सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने वाराणसी में अपनी कार पर हमला करने की कोशिश करने वालों पर हमला करता हुए कहा कि इन छोटे मोटे गुंडों द्वारा स्याही फेंकने या गाड़ी पर काले कपडे फेंकने से इस देश के करोड़ों-करोड़ों आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों और महिलाओं के सम्मान की बात करने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि क्या अपने घर को ठीक करना घर को ढहाना कहा जाता है.
गाली देने वाला धर्म इन्हें ही मुबारक
सपा नेता ने कहा कि धर्म के नाम पर महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों का अपमान करने को ये लोग अपना धर्म मानते हैं? उन्होंने कहा कि अगर गाली देना ही धर्म है तो ऐसा धर्म इन्हें ही मुबारक। उन्होंने कहा कि हमने तो धर्म के नाम पर देश की महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों को अपमानित करने वाली टिप्पणियां रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों का ही विरोध किया है। उन्होने कहा कि हिन्दू धर्म में हम सभी पैदा हुए हैं इसलिए अपने घर को ठीक करने को घर ढहाना नहीं होता। उन्होने कहा कि ये लोग हिंदू मुस्लिम के नाम पर राजनीति करते हैं क्योंकि इनकी राजनीति का आधार ही हिंदू-मुस्लिम है। उन्होने कहा कि लोग विकास के मुद्दे पर बात क्यों नहीं करते, बेरोज़गार नौजवानों को रोज़गार दिलाने की बात क्यों नहीं करते, महंगाई को रोकने की बात क्यों नहीं करते, सरकारी संपत्तियों को निजी हाथों में बेचने से बचने की बात क्यों नहीं करते।
अपने बयान पर कायम हैं सपा नेता
स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बात पर अब भी अड़े हुए हैं. सपा नेता ने कहा कि जब मैंने कोई गलत बात की ही नहीं तो पीछे क्यों हटूं, सपा नेता ने कहा कि मैंने रामचरित मानस की जिन चौपाइयों का विरोध किया है और उन्हें ग्रन्थ से हटाने की मांग की है क्या उनमें दलितों, पिछड़ों, महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं किया गया है क्या उन्हें गाली नहीं दी गयी है. सपा नेता ने कहा कि हमने किसी के आराध्य पर कोई सवाल नहीं उठाया।