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भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया में पहचान देने वाला दुनिया से चला गया

नेशनलभारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया में पहचान देने वाला दुनिया से चला गया

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भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया में एक नई पहचान देने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आज रात 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. एक ऐसा नेता, एक ऐसा अर्थशास्त्री आज हमसब के बीच नहीं रहा, पूरा देश मनमोहन सिंह के निधन पर दुखी है. मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। इन 10 सालों में उन्होंने कभी छुट्टी नहीं ली, सिवाय 2009 के जब उन्हें हार्ट बाईपास सर्जरी करानी पड़ी थी। वे हर दिन 18 घंटे काम करते थे और करीब 300 फाइलें निपटाते थे। लेकिन उनके शांत स्वभाव के कारण लोग उन्हें एक कमजोर नेता मानने लगे थे।

जब उन्होंने 2014 में यह साफ किया कि वे तीसरी बार प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे, तो उन्होंने कहा था, ‘समकालीन मीडिया और विपक्ष की तुलना में इतिहास मेरे साथ ज्यादा न्याय करेगा।’ आज उनके निधन के बाद लोग उनके योगदान को याद कर रहे हैं।

1991 में जब देश की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही थी, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाया था। उस समय भारत भारी कर्ज में डूबा हुआ था और उसका विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका था। मनमोहन सिंह ने एक बड़ा फैसला लिया और भारत को खुले बाजार की ओर ले गए। उन्होंने लाइसेंस-परमिट राज को खत्म किया, करों में कमी की, विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया और भारत में व्यापार करना आसान बनाया। उनका यह कथन आज भी याद किया जाता है:

‘दुनिया की कोई भी ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया हो।’ इन फैसलों ने भारत की अर्थव्यवस्था को नई गति दी। पहली बार भारत वैश्विक आर्थिक मंच पर मजबूत नजर आने लगा। प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह ने कई अहम कदम उठाए। 2005 में उन्होंने अमेरिका के साथ परमाणु समझौते की पहल की। ​​विपक्ष और वामपंथी दलों ने इसका कड़ा विरोध किया, लेकिन मनमोहन सिंह अडिग रहे।

उन्होंने ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) लागू की, जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिला। जनता को सूचना का अधिकार दिया। हर बच्चे को मुफ्त शिक्षा का अधिकार दिया।

उनके कार्यकाल में कई विवाद हुए। 2जी स्पेक्ट्रम, कोलगेट और कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे घोटालों ने उनकी छवि को दागदार कर दिया। हालांकि, इन घोटालों की जांच में आज तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला। 2008 में उनकी सरकार पर संकट आया जब वामपंथी दलों ने अपना समर्थन वापस ले लिया। लेकिन मुलायम सिंह और मायावती के समर्थन से उनकी सरकार बच गई।

मनमोहन सिंह हमेशा अपने शांत स्वभाव और सादगी के लिए जाने जाते थे। वे न तो अपने भाषणों में उत्साह दिखाते थे और न ही किसी विवाद में उलझते थे। उनका काम ही उनकी पहचान थी। मनमोहन सिंह ने भारत को आर्थिक संकट से उबारा और देश को दुनिया में नई पहचान दिलाई। उन्होंने साबित किया कि बिना शोर मचाए भी बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। उनके निधन से भारत ने एक ऐसा नेता खो दिया है जिसने सादगी, ईमानदारी और मेहनत से देश की सेवा की।

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