- बिहार चुनाव के घोषणापत्र में भाजपा ने कोरोना वैक्सीन फ्री देने का किया वादा
- राहुल गांधी ने कहा, भारत सरकार ने कोविड वैक्सीन वितरण की घोषणा कर दी है
- आरजेडी नेता तेजस्वी यादव बोले, कोरोना का टीका पूरे देश का है भाजपा का नहीं
सुनील शर्मा
न सूूत न कपास, जुलाहों में लठ्ठम-लठ्ठा, इस कहावत को भाजपा ने बिहार चुनाव में सच साबित कर दिखाया है। बिहार चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना चुकी भाजपा चुनावी समर में सब कुछ झोंक देना चाहती है। मजे की बात यह है कि भाजपा ने बिहार की जनता से वह चीज भी मुफ्त में देने का वादा कर दिया है जो अभी तक न तो अस्तित्व में है और न ही उसके धरातल पर आने की कोई तिथि निर्धारित है। हम बात कर रहे हैं कोरोना वैक्सीन की जो भारत में अभी तक ट्रायल भी पूरे नहीं कर पायी है।
वहीं पूूरे विश्व में किसी भी वैक्सीन को कोरोना संक्रमण का मुकाबला करने में समर्थ होने की मान्यता तक नहीं मिली है। लेकिन भाजपा ने एडवांस में कोरोना वैक्सीन को बिहार की जनता को फ्री में देने का वादा कर दिया है। शर्त बस एक है कि जनता को उसे जीता कर सत्ता सिंहासन पर बैठना होगा। इसका एक मतलब यह भी है कि यदि भाजपा को जीत नहीं मिली तो कोरोना वैक्सीन भी फ्री में नहीं मिलेगी। ऐसे में अविश्वसनीय वादा करने वाली भाजपा ने विपक्षी दलों को छिछालेदार करने का एक और मौका दे दिया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए ट्विट किया है कि भारत सरकार ने कोविड वैक्सीन वितरण की घोषणा कर दी है। ये जानने के लिए कि वैक्सीन और झूठे वादे आपको कब मिलेंगे, कृपया अपने राज्य के चुनाव की तारीख देखें। वहीं आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि कोरोना का टीका पूरे देश का है भाजपा का नहीं।
आजादी के बाद रोटी-कपड़ा, शिक्षा और मकान के बाद बिजली, पानी, रोजगार चुनावी मुद्दा बनते रहे। फ्री में गेहूं, चावल के साथ कपड़े देने के वादे भी नेता करते रहे हैं। समय बदला और लैपटाॅप, टेबलेट देने के वादे भी चुनावी घोषणापत्रों में शामिल होने लगे। लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार भारतीय जनता पार्टी ने ऐसा वायदा कर दिया है जिसे सुनकर चुनाव आयोग भी सकते में आ गया है। क्योंकि ऐसा चुनावी वादा तो इससे पहले न तो किसी राजनीतिक पार्टी ने किया है और न ऐसा करने का सोचा है। तुर्रा यह कि वादा भी किया तो उस कोरोना वैक्सीन को मुफ्त में देने का जो अभी तक बनी ही नहीं है, यानी अपने मानक पूरे कर बाजार में उतरी भी नहीं है। तो जो वैक्सीन बनी ही नहीं वो मुफ्त में बटेगी कैसे, इस यक्ष प्रश्न का जवाब तो भाजपा क्या किसी के भी पास नहीं होगा।
गुरूवार को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने बिहार में भाजपा का चुनावी घोषणापत्र जारी किया था। इस घोषणापत्र मे वादा किया गया कि यदि भाजपा बिहार चुनाव जीतती है तो बिहार की जनता को कोविड-19 वैक्सीन फ्री में लगाया जाएगा। भारतीय राजनीति में पहली बार किसी वैक्सीन को चुनावी घोषणापत्र में जगह दी गयी है। इस घोषणापत्र के जारी होते ही भाजपा विपक्ष के निशाने पर आ गयी है। कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि कोरोना कीे वैक्सीन पर सबका समान अधिकार होना चाहिए, सशर्त राजनीतिक विशेषाधिकार नहीं। कांग्रेस ने कहा की चुनाव आयोग को इस घोषणा पर नोटिस लेना चाहिए। वहीं आम आदमी पार्टी ने भाजपा से सवाल किया है कि गैर-भाजपा शासित राज्यों का क्या होगा? जिन भारतीयों ने भाजपा को वोट नहीं दिया क्या वहां फ्री वैक्सीन नहीं मिलेगा? वहीं नेशनल काॅन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने कहा- क्या भाजपा अपने पार्टी फंड से कोविड-19 वैक्सीन खरीद रही है?
विपक्षी पार्टियों के नेता पहले से ही भाजपा को जुमलों वाली सरकार कहते आये हैं, मगर भाजपा ने इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया। मगर चुनावी जोश में बिहार को फ्री कोरोना वैक्सीन देने का वादा उसके गले की फांस बन गया है। यदि वह अपने वादे पर अडिग रहती है तो उसे विप़क्ष के तीखे सवालों का जवाब भी सोचकर रखना होगा। क्योंकि भाजपा अभी यह नहीं बता सकती की कोरोना की वैक्सीन कब तब बन पायेगी और बिहारवासियों को कब फ्री में मिलेगी। यदि भाजपा चुनाव नहीं जीती तो वह बिहार को फ्री वैक्सीन देगी या नहीं। यदि बिहार में फ्री वैक्सीन देती है तो बाकी देश की जनता जिसने उसे जीता कर केंद्र के सत्ता सिंहासन पर बैठाया है क्या उसे पैसे देकर इसलिये वैक्सीन लेनी होगी क्योंकि वहां पर बिहार की तरह चुनाव नहीं है।
ऐसे अनेक सवाल हैं जिनका जवाब भाजपा के पास नहीं होगा। ऐसे में देखना होगा की भाजपा अपने इस अविश्वसनीय मुद्दे पर टिकी रहती है या वह जगहंसाई से बचने के लिये बैकफुट पर आकर इस वादे को वापस लेगी। मगर दोनों ही स्थितियों में भाजपा को आगे कुआं-पीछे खाई जैसे हालात का सामना करना ही पड़ेगा।