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न बंटेंगे, न हटेंगे का नारा हुआ बुलंद, यूपीपीएससी के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन जारी

उत्तर प्रदेशन बंटेंगे, न हटेंगे का नारा हुआ बुलंद, यूपीपीएससी के खिलाफ छात्रों...

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उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) द्वारा प्रतियोगी परीक्षा कार्यक्रम तय किए जाने को लेकर छात्रों का हंगामा मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। इसकी शुरुआत कल छात्रों द्वारा पीसीएस और आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा एक ही दिन कराने और नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को रद्द करने की मांग से हुई थी। छात्रों ने सोमवार रात भर प्रदर्शन किया और मंगलवार को भी जारी रहा।

अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे छात्रों ने अब नया नारा गढ़ा है, ‘न बंटेंगे, न हटेंगे’। इस नारे वाले हजारों पर्चे छात्रों में बांटे गए। इसके अलावा नारेबाजी की जा रही है और आयोग के अध्यक्ष संजय श्रीनेत के पोस्टर लहराए जा रहे हैं। इसे देखते हुए पुलिस ने सिविल लाइंस इलाके के पास आयोग कार्यालय के आसपास की सभी दुकानें बंद करा दी हैं।

छात्रों ने ‘न बटेंगे न हटेंगे’ नारे के जरिए आयोग को संदेश दिया है कि जब तक दो दिन परीक्षा कराने और नॉर्मलाइजेशन को रद्द करने का नोटिस जारी नहीं होता, तब तक वे धरना स्थल से हटने वाले नहीं हैं। धरना स्थल पर छात्रों ने हाथों में नारे लिखी कई तख्तियां भी पकड़ी हुई थीं। इन नारों के जरिए छात्र आयोग के फैसले के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे थे।

इस बीच समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी छात्रों के प्रदर्शन को लेकर भाजपा पर निशाना साधा और ट्विटर पर लिखा कि भाजपा के एजेंडे में सिर्फ ‘चुनाव’ है और भाजपा राज में उम्मीदवारों को सिर्फ ‘तनाव’ का सामना करना पड़ता है। आज के युवा कहते हैं कि उन्हें भाजपा नहीं चाहिए! भाजपा जाएगी तो नौकरियां आएंगी। वहीँ बसपा प्रमुख मायावती ने एक बयान में कहा कि गरीबी, बेरोजगारी और महंगाई आदि की मार झेल रहे छात्रों के प्रति यूपी सरकार का रवैया क्रूरतापूर्ण नहीं बल्कि सहयोग और सहानुभूति वाला होना चाहिए।

उधर यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने छात्रों से कानून हाथ में न लेने की अपील की है। उन्होंने कहा, ”सभी सक्षम अधिकारी छात्रों की मांगों को संवेदनशीलता से सुनें और त्वरित समाधान निकालें। सुनिश्चित करें कि छात्रों का कीमती समय आंदोलन में न जाए, बल्कि अपनी तैयारी में व्यतीत हो।” हालांकि विपक्ष पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, ”अखिलेश यादव को छात्रों के मुद्दों पर बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है। उन्हें अपने शासन के दौरान हुई भर्तियों में भ्रष्टाचार को याद रखना चाहिए।

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