उत्तराखंड विधानसभा में बुधवार को धामी सरकार द्वारा पेश किया गया UCC बिल बहुमत के साथ पारित हो गया। वहीँ विपक्ष की मांग थी कि विधेयक पहले विधानसभा की चयन समिति के समक्ष पेश किया जाए। इस तरह उत्तराखंड विधानसभा समान नागरिक संहिता को पास करने वाली पहली विधायिका बन गई है. ये बिल अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर सभी समुदायों के लिए रिश्तों में विवाह, तलाक, विरासत और जीवन पर समान नियम लागू करता है।
उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पास कराने से पहले अपने संबोधन में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह कानून सदियों से महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय को समाप्त करेगा। धामी ने विशेषकर शाह बानो और सायरा बानो मामले का जिक्र करते हुए कहा कि असामाजिक तत्व राजनीतिक फायदे के लिए समुदायों को बांटकर रखना चाहते हैं लेकिन समान नागरिक संहिता द्वारा उत्तराखंड में सभी नागिरकों को समान अधिकार दिए जाने से यह समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी।
धामी ने भीमराव अंबेडकर का हवाला देते हुए दावा किया कि संविधान में उल्लिखित कुछ धाराओं का समय-समय पर कुछ राष्ट्र-विरोधी लोगों द्वारा दुरुपयोग किया गया था। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के दीवानी संहिता में कुछ गलतियां की गईं हैं जिन्हें अब सुधारने की ज़रुरत है। इस बदलते समय में हमें कानूनों की व्याख्या भी नये सिरे से करने का आवश्यकता है।
वहीँ उत्तराखंड कांग्रेस का कहना है कि वो UCC बिल का विरोध नहीं कर रही है, कांग्रेस पार्टी इसके प्रावधानों की विस्तार से जांच करने के पक्ष में है ताकि विधेयक के कानून बनने से पहले उसकी खामियों को दूर किया जा सके। कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहार ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 44 जो विधेयक का आधार है, वो समान नागरिक संहिता को पूरे देश के संदर्भ में संदर्भित करता है न कि केवल एक राज्य के संदर्भ में। कांग्रेस विधेयक के पारित होने का विरोध नहीं कर रही है लेकिन इसे पास करने से पहले सदन की एक चयन समिति को भेजा जाना चाहिए। कांग्रेस विधायक ने कहा कि सरकार अखिर यह कैसे सुनिश्चित करेगी कि बिल का दुरुपयोग नहीं होगा।
बिल में विरोधाभास का ज़िक्र करते हुए कांग्रेस विधायक आदेश सिंह चौहान ने कहा कि आदिवासियों को इस बिल से बाहर रखा गया है तो फिर ये समान कैसे हुआ. अगर यह बिल उत्तराखंड की जनजातियों को इसके दायरे से बाहर रखता है तो इसे फिर पूरे उत्तराखंड में एक समान लागू करने के बारे में सोचा भी कैसे जा सकता है।