चमोली- प्राकृतिक सौंदर्य से ओतप्रोत उत्तराखंड अपनी शांत और मनोरम वादियों के लिए जाना जाता है. मनभावन वादियों के बीच कई जगह ऐसी है जो रहस्य से भरी हुई है. आज हम आपको उत्तराखंड के एक ऐसे रहस्य के बारे में बताते हैं, जो न केवल अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए जाना जाता है अपितु प्राकृतिक सौंदर्य की एक अनोखी झलक आपको महसूस कराता है. हम बात कर रहे हैं भारत के आखिरी गांव माणा के पास स्थित ‘वसुधारा’ झरने की. अपनी खूबसूरती के साथ-साथ यह झरना लोगों के लिए आस्था का विषय भी है. मान्यता यह है कि इस झरने की बूंदे पापी लोगों पर नहीं गिरती है.
पुण्य आत्मा पर गिरती है पानी की बूंदे
‘वसुधारा’ झरना माणा से करीब 8 किलोमीटर दूर स्थित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत के युद्ध के बाद पांडव जब हिमालय पर शिव की खोज में थे तब इसी स्थान पर अर्जुन ने अपने गांडीव धनुष का त्याग किया था. माना यह जाता है कि पांडवों के सबसे छोटे भाई सहदेव ने यहां प्राण त्यागे थे. स्कंद पुराण में ‘वसुधारा’ को लेकर कहा गया है कि यहां अष्ट वसु यानी (अयाज, ध्रुव,सोम,अह,अनिल,अनल, प्रत्युष और प्रभास) ने कठोर तप किया था. जिसके बाद जल स्रोत का नाम वसुधारा पड़ा. स्थानीय लोग जब देव यात्रा निकालते हैं तो देवी देवताओं और श्रद्धालु इसी पवित्र झरने में स्नान करते हैं. करीब 400 फीट की ऊंचाई से गिरने वाला वसुधारा झरने को लेकर मान्यता है कि अगर यदि आप इस झरने के पानी की बूंदे आपके ऊपर गिरती हैं तो आप अपने को पुण्य आत्मा समझ सकते हैं. कहा जाता है कि पापी लोगों के ऊपर इस झरने का पानी नहीं गिरता है, यही वजह है कि दूर-दूर से श्रद्धालु यहां अद्भुत और चमत्कारी झरने के नीचे खड़े होने यहां आते हैं.
रहस्य से भरा ‘वसुधारा’
समुद्र तल से करीब 13000 फीट की ऊंचाई पर स्थित वसुधारा झरना न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य से लोगों को आकर्षित करता है अपितु इस पानी में औषधीय गुण होने के कारण भी यहां लोग अपनी काया को निरोगी करने पहुंचते हैं. चार धाम यात्रा पर जब आप बद्रीनाथ धाम पहुंचेंगे तो वसुधारा जाना ना भूलें. 400 फीट की ऊंचाई से गिरने के चलते हवा और पानी के मिलने से उत्पन्न होने वाली ध्वनि आपके मन को रोमांचित करती है. चौंकाने वाली बात यह है कि इस झरने का पानी हर व्यक्ति के ऊपर नहीं गिरता है, यह रहस्य आज तक कोई समझ नहीं पाया है.