अमित बिश्नोई
कई बरस पहले एक हिंदी फिल्म आयी थी जिसमें अक्षय कुमार ने एक खलनायक टाइप का किरदार निभाया था, नायक जैसा किरदार बॉबी देओल का था. इस फिल्म में पत्नियों के swapping यानि अदला बदली की बात होती है, ये ऑफर ज़ाहिर सी बात है कि खलनायक यानि अक्षय कुमार की तरफ से आता है और फिर इस ऑफर पर नायक का गुस्सा होना भी लाज़मी है. बहरहाल इस फिल्म के इस प्लाट का ज़िक्र इसलिए किया जा रहा है क्योंकि महाराष्ट्र में सरकार के गठन के समय भी कुछ इसी तरह मामला सामने आया है. फिल्म में तो swapping नहीं हुई थी लेकिन महाराष्ट्र सरकार के गठन में तो swapping यानि अदला बदली हुई है, अब ये अदला बदली मर्ज़ी से हुई है या मज़बूरी से ये एक अलग विषय है. सीएम और डिप्टी सीएम की स्वैपिंग। पहले तुम्हें सीएम बनाया, मैं सीएम से डिप्टी बना, अब तुम्हारी बारी, मैं सीएम बनूँगा और तुम सीएम से डिप्टी। पिछले 11-12 दिनों के जद्दोजेहद के बाद आखिरकार अदला बदली की ये डील फाइनल हो गयी और प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की मौजूदगी में शपथ ग्रहण के रूप में इस पर राज्यपाल ने औपचारिक मुहर भी लगा दी.
महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव नतीजे जिस तरह के आये थे उससे एकबात तो पक्की हो गयी थी कि इस बार भाजपा सरकार का नेतृत्व करेगी। फडणवीस सीएम बनेंगे, ये बात भी लगभग पक्की थी, हालाँकि कई और नाम भी उछले थे लेकिन वो सिर्फ अफवाह भर थे. सवाल बस इस बात पर उठ रहा था कि जब सबकुछ आईने की तरह साफ़ है तो फिर देर किस बात की हो रही है. क्यों इतना सस्पेंस फैलाया जा रहा है. कहा जा रहा था कि एकनाथ शिंदे फिर से मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, उनसे चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बनाने का वादा भी किया गया था लेकिन चुनाव पूर्व और चुनाव के बाद हालात में ज़मीन आसमान का फर्क आ चूका था. डिप्टी सीएम का पर्याय बन चुके एनसीपी के अजित पवार ने तो फ़ौरन अपनी इच्छाओं को एकबार फिर दबा कर साफ़ कह दिया कि वो एकबार उपमुख्यमंत्री बनने को तैयार हैं लेकिन एकनाथ शिंदे को चूँकि अचानक मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली थी इसलिए उसका मोह वो छोड़ नहीं पा रहे थे और यही वजह थी कि सच्चाई जानते हुए भी वो अनजान बनने का नाटक कर रहे थे.
पिछले 11 दिनों में उन्होंने क्या क्या नहीं किया, यहाँ तक कि बीमार भी पड़ गए, मगर भाजपा किसी भी तरह से नरम होने को तैयार न थी, नौबत यहाँ तक आ गयी कि उनकी पार्टी के अंदर ही उनके खिलाफ आवाज़ उठने लगी, कहा जाने लगा कि पार्टी विधायक शिंदे पर दबाव डाल रहे हैं कि वो उपमुख्यमंत्री बनना स्वीकार करें। मगर शिंदे किसी भी तरह राज़ी नहीं हो रहे थे, यहाँ तक कि शपथग्रण की तारीख का भी एलान हो गया मगर शिंदे की तरफ से रज़ामंदी नहीं मिली। फिर पता चला कि शिवसेना विधायकों ने शिंदे को एक तरह से चेतावनी दे दी कि अगर शिंदे डिप्टी CM नहीं बनते हैं तो पार्टी से कोई दूसरा इस पद को नहीं स्वीकारेगा और फिर आख़िरकार शिंदे को पार्टी विधायकों की बात माननी पड़ी और फिर वो फडणवीस के डिप्टी बनने को राज़ी हुए, हालाँकि कल के शपथ ग्रहण में जो चमक फडणवीस और अजीत पवार के चेहरे पर थी वो एकनाथ शिंदे के चेहरे से गायब थी. एक निराशा सी उनके चेहरे पर दिखाई दे रही थी. उनकी ज़बान से निकले शब्द उनके चेहरे की भाव भंगिमाओं से मेल नहीं खा रहे थे.
वैसे कहा तो ये भी जा रहा कि एकनाथ शिंदे ये सारा नाटक खुद करवा रहे थे, उन्हें भाजपा की तरफ से ये स्पष्ट रूप से बता दिया गया था कि या तो केंद्र में जाइये या फिर डिप्टी बनिए, वरना भाजपा के पास और भी विकल्प हैं जो महाराष्ट्र की राजनीती में भाजपा के भविष्य के लिए और भी अच्छे हैं. वैसे सीएम बनने के बाद फडणवीस ने भी इस बात का खुलासा किया कि जब उन्हें मुख्यमंत्री के बाद डिप्टी मुख्यमंत्री बनना पड़ा था तो वो भी बहुत हिचकिचाहट महसूस कर रहे थे लेकिन पार्टी हित में उन्होंने उपमुख्यमंत्री बनना स्वीकार किया। फडणवीस ने कहा वो शिंदे की कश्मकश को महसूस करते हैं, जो मनोदशा कभी उनकी थी, वही शिंदे की थी लेकिन पार्टी हित में जैसे मैंने उपमुख्यमंत्री बनना स्वीकार किया वैसे ही शिंदे ने भी पार्टी हित में ये फैसला किया। फडणवीस ने कहा कि उन्होंने शिंदे को सलाह दी कि सरकार में रहोगे तो पार्टी मज़बूत रहेगी, सरकार से बाहर रहोगे तो पार्टी को संभालना मुश्किल हो जायेगा। फडणवीस ने एक तरह से शिंदे को इशारा दिया कि भविष्य में उनके साथ क्या हो सकता है, इसकी पूर्व में बहुत सी मिसालें हैं जिन्हें भाजपा ने ही स्थापित किया है. समझदार को इशारा काफी होता है, शिंदे को एक समझदार नेता ही माना जाता है और शिंदे की समझ में आ गया कि अदला बदली करने में ही उनकी और पार्टी की भलाई है. खैर महाराष्ट्र में पिछली सरकार में मुख्यमंत्री के उपमुख्यमंत्री बनने का जो सिलसिला शुरू हुआ था वो इसबार आगे बढ़ा है, कह सकते हैं कि एक नई परम्परा का जन्म हुआ है और swapping की इस परंपरा के आगे भी जारी रहने की उम्मीद है.