मेरठ। पश्चिमी उप्र के जिलों में बडे़ पैमाने पर अवैध पटाखा फैक्ट्री चल रही हैं। पुलिस के संरक्षण में चल रही इन अवैध पटाखा फैक्ट्रियों में आए दिन विस्फोट और आगजनी की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन इसके बाद भी हुक्मरानों की नींद नहीं खुल रही है। पटाखा फैक्ट्रियों में होने वाले हादसों में आए दिन लोेगों की मौत हो रही है। मेरठ,हापुड,बिजनौर और मुजफ्फरनगर में इसी साल 2022 में कई पटाखा फैक्ट्रियों में आग की घटनाएं हो चुकी हैं। कुछ माह पूर्व ही हापुड जिले में बाईपास स्थित एक पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट से 13 लोगों की जान चली गई थी। लेकिन इसके बाद भी पश्चिमी उप्र के जिलों में चल रही अवैध पटाखा फैक्ट्रियों को बंद करवाने में किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई। पूर्व में हुए अवैध पटाखा फैक्ट्रियों में विस्फोट की घटनाओं पर नजर डाले तो 14 जून 2019 को हापुड की एक पटाखा फैक्ट्री में भीषण विस्फोट हुआ था। जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी। इसी साल 10 मई 2022 बिजनौर में एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट हुआ था। जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई थी। 5 जून 2022 को हापुड में ही एक पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट में 13 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। 25 ंअगस्त 2022 को मेरठ के रोहटा थाना क्षेत्र में बनी अवैध पटाखा फैक्ट्री में आग लगने से इलाके में दहशत फैल गई।
आग लगने से एक के बाद एक पटाखा गोदाम में कई धमाके हुए थे। ये कुछ घटनाएं हैं जिनके घटित होने के बाद भी जिम्मेदारों की नींद नहीं खुली। अभी रविवार को ही बागपत के खेकड़ा थानाक्षेत्र के गांव घिटौरा में अवैध रूप से पटाखा फैक्ट्री में पटाखा बनाने के दौरान विस्फोटक पदार्थ में धमाक से पूरे इमारत की छत ही उड़ गई थी। इस घटना से इलाके में हड़कंप मच गया था। बता दें कि जिले में पटाखे बनाने के सभी 27 लाइसेंस वर्ष 2017 को निलंबित कर दिए गए थे। एनजीटी ने एनसीआर में पटाखे बेचने पर रोक लगाने के बाद से ये लाइसेंस निरस्त हैं। इसके बावजूद भी अवैध तरीके से पटाखे बनाने का किया जा रहा है। बागपत में इससे पहले भी कई वारदातें पटाखा फैक्ट्रियों में हो चुकी है। सिंघावली अहीर के तिलपनी गांव में अवैध रूप से पटाखे बनाते समय सितंबर 2021 में मकान में विस्फोट होने से हबीबुर रहमान की मौत हो गई थी। जबकि नवंबर 2021 में पटाखा गोदाम में आग लगने से करीब दस महिलाएं झुलस गईं थीं।