लाइफस्टाइल डेस्क। Chaitra Navratri 2022 Shakti Peeth – 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत है, इन दिनों मां के 9 रूपों की पूजा की जाती है। लोग माता के शक्तिपीठ धामों में दर्शन करने जाते है, ऐसा माना जाता है की माता के 52 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है, जिनका विशेष महत्व है। चलिए फिर जानते है विदेशों में शक्तिपीठ धाम के बारे में।
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हिंगुला शक्तिपीठ, पाकिस्तान
हिंगुला शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है, यहां माता सती का सिर गिरा था। इसे शक्तिपीठ को नानी का मंदिर या नानी का हज भी कहा जाता है। इसके अलावा, यहां ऐसा कहा जाता है की आतंकी आक्रमण होने के बावजूद शक्तिपीठ को कोई नुकसान नहीं हुआ।
मनसा शक्तिपीठ, तिब्बत
मनसा शक्तिपीठ तिब्बत में मानसरोवर नदी के तट पर है, यहां माता सती की दाईं हथेली गिरी थी। मनसा शक्तिपीठ मंदिर की काफी मान्यता है, लोग यहां दूर – दूर से आते है।
नेपाल शक्तिपीठ
बता दे, नेपाल में कई शक्तिपीठ हैं जैसे की आद्या शक्तिपीठ, गुहेश्वरी शक्तिपीठ और दंतकाली शक्तिपीठ।
आद्या शक्तिपीठ गंडक नदी के पास है, यहां पर माता सती का बायां गाल गिरा था। यहां माता की गंडकी स्वरूप की पूजा की जाती है।
गुहेश्वरी शक्तिपीठ बागमती नदी के किनारे स्थित है, यहां मां सती के दोनों घुटने गिरे थे।
दंतकाली शक्तिपीठ, में माता सती के दांत गिरे थे। ये नेपाल के बिजयापुर गांव में है, इस शक्तिपीठ को दन्तकाली शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है।
इन्द्राक्षी शक्तिपीठ, श्रीलंका
इन्द्राक्षी शक्तिपीठ श्रीलंका के जाफना नल्लूर में है, यहां माता सती की पायल गिरी थी। ऐसा माना जाता है की देवराज इंद्र और भगवान राम ने इस शक्तिपीठ की पूजा की थी।
बांग्लादेश शक्तिपीठ
बता दे, बांग्लादेश में 5 शक्तिपीठ हैं उग्रतारा शक्तिपीठ, अपर्णा शक्तिपीठ, श्रीशैल महालक्ष्मी, चट्टल भवानी, यशोरेश्वरी माता शक्तिपीठ और जयंती शक्तिपीठ।
उग्रतारा शक्तिपीठ बांग्लादेश में सुनंदा नदी के तट पर है, यहां माता सती की नाक गिरी थी। इस शक्तिपीठ को सुगंधा शक्तिपीठ भी कहा जाता है, मान्यता है की यहां माता देवी सुगंधा के रूप में शिव त्र्यम्बक के साथ वास करती हैं।
अपर्णा शक्तिपीठ बांग्लादेश में भवानीपुर गांव में है, यहां माता सती के बाएं पैर की पायल गिरी थी। बता दे, यहां माता को अर्पण और भैरव जी को वामन कहते हैं।
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श्रीशैल महालक्ष्मी बांग्लादेश के सिलहट जिले में है, यहां माता सती का गला गिरा था। बता दे, यहां माता को महालक्ष्मी स्वरूप की पूजा होती है और भैरव बाबा शम्बरानंद के रूप पूजा की जाती है।
चट्टल भवानी बांगलादेश के सीता कुंड स्टेशन के पास है चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल में है। यहां मां सती की दायीं भुजा गिरी थी, साथ ही यहां शक्ति के भवानी स्वरूप की पूजा होती है। इसके अलावा, यहां भैरवनाथ की मंदिर है, जिन्हें चंद्रशेखर कहते हैं।
यशोरेश्वरी माता शक्तिपीठ बांग्लादेश के खुलना जिले में है, यहां मां सती की बाईं हथेली गिरी थी। इस मंदिर की काफी मान्यता है, लाखो लोग यहां माँ के दर्शान करने आते है।
जयंती शक्तिपीठ बांग्लादेश के सिलहट जिले में है, यहां माता की बाईं जांघ गिरी थी। इस शक्तिपीठ की भी काफी मान्यता है, लोग यहां आकर माँ से अपनी मनोकामनाए पूरी करने की पूजा करते है।