सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को कल शाम 5 बजे तक काम पर लौटने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि आप काम पर नहीं आते हैं, तो आपके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए किसी को जिम्मेदार न ठहराएं।सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही ये आश्वासन बी दिया कि उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी, जिसमें दंडात्मक तबादले भी शामिल हैं।
अदालत का यह निर्देश अस्पताल परिसर में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ क्रूर बलात्कार और हत्या के बाद चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच आया है, जिसने चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा और संरक्षा को लेकर व्यापक आक्रोश और चिंताओं को जन्म दिया है।
मामले की स्वत: संज्ञान सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने कहा कि “विरोध कर्तव्य की कीमत पर नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर डॉक्टर काम पर नहीं लौटते हैं, तो हम सरकार को अनुशासनात्मक कार्रवाई करने से नहीं रोक सकते। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि डॉक्टर काम पर लौटें। वे सेवा देने के लिए एक सिस्टम में हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार को डॉक्टरों के मन में विश्वास पैदा करने के लिए कदम उठाने और यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि उनकी सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं का उचित तरीके से समाधान किया जाए।
कोर्ट ने आदेश दिया, “पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि सभी डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ बनाई जाएँ। डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता गीता लूथरा ने तर्क दिया कि चल रही उथल-पुथल के बीच चिकित्सा पेशेवरों को धमकाया जा रहा है। सुरक्षा चिंताओं के जवाब में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को डॉक्टरों और अस्पताल के कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
अदालत ने आदेश दिया कि केवल वैध पहचान पत्र वाले व्यक्तियों को ही अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में जाने की अनुमति दी जाए, जिससे सख्त प्रवेश नियंत्रण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला जा सके।