नाग पंचमी के मौके पर पूजा के लिए सांपों की डिमांड काफी बढ़ जाती है। मेरठ के कुछ गांव ऐसे हैं जहां पर सपेरा प्रजाति के लोग निवास करते हैं। सावन के महीने और नाग पंचमी के मौके पर सांप की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। यह महत्व उस दौरान और बढ़ जाता है जबकि किसी व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष का योग होता है। ज्योतिषाचार्यो की माने तो कुंडली में काल सर्प दोष को दूर करने के लिए जीवित सांप की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसे में जिन जातकों की कुंडली में काल सर्प दोष होता है वो इसको शांत करवाने के लिए ही जीवित सांप की पूजा करवाते हैं। मेरठ चूंकि प्राचीन जनपद है और यह वन आच्छादित है तो यहां पर सपेरा प्रजाति के लोग काफी संख्या में निवास करते हैं। मेरठ की हस्तिनापुर वन्य सेंक्चुअरी में सांपों की विभिन्न प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं। वन विभाग की चोरी से सपेरा प्रजाति के लोग सावन के महीने में पूजा के लिए सांपों को पकड़कर लाते हैं और पूजा समाप्त होने के बाद जंगल में ही छोड़ देते हैं।
हस्तिनापुर वन्य सेंक्युअरी की सीमा मेरठ सहित अन्य पांच जिलों में फैली हुई है। इसका क्षेत्रफल 2073 वर्गकिमी का है। यहां पर अजगर से लेकर विषैले किंग कोबरा तक की प्रजाति पाई जाती है। किंग कोबरा दुर्लभ प्रजाति का सांप है यह गंगा के खादर के किनारे के इलाकों में पाया जाता है। बिजनौर के सटे खादर के इलाकों और सेंक्युअरी के कई गांवों में यह कोबरा देखा गया है। इसके अलावा हस्तिनापुर सेंक्युअरी में वाइपर, बैंडेट करैत, करैत के अलावा अन्य सांपों की प्रजातियां पाई जाती हैं। हस्तिनापुर सेंक्युअरी में सावन महीने के अलावा नागपंचमी में सांप पकड़ने वाले सपेरों की सक्रियता अधिक बढ़ जाती है। सपेरों से बात करने पर बताया कि जंगल से सांप पकड़ने के माहिर लोगों की वो मदद लेते हैं। पूजा के लिए फन वाले सांप को पकड़ने में काफी मुश्किल आती है। सांप को पकड़ने में काफी समय लगता है।