उत्तर प्रदेश में कई ऐसी सीटें हैं जिन्हें VIP का दर्जा मिला हुआ है. इनमें अमेठी. रायबरेली, वाराणसी, लखनऊ, मैनपुरी की सीटें शामिल हैं लेकिन एक और सीट रामपुर की है जिसपर अभी तक सस्पेंस बना हुआ है। इस बार चूंकि आज़म खान की फैमिली जेल की सलाखों के पीछे है तो सवाल यही है कि अगर आज़म खान के घर से कोई नहीं तो फिर कौन? क्योंकि आज़म खान के करीबी भी मुकदमों में फंसे है और कुछ तो सजा भी काट रहे हैं. समाजवादी पार्टी के लिए इस लिहाज़ से रामपुर की अहमियत और भी बढ़ जाती है क्योंकि रामपुर सपा का गढ़ माना जाता है, हालाँकि उपचुनाव में सपा का ये गढ़ ढह गया और भाजपा का कब्ज़ा हो गया.
अब रामपुर से कौन लड़ेगा बड़ा सवाल है, कहा जा रहा है कि आज़म खान चाहते हैं कि रामपुर से अखिलेश यादव चुनाव लड़ें, अभी हाल ही में अखिलेश ने सीतापुर जेल में जाकर आज़म खान से मुलाकात की. वैसे तो कहा गया था कि अखिलेश आज़म खान का हालचाल लेने जेल में मुलाकात करने गए थे लेकिन सच तो ये है कि ये मुलाकात रामपुर को लेकर थी. इसी मुलाकात में आज़म ने अखिलेश पर दबाव डाला था कि वो रामपुर की ज़िम्मेदारी संभालें। कुछ इसी तरह की मांग रामपुर से पार्टी कार्यकर्ताओं की भी आ रही है। कहा तो ये भी जा रहा है कि अखिलेश पर इतना दबाव है कि अगर वो रामपुर से चुनाव नहीं लड़ते तो सपा कार्यकर्ता कहिये या फिर आज़म खान समर्थक चुनाव का बहिष्कार भी कर सकते हैं।
उधर अखिलेश यादव इस बात से बिलकुल सहमत नज़र नहीं आते. अखिलेश ने वैसे तो लोकसभा चुनाव लड़ने की अभी तक कोई बात नहीं कही है। वो चुनावी कैम्पेन पर ज़्यादा ध्यान देना चाहते हैं, वो चुनाव लड़कर अपने को किसी एक क्षेत्र में ज़्यादा समय तक फंसाना नहीं चाहते। अब देखना है कि रामपुर से अगर अखिलेश नहीं तो फिर कौन होगा वो उम्मीदवार जो सपा के इस गढ़ में साइकिल की वापसी करा सकता है.