रहा है वहीँ शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले का नाम आगे बढ़ाया है. इनमें शिवसेना यूबीटी तो चुनाव से पहले ही इस बात की मांग करती आ रही थी कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करनी चाहिए लेकिन शेष दोनों घटक दल कांग्रेस और एनसीपी सपा ने उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने पर सहमति नहीं जताई। इसकी वजह ये बताई जा रही है कि कांग्रेस को लगता है कि लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी उसे MVA सबसे ज़्यादा सीटें उसे मिलेंगी और उसकी दावेदारी ज़्यादा मज़बूत रहेगी, वहीँ शिवसेना का मानना है कि लोकसभा चुनाव में जीत का स्ट्राइक रेट उसका ज़्यादा है और इस चुनाव में भी वो अपने उस स्ट्राइक रेट को बरक़रार रखेगी और कम सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद उसके पास विधायकों की संख्या ज़्यादा होगी और सुप्रिया सुले को महाराष्ट्र की स्थानीय राजनीती में सेट करने का सबसे अच्छा मौका होगा. MVA में कांग्रेस की तरफ से बालासाहब थोराट और पृथ्वीराज चौहान का नाम भी लिया जा रहा है, इसके अलावा एनसीपी के जयंत पाटिल और शिवसेना यूबीटी के आदित्य ठाकरे के नामों की भी चर्चा है. बहरहाल इन सारे नामों पर चर्चाओं का बाजार 23 नवंबर को नतीजे आने के बाद और भी गर्म होगा।