आपराधिक मामलों में दोषी आरोपियों के घरों को बुलडोज़र से नेस्तोनाबूद करने की राज्य सरकारों की बढ़ती घटनाओं पर आज देश की शीर्ष अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ा और कहना पड़ा कि “बुलडोजर न्याय” की बढ़ती प्रवृत्ति पर गंभीर चिंता का विषय है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि अगर कोई दोषी भी करार दिया जाए तो भी उसके घर पर बुलडोजर से नहीं चलवा सकते, सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह कानून के खिलाफ है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर दिशा निर्देश देने की भी बात कही.
कुछ राज्यों में इस प्रथा को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कानूनी प्रक्रियाओं का पालन सुनिश्चित करने और मौलिक अधिकारों का सम्मान करने के लिए अखिल भारतीय दिशा-निर्देशों की आवश्यकता पर जोर दिया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति गवई ने टिप्पणी की, “किसी व्यक्ति पर आरोप लगने के कारण उसका घर कैसे ध्वस्त किया जा सकता है? अगर वह दोषी भी है, तो भी उसका घर नहीं ध्वस्त किया जा सकता।”
हालांकि, पीठ ने माना कि अनधिकृत निर्माण ध्वस्त किए जा सकते हैं, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि ऐसी कार्रवाइयों में कानूनी प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को प्रस्तावित दिशा-निर्देशों के लिए मसौदा सुझाव प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया।
वरिष्ठ अधिवक्ता नचिकेता जोशी को इन प्रस्तावों को एकत्रित करने और उन्हें अदालत में पेश करने का काम सौंपा गया है। पीठ ने कहा, “हमें इस मुद्दे को अखिल भारतीय स्तर पर सुलझाने का प्रयास करना चाहिए।” अगली सुनवाई अब से दो सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।
न्यायालय का यह कदम राज्य सरकारों की बढ़ती जांच के बीच आया है, जिन्होंने अपराध के आरोपियों के खिलाफ दंडात्मक उपाय के रूप में विध्वंस का इस्तेमाल किया है। राजस्थान में हाल ही में एक मामले में स्थानीय अधिकारियों ने किराए के घर को ध्वस्त कर दिया जिसमें एक आरोपी और उसका परिवार रह रहा था। ऐसी कार्रवाइयों के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को काफी ख्याति प्राप्त हो चुकी है और लोग उन्हें बुलडोज़र बुलाते हैं, उन्हें बुलडोज़र न्याय का जनक कहा जाता है, उन्ही का अनुसरण करते हुए अन्य भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी बुलडोज़र न्याय पर अमल करने लगे हैं जिसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री ने किराये के घर पर बुलडोज़र चलवाकर योगी आदित्यनाथ को भी पीछे छोड़ दिया।