सरकार के तमाम दावों के बावजूद कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय डर और खौफ के माहौल में जी रहा है, आतंकी हमलों के खौफ से कश्मीरी पंडितों का घाटी से निकलना लगातार जारी है. जानकारी के मुताबिक सीमावर्ती शोपियां ज़िले के चौधरीकुण्ड गाँव में जहाँ कश्मीरी पंडितों की अच्छी खासी तादाद थी कश्मीर छोड़ कर जा चुके थे सिवाय डॉली कुमारी के लेकिन अब उनका भी हौसला टूट गया और सरकार पर से विश्वास उठ गया. लक्षित हत्याओं का सिलसिला न रुकने की वजह से उन्होंने भी कश्मीर से पलायन कर लिया है.
घाटी छोड़ने से पहले डॉली कुमारी ने कहा कि यहाँ डर का माहौल है और मैं कितने दिन इस माहौल में जियूँगी। डॉली ने कहा कि हमारे सभी लोग गाँव छोड़कर पहले ही चले गए लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी, सोचा सरकार कह रही है तो हालात जल्द ही सामान्य हो जायेंगे लेकिन कुछ भी नहीं बदला, बल्कि माहौल और भी ज़्यादा खराब होता जा रहा है, आतंकियों का खौफ और भी बढ़ता जा रहा है, टारगेट किलिंग की घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं, हिम्मत और बहादुरी ने जवाब दे दिया है, इसलिए भरे मन से अपने घर को छोड़कर जा रही हूँ.
बता दूँ कि आतंकी हमलों के बाद मई से अब तक कश्मीरी पंडितों के 17 परिवार घाटी छोड़ चुके हैं। इसके अलावा इस वर्ष कश्मीर में प्रवासियों और अल्पसंख्यकों पर हुए आतंकी हमलों में अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें 3 कश्मीरी पंडित शामिल हैं। कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (KPSS) के मुताबिक कश्मीरी पंडितों के 17 परिवारों ने आतंकवादी हमलों के बीच मई से दक्षिण कश्मीर में अपना घर छोड़ दिया है। KPSS अध्यक्ष सजय टिक्कू ने कहा कि मैं उनसे बात करूंगा कि किस वजह से उन्हें कश्मीर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। सजय टिक्कू ने बताया कि इस साल पूरे कश्मीर में अल्पसंख्यकों और प्रवासियों पर टारगेट किलिंग में कम से कम 17 लोग मारे गए हैं।