लोकसभा चुनाव के लिए कल वोटों की गिनती होगी। सभी पार्टियां, खासकर विपक्षी दल यह सुनिश्चित करने के लिए ‘सतर्क’ हैं कि मतगणना में कोई धांधली न हो और कोई अपनी मनमानी न कर पाए। विपक्षी दलों के कार्यकर्ता लगातार मतगणना केंद्रों के बाहर समूहों में रहकर स्थिति पर नजर रख रहे हैं। किसान संगठन और नागरिक समाज ने भी लगातार यह मुद्दा उठाया है कि मतगणना के दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो। रविवार को दिल्ली में विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से मुलाकात की और मांग की कि सबसे पहले डाक मतपत्रों की गिनती शुरू की जाए। इससे पहले किसान मोर्चा ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर समय-समय पर वोटों का सही ब्योरा जनता के साथ साझा करने का मुद्दा उठाया है। दूसरी ओर नागरिक समाज का यह भी कहना है कि चुनाव आयोग समय-समय पर मतदान के आंकड़ों में बदलाव करता रहता है, जिससे आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं।
विपक्षी दलों का कहना है कि फॉर्म सी-17 के मिलान के बाद ही मतगणना शुरू की जानी चाहिए। इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे इंडिया अलायंस के प्रत्याशी और उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता मतदान के बाद लगातार ईवीएम स्ट्रांग रूम और मतगणना केंद्रों पर नजर रख रहे हैं। अजय राय ने बताया कि कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे खराब होने की खबरें आई थीं, जिन्हें शिकायत के बाद ठीक करा दिया गया है। कांग्रेस की तैयारियों के बारे में उन्होंने कहा कि हर मतगणना केंद्र पर 8 से 10 कार्यकर्ता तैनात किए गए हैं। ये कार्यकर्ता लगातार 8 से 9 घंटे की शिफ्ट में मतगणना केंद्र के बाहर तैनात हैं।
इसी तरह उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी ने भी अपने कार्यकर्ताओं को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज लखनऊ में कहा कि “एजेंटों के पास फॉर्म 17 सी की कॉपी है, हमारी पार्टी के कार्यालय में वो सारे फॉर्म मौजूद हैं, क्योंकि हमें पता था कि भाजपा किसी “षड्यंत्र” में शामिल हो सकती है, इसलिए हमने पहले दिन से ही पूरी जानकारी रखी है। बता दें कि हर मतदान केंद्र पर पीठासीन अधिकारी को एक फॉर्म दिया जाता है, जिसे उसे ऑनलाइन भरना होता है। यह काम मतदान प्रक्रिया खत्म होने के तुरंत बाद करना होता है। इस फॉर्म में इस बात का ब्योरा होता है कि कितने लोगों ने वोट दिया, कितने वोट देने नहीं आए और कितने लोग मतदान के योग्य नहीं माने गए। यह भी भरना होता है कि मतदान के दौरान कितनी ईवीएम का इस्तेमाल हुआ। कंट्रोल यूनिट और बैलेट यूनिट का नंबर और संख्या भी बतानी होती है। इस प्रक्रिया से किसी भी मतदान केंद्र पर मतदान की स्थिति स्पष्ट हो जाती है और वोट प्रतिशत में किसी तरह की गड़बड़ी की संभावना नहीं रहती।