हाथ की उंगलियों की तरह दिखने वाले इस दुर्लभ फल को बुद्ध के हाथ के नाम से जाना जाता है। यह फल कई बौद्ध मंदिरों में भगवान बुद्ध को चढ़ाया जाता है। बुद्ध के हाथ का यह फल नींबू या खट्टे फलों की प्रजातियों में से एक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि बौद्ध भिक्षु इस फल को भारत से चीन ले गए और वहां इसकी कई किस्में लगाई गईं। दिखने में यह फल हाथ से जुड़ी हुई उँगलियों की तरह पीले रंग का दिखाई देता है। इस फल को लेकर लोगों में यह मान्यता है कि यह फल दीर्घायु, सुख, सौभाग्य का प्रतीक है। चीनी लोग सौभाग्य लाने के लिए इस फल को अपने घरों और धार्मिक स्थलों में रखते हैं। इस फल को लोग नए साल में तोहफे में भी देते हैं ताकि लोगों के जीवन में सब कुछ अच्छा हो।
फिंगर सिट्रॉन फ्रूट के बारे में
यह फल दिखने में नींबू के छिलके के रंग का, स्वाद में खट्टा और हल्का कड़वा होता है। लोग इस फल का उपयोग सजावट और औषधीय उपचार के लिए करते हैं। यह फल बहुत दुर्लभ होता है इसलिए यह आपको हर जगह नहीं मिलेगा। इस फल की अधिकांश किस्मों में इसका गूदा खाने योग्य नहीं होता है। इसे खाने के लिए सबसे पहले इस फल की ऊंगली तोड़ी जाती है फिर इसका छिलका खाया जाता है. फल को अंग्रेजी, चीनी, जापानी, कोरियाई और फ्रेंच सहित कई भाषाओं में बुद्ध का हाथ कहा जाता है।
वृक्ष पर बुद्ध का हाथ
ऊँगली नीबू के पेड़ की तरह कांटेदार होती है, इसकी असंख्य शाखाएँ होती हैं और यह आकार में बहुत बड़ा नहीं होता है। इस वृक्ष के पत्ते हल्के हरे रंग के होते हैं, जो लगभग चार से छह इंच तक बढ़ते हैं। इस पेड़ के फूल जामुनी रंग के होते हैं, जो गुच्छों में खिलते हैं। इस फल की उंगलियों में गूदा और बीज होते हैं। इस फलदार वृक्ष को लगाने के लिए इसकी 2-3 वर्ष पुरानी शाखा को काटकर उगाया जा सकता है।
फिंगर सिट्रॉन फ्रूट के उपयोग
इत्र
बुद्ध का हाथ कहा जाने वाला यह फूल बहुत ही सुगंधित होता है, जिसका इस्तेमाल चीन और जापान में इत्र बनाने के लिए करते है।
धार्मिक महत्व
इस फल के साथ बहुत धार्मिक महत्व जुड़ा हुआ है, जैसा कि हमने ऊपर बताया कि यह फल किसी को तोहफे के रूप में दिया जाता है। साथ ही इसे मंदिरों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। लोग फल को बंद उंगलियों से काम के प्रतीक के रूप में रखते हैं। चीन में यह माना जाता है कि यह फल सौभाग्य, लंबी उम्र और खुशहाली का प्रतीक है।
सजावट के लिए
लोग अपने घरों में सजावट के लिए इस फल को फूलदानों और डिब्बों में रखते हैं।