सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के काम काज के आखरी दिन शीर्ष अदालत ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर अपना अहम फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि एएमयू का ‘अल्पसंख्यक संस्थान’ का दर्जा बरकरार रहेगा। AMU के अल्पसंखयक दर्जे के समर्थन में 7 जजों की बेंच ने 4-3 के बहुमत से यह फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया है।
फैसला सुनाते हुए शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 30 का हवाला दिया। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि किसी भी धार्मिक समुदाय को शिक्षण संस्थान स्थापित करने और चलाने का अधिकार है। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साल 2006 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान मानने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एएमयू प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके साथ ही तत्कालीन यूपी सरकार ने भी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस बीच साल 2016 में राज्य सरकार ने याचिका वापस लेने का फैसला किया था।
AMU के अल्पसंख्यक दर्जे का मामला साल 1967 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। इस मामले की सुनवाई 5 जजों की बेंच ने की थी। सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि सर सैयद अहमद खान ने एएमयू की स्थापना के लिए एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए चंदा इकट्ठा किया था। यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना था कि यूनिवर्सिटी की स्थापना अल्पसंख्यकों के प्रयासों से हुई है, इसलिए यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सर सैयद अहमद खान और उनकी कमेटी ब्रिटिश सरकार के पास गई थी। ब्रिटिश सरकार ने कानून बनाकर यूनिवर्सिटी को मान्यता दी थी। शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यूनिवर्सिटी का निर्माण न तो मुस्लिम समुदाय ने किया है और न ही इसे मुस्लिम समुदाय ने चलाया है। ऐसे में एएमयू को अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी का दर्जा नहीं दिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों के साथ एएमयू का अल्पसंख्यक का दर्जा छीन लिया था।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा एएमयू का अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा छीने जाने के 13 साल बाद यानी 1981 में केंद्र सरकार ने एएमयू एक्ट की धारा 2(1) में संशोधन कर एएमयू का अल्पसंख्यक का दर्जा बहाल कर दिया। कानून में एएमयू को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने की जो व्याख्या दी गयी है उसमें कहा गया है कि एएमयू से पहले मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की शुरुआत हुई थी। बाद में इसे चलाने वाली समिति ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की योजना तैयार की। ऐसे में विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलना चाहिए।