लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली की दरों को बढ़ाने की कवायदें शुरू हो गईं हैं। नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों से टैरिफ प्लान मांगा है। इसके लिए आयोग की ओर से 10 दिन का समय दिया गया है। कंपनियों को हर हाल में 12 अप्रैल तक का समय दिया गया है। ऐसे में यह लगभग तय हो गया है कि बिजली की दरें एक बार और बढ़ाई जाएंगी। पिछले दस सालों में सात बार बिजली की दरें बढ़ीं हैं। नियामक आयोग टैरिफ प्लान को मंजूर कर लिया तो प्लान आने के 120 दिन के अंदर नया टैरिफ लागू करना होगा। ऐसे में यह क्लियर हो गया है कि जुलाई तक बिजली जोर का झटका देगी। गौरतलब है कि पिछले तीन सालों से बिजली की दरों को बढ़ाया नहीं गया है।
कंपनियों का कहना है कि खर्च और आमदनी के बीच करीब 6700 करोड़ रूपये का गैप है। ऐसे में बिजली की दरों को बढ़ाया जाना जरूरी हो गया है। हालांकि नियामक आयोग और बिजली कंपनियों की राय के इतर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद का दावा है कि कंपनियों के उपर ही उपभोक्ताओं का 20 हजार 500 करोड़ रूपये निकल रहे हैं। ऐसे में परिषद का तर्क है कि बिजली की दरों को बढ़ाने के बजाय उसको घटाया जाए। पिछल साल भी बिजली की दरों को बढ़ाने के लिए जब नियामक आयोग में सुनवाई हुई तो उपभोक्ता परिषद के चेयरमैन अवधेश कुमार वर्मा ने यही तर्क दिया था। उनके इस तर्क के बाद बिजली की दरों को बढ़ाया तो नहीं गया लेकिन घटाया भी नहीं गया था। बिजली विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार बिजली की दरों का बढ़ना तय है। क्योंकि, यह सरकार की मंशा है। वहीं विभाग को आने वाले दिनों में नीजि हाथों में भी सौंपने की तैयारी की जा रही है।
उपभोक्ता परिषद ने जताया विरोध
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के चेयरमैन अवधेश कुमार वर्मा ने बिजली की दरों को बढ़ाने जाने की तैयारियों का विरोध किया है। उनका कहना है कि उपभोक्ताओं का ही अतिरिक्त पैसा कंपनियों पर है, ऐसे में दरों को बढ़ाया जाना नियम के खिलाफ होगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में देश का कोई भी राज्य ऐसा आदेश नहीं दे रहा है। वर्तमान में रेगुलेटरी कानून और एमवाईटी रेगुलेशन की किसी भी व्यवस्था में किसी भी राज्य का कोई कानून नहीं है, कि जब उपभोक्ताओं का ही पैसा कंपनियों पर निकल रहा हो तो दरों को बढ़ाया जाए। उन्होंने बताया कि उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में याचिका दाखिल की हुई है, हालांकि अभी तक इस पर पावर कारपोरेशन की ओर से कोई जवाब नहीं आया है, जबकि उससे आयोग ने जवाब तलब भी किया हुआ है।
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तीन करोड़ उपभोक्ताओं की जेब होगी ढीली
यूपी में इस समय करीब तीन करोड़ उपभोक्ता हैं। जिसमें घरेलू और कमर्शियल उपभोक्ताओं की संख्या करीब 2.70 करोड़ है। गौरतलब है कि पिछले दस सालों में सात बार बिजली की दरें बढ़ाईं गईं हैं। ऐसे में आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले दस सालों में बिजली की दरें दोगुनी हो चुकीं हैं। सपा की सरकार में जहां पांच साल में लगातार बिजली की दरें बढ़ाईं थीं तो वहीं बीजेपी ने अपने शुरूआती दो सालों में रेट बढ़ाये। कोरोना के कारण अब तक बढ़ोत्तरी नहीं की है।