टेक डेस्क। गूगल ने एंड्रायड और प्ले स्टोर में कई बदलावों की घोषणा की है, इसमें डिफाल्ट सर्च की सुविधा मिलेगी और प्री-लोडेड गूगल एप्स से छुटकारा मिलेगा।
बता दे, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) ने स्मार्टफोन इकोसिस्टम में गूगल द्वारा प्रतिस्पर्धा नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। जिसके बाद सीसीआइ के दिशा-निर्देशों पर सहमत गूगल एंड्रायड से संबंधित बदलावों के लिए तैयार हो गया।
जिन मुद्दों को लेकर गूगल पर आरोप है वे है – एंड्रायड स्मार्टफोन में प्री-इंस्टाल्ड एप, सर्च इंजन का विकल्प न होना, प्री लोडेड गूगल एप्स को अनइंस्टाल न कर पाना और प्ले स्टोर पर थर्ड पार्टी बिलिंग एप नहीं होना।
वही Google के एंड्रायड का बाजार वर्चस्व क्रास-सब्सिडी के माडल पर आधारित है, इसमें गूगल सर्च इंजन और ई-मेल जैसी सेवाएं मुफ्त देकर बड़ा यूजर बेस बनता है। साथ ही व्यापक यूजर बेस का फायदा विज्ञापन राजस्व के लिए उठाते है।
इसके अलावा, थर्ड पार्टी एप्स भी गूगल की मर्जी के खिलाफ नहीं जा सकते और गूगल विज्ञापन इकोसिस्टम के दोनों हिस्सों को नियंत्रित कर यूजर को दिखता है। ऐसे ही गूगल एक वाल्ड गार्डन बनता है।
Google App पालिसी
गूगल सीसीआइ दिशा-निर्देशों के तहत बदलावों के लिए तैयार है, लेकिन ये थोड़ा मुश्किल काम है। इसके लिए गूगल को अपने एंड्रायड इकोसिस्टम में काफी परिवर्तन करने होंगे।
अब एंड्रायड यूजर्स को डिफाल्ट सर्च इंजन चुनने का ऑप्शन मिलेगा और ‘वाया ए च्वाइस स्क्रीन’ के जरिये डिफाल्ट सर्च इंजन चुनने का विकल्प भी होगा।
इन सब के अलावा, यूजर्स को बिलिंग के अन्य विकल्प मिलेंगे, इसके बाद डेवलपर्स के पास गूगल प्ले बिलिंग सिस्टम के साथ-साथ वैकल्पिक बिलिंग सिस्टम आफर कर पाएंगे। इन-एप डिजिटल कंटेंट को खरीदने के लिए यूजर अन्य माध्यमों का भी प्रयोग कर सकेगे। बता दे, 2021 में कोरिया में गूगल ने प्ले स्टोर डेवलपर्स को वैकल्पिक पेमेंट चुनने का विकल्प भी दिया था।
(Image/Pixabay)