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खुलने लगीं अश्विन के औचक संन्यास की परतें!

आर्टिकल/इंटरव्यूखुलने लगीं अश्विन के औचक संन्यास की परतें!

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अमित बिश्नोई
भारतीय टीम के अबतक के सबसे सफल ऑफ स्पिनर रहे रविचंद्रन अश्विन ने ब्रिस्बेन टेस्ट की समाप्ति पर अचानक जब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की तो सभी हैरान हो गए और तभी से इस बात की चर्चा हो रही थी कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि श्रंखला बीच में ही छोड़कर अश्विन को संन्यास लेने जैसा फैसला करना पड़ा. सवाल तो काफी उठ रहे थे लेकिन जवाब नहीं मिल रहा था, हालाँकि सन्यास की घोषणा वाले दिन कप्तान रोहित शर्मा की बातों से थोड़े बहुत इशारे ज़रूर मिल रहे थे. वो संकेत अब धीरे धीरे बड़े हो रहे हैं और अब सन्यास की वजहें भी खुलकर सामने आने लगी हैं, अब जो जानकारी सामने आ रही उसके हिसाब से अश्विन ने ऐसे ही अचानक संन्यास का फैसला नहीं किया, उस दिन टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम और चेंजिंग रूम में काफी कुछ हुआ, उसकी कुछ तस्वीरें भी अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं जो बता रही हैं कि उस दिन हेड कोच गौतम गंभीर से उनकी काफी हॉट टॉक हुई थी. कहा तो ये भी जा रहा है कि अश्विन जो पहले से ही ब्रिस्बेन में न खिलाये जाने पर भरे पड़े हुए थे, गंभीर के साथ उस दिन किसी बात पर कुछ तल्ख़ कलामी हुई जो काफी आगे बढ़ गयी और फिर मैच की समाप्ति पर अश्विन ने रोहित शर्मा की मौजूदगी में मीडिया के सामने अपने सन्यास का बम फोड़ दिया।

दरअसल अश्विन एक शर्त के साथ ही ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने के लिए राज़ी हुए थे और वो शर्त ये थी कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे पर बेंच पर नहीं बिठाया जायेगा। ये बात साबित करती है कि अश्विन ने ऑस्ट्रेलिया के दौरे को अपना आखरी विदेशी दौरा माना हुआ था और सीरीज़ के आखरी टेस्ट मैच जो सिडनी में होने वाला है उसमें वो शायद अपने सन्यास की घोषणा करते, अश्विन के करीबियों के मुताबिक वो सिडनी में इस बात का एलान करते कि WTC का फाइनल उनका आखरी टेस्ट होगा, क्योंकि तब तक स्थिति काफी स्पष्ट हो चुकी होती कि भारत फाइनल में पहुंचेगा या नहीं। अगर भारत के फाइनल में पहुँचने के मौके नहीं होते तो अश्विन सिडनी को ही अपना अंतिम टेस्ट घोषित कर रिटायरमेंट का एलान कर देते। लेकिन अश्विन को तब बड़ा धक्का लगा जब पर्थ में खेले गए पहले टेस्ट मैच में उनकी जगह वाशिंगटन सूंदर को उतार दिया गया. ये एक तरह से टीम मैनेजमेंट की अश्विन से वादा खिलाफी कही जाएगी। इसीलिए अश्विन ने पर्थ टेस्ट के दौरान ही कोई बड़ा कदम उठाने का फैसला कर लिया था, शायद पर्थ टेस्ट के दौरान ही अश्विन रिटायरमेंट का एलान कर देते मगर तब तक रोहित शर्मा पर्थ पहुचंकर टीम से जुड़ चुके थे और उन्होंने अश्विन को थोड़ा रुकने को कहा. बताया जा रहा है कि रोहित के कहने पर अश्विन मान भी गए, रोहित ने इस बात का खुलासा अपनी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान भी किया।

बहरहाल अश्विन को एडिलेड में मौका दिया गया, संयोग से भारत वो टेस्ट मैच हार गया और अश्विन की परफॉरमेंस भी कोई बहुत ख़ास नहीं रही, हालाँकि एडिलेड में स्पिनर के लिए कोई मौका भी नहीं था. यहाँ अश्विन ने एक विकेट लिया वहीँ ऑस्ट्रेलिया के लिए नाथन लॉयन ने भारत की दोनों पारियों में सिर्फ एक ही ओवर फेंका, ऐसे में अश्विन की गेंदबाज़ी को कम आंकना एकदम गलत था. उनके प्रदर्शन को ठीक ठाक ही कहा जाएगा। कम से कम एडिलेड के हालात को देखते हुए अश्विन का प्रदर्शन ऐसा तो बिलकुल भी नहीं था कि अगले ही टेस्ट मैच में उन्हें बाहर कर दिया जाता। ब्रिस्बेन में जडेजा उनकी जगह शामिल हुए. जडेजा ने तीसरे टेस्ट मैच में 77 रनों की एक उपयोगी और महत्वपूर्ण पारी ज़रूर खेली लेकिन जहाँ तक गेंदबाज़ी की बात है तो बिलकुल बेसर साबित रहे. पहली पारी में उन्होंने 23 ओवर गेंदबाज़ी की और 95 रन देकर कोई भी कामयाबी हासिल नहीं कर सके. यहाँ पर अगर हम अश्विन को एक गेंदबाज़ के तौर पर देखें तो 23 ओवर की गेंदबाज़ी करने के बाद वो यकीनन जडेजा से बेहतर साबित होते। दरअसल अश्विन को वादाखिलाफी का मलाल था, अश्विन को वाशी सूंदर या जडेजा को प्लेइंग इलेविन में शामिल करने से कोई ऐतराज़ नहीं था, उन्हें ऐतराज़ अगर था तो यही था कि जब श्रंखला से पहले ही उन्होंने अपनी बात टीम मैनेजमेंट के सामने रख दी थी तो फिर उनके साथ इस तरह बर्ताव क्यों किया गया.

हमें लगता है कि अगर सच में अश्विन ने टीम मैनेजमेंट से इस तरह का कोई वादा लिया था तो कम से कम दौरे की शुरुआत तो अश्विन के साथ ही होनी चाहिए थी, पर्थ में अगर अश्विन को मौका मिलता और अगर वो नाकाम रहते तो उन्हें भी आगे ड्राप होने में शायद उतना बुरा नहीं लगता, मेरे हिसाब से चीज़े पर्थ से ही बिगड़ गयी थीं. गंभीर का स्वभाव किसी से छिपा नहीं है, इसलिए जब गंभीर को टीम इंडिया की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी तब से ही कहा जा रहा था कि उनके लिए अपना तीन वर्षों का कार्यकाल पूरा करना बड़ा मुश्किल है. आप देखेंगे कि गौतम गंभीर के आने के बाद टीम इंडिया की गाड़ी पटरी से उतरी हुई है, टीम के सभी बड़े खिलाड़ियों से उनके सम्बन्ध वैसे नहीं हैं जैसे कि रवि शास्त्री या राहुल द्रविड़ से थे. बहरहाल महान गावस्कर के मुताबिक बीच श्रंखला में अपने संन्यास का बम फोड़कर अश्विन ने अच्छा नहीं किया। गावस्कर का मानना है कि सिडनी में अश्विन की कमी खलेगी, उन्हें जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए थी, WTC फाइनल के लिए अश्विन जैसे खिलाडी की टीम को सख्त ज़रुरत है लेकिन समझ में आने लगा है कि आखिर एक सुलझे हुए क्रिकेट ने आखिर सन्यास जैसा कदम क्यों उठाया। इस मामले में अभी और परतें खुलनी बाकी हैं और वो परतें जब खुलेंगी तो नए धमाके भी होंगे।

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