अमित बिश्नोई
2023 में इनफ़ोसिस के को फाउंडर नारयण मूर्ति ने भारत की कार्य संस्कृति को बदलने के लिए लोगों को 70 घंटे काम करने के लिए तैयार रहने को कहा था, अब इनमें 20 घंटे और जोड़ दिए गए है, मतलब अब प्राइवेट नौकरियां करने वालों को 90 घंटे काम करने और अपनी घरवाली से दूर रहने का ऑफर दिया गया है. यह ऑफर लार्सन एंड ट्यूब्रो के चेयरमैन एस एन सुब्रमणियम द्वारा कर्मचारियों को पेश किया गया है. इन्हें इस बात का भी अफ़सोस है कि ये अपने एंप्लॉयीज़ से रविवार को काम नहीं ले पाते, हालाँकि उनकी दिली ख्वाहिश है कि लोग इतवार को भी काम करें क्योंकि वो इतवार को काम करते हैं. अब ज़ाहिर सी बात है कर्मचारियों को कंप्यूटर बनाने की बात अगर कही जाएगी तो बवाल मचेगा ही, जब 70 घंटे पर इतना हंगामा मचा था कि नारायण मूर्ति जी को मूर्ति की तरह खामोश हो जाना पड़ा था तो फिर 90 घंटे काम की बात पर बवाल न मचता, ऐसा तो हो ही नहीं सकता था. तो L&T चेयरमैन के बयान पर भी कल से जमकर बवाल चल रहा है. सोशल मीडिया पर तो इसका अपना अलग ही रंग नज़र आ रहा है.
एस एन सुब्रमणियम साहब के 90 घंटे के बयान ने तो दिल्ली विधानसभा चुनाव और बिहार की राजनीतिक उठपटक की ख़बरों को एक साइड में कर दिया। इतना नाम तो उन्हें अपने इतने लम्बे समय के कारपोरेट जगत में उत्कृष्ट काम करके भी नहीं मिला होगा, अब तक उन्हें उद्योग जगत और उससे जुड़े लोग ही जानते होंगे लेकिन अब एस एन सुब्रमणियम साहब को देश का हर प्राइवेट एम्प्लोयी जान गया है, इतनी ख्याति, इतना नाम, इतनी शोहरत तो उन्हें करोड़ों खर्च करके भी नहीं मिलती जो उन्हें अपने एक बयान से मिल गयी. नाम कमाने का इन दिनों एक आसान तरीका निकला है, वो तरीका है कि कुछ ऐसा करो कि हर कोई आपकी आलोचना करने लगे. L&T के बॉस के साथ भी ऐसा ही हो रहा है, उनके बयान पर कर्मचारी संगठन, मज़दूर संगठन, NGO वगैरह तो आलोचनाएं कर ही रहे हैं, उद्योग जगत के लोग भी उनके बयान की घोर निंदा कर रहे हैं, और तो छोड़िये बॉलीवुड की हसीनाओं को भी L&T के बॉस की 90 घंटे काम करने वाली बात पसंद नहीं आयी और उन्होंने भी देश की सबसे बड़ी इंफास्ट्रक्चर कंपनी के चेयरमैन पर अपनी भड़ास निकाली।
अब जब बॉस ने ऐसा बयान दे ही दिया तो कंपनी भी उनके बचाव में सामने आ गयी और फिर नेताओं वाली बात, बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है. भारत में और भले कुछ टूटे या न टूटे मगर बयान अगर उल्टा पड़ गया तो सबसे पहले उसपर टूटने का इलज़ाम ज़रूर लगा दिया जाता है. कंपनी ने अपने बॉस के बयान पर फ़ौरन राष्ट्र निर्माण का लेबल चिपका दिया, इन दिनों बचने का सबसे आसान तरीका राष्ट्रवाद ही है. कंपनी तुरंत लोगों को आठ दशक पीछे लेकर चली गयी और कहा कि बड़ी मुश्किल से हम यहाँ पहुंचे हैं अब अगर हमें और आगे जाना है, मतलब विकासशील से विकसित राष्ट्र बनना है तो सामूहिक प्रयास करने होंगे। यहाँ पर कंपनी चीन को सामने लेकर आ गयी कि वहां पर लोग 90 घंटे काम करते हैं तभी चीन इतनी तरक्की कर रहा है. वैसे चीन में बुराइयां ही बुराइयां लेकिन L&T के बॉस ने चीन में 90 घंटे काम करने वाली अच्छी बात ढूंढ ही ली. अच्छी बात है बुराई में भी अच्छाई तलाशना चाहिए।
अब L&T के बॉस के मुताबिक अगर चीन बनने के लिए 90 घंटे काम करना ज़रूरी है तो इसका मतलब हुआ 6 दिनों में रोज़ाना 15 घंटे काम, एक घंटा आने और एक घंटा जाने का जोड़ें तो कुल 17 घंटे कंपनी को देना ज़रूरी। मतलब किसी कर्मचारी के पास सिर्फ 7 घंटे बचते हैं, जिसमें उसे सोना, नहाना, खाना, पत्नी को निहारना, बच्चों के साथ समय बिताना, माता -पिता अगर हैं तो उनकी भी कुछ सेवा करना, सबकुछ इन्ही सात घंटों में आपको करना है. इसमें पत्नी को निहारना अगर निकाल भी दें तब भी एक इंसान के पास काफी काम बचा रहता है, पत्नी को निहारना L&T के बॉस को बिलकुल पसंद नहीं, इसलिए उन्होंने अपने बयान में कहा कि कब तक पत्नी को निहारते रहोगे , ऑफिस में रहकर काम करो. यहाँ मैं 6 दिनों की बात इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि L&T के बॉस ने पहले जाता दिया है कि वो अपने कर्मचारियों से रविवार काम नहीं करा पाते, इसका उन्हें बड़ा अफ़सोस है, इसका मतलब वो 6 दिनों का हफ्ता मानकर ही चल रहे हैं.
L&T के बॉस के 90 घंटों के इस बयान से एक बात और भी सामने आयी, वो यह कि बयानवीर सिर्फ राजनीति में ही नहीं होते, कारपोरेट जगत में तो उससे भी बड़े बड़े पड़े हैं. जब इनफ़ोसिस वाले मूर्ति जी ने 70 घंटे काम वाली बात कही और उसकी जिस तरह फ़ज़ीहत हुई उसके बाद ऐसा लगा था कि आगे कोई इस तरह की बातें नहीं करेगा लेकिन L&T के बॉस ने बता दिया कि उनसे भी बड़े बड़े हैं. क्या पता कोई 100 घंटों का ऑफर लेकर आ जाय, वैसे देश के सर्वोच्च नेता कह चुके हैं कि वो 18 घंटे काम करते हैं, वह उनकी पर्सनल कैपसिटी है क्योंकि उनके साथ नॉन बायोलॉजिकल का ठप्पा लगा है, यहाँ पर L&T के बॉस सामूहिक बात कर रहे हैं यानि सबकी क्षमता 15 घंटे की हो. L&T कह रही है कि वहां पर जूनून और परफॉरमेंस का वर्क कल्चर है तो इससे जुड़ी एक बात और सबके लिए जानना बहुत ज़रूरी है, वह यह कि इस जूनून के लिए L&T के बॉस को कर्मचारियों के औसत वेतन से 534.57 गुना अधिक सैलरी मिलती है. इस अंतिम लाइन में L&T के जूनून की पोल खुल जाती है बाकी आप समझदार हैं.