Anantnag Encounter, Colonel Manpreet Singh: अनंतनाग एनकाउंटर में शहीद हुए कर्नल मनप्रीत सिंह का उनके पैतृक गांव भड़ौजियां में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान हजारों लोग शहीद बलिदानी को अंतिम नमन करने पहुंचे। शहीद के भाई संदीप सिंह ने उनके बेटे कबीर के साथ मुखाग्नि दी। इससे पहले शहीद के बेटे ने जय हिंद का नारा लगाया।
पंजाब के गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने परिवार को सांत्वना दी। पंजाब के मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा और मंत्री अनमोल गगन मान अंतिम संस्कार में शामिल हुए। कर्नल मनप्रीत के मासूम बेटे ने आर्मी की ड्रेस पहनकर पिता को सैल्यूट किया। इस दौरान एसपी डॉक्टर संदीप गर्ग और डीसी आशिका जैन सहित आला अधिकारी मौजूद रहे।
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में शहीद हुए भड़ौजियां गांव के सपूत कर्नल मनप्रीत सिंह 12 सिख लाइट इन्फेंट्री में भर्ती हुए थे। इस इन्फेंट्री में वे जिद के कारण शामिल हुए थे। कर्नल के भाई संदीप सिंह ने बताया कि सेना में भर्ती के समय जब उनसे पूछा गया कि वह किस बटालियन से जुड़ेंगे तो उन्होंने कहा था कि वह अपने दादा शीतल सिंह और पिता लखमीर सिंह वाली बटालियन 12 सिख लाइट इन्फेंट्री को ज्वाइन करेंगे।
मनप्रीत के दादा तीन भाई थे-शीतल सिंह, साधु सिंह और त्रिलोक सिंह। तीनों ने भारतीय सेना में सेवाएं दीं। शीतल सिंह ने भारत-पाक बंटवारे से लेकर सेना से सेवानिवृत्त होने तक तीन युद्धों में हिस्सा लिया। शीतल सिंह के चार बेटे हुए। उनमें से तीन सेना में भर्ती हुए हैं।
पिता हवलदार पद से रिटायर
शहीद कर्नल मनप्रीत के पिता लखमीर सिंह सेना में सिपाही थे। 12 सिख लाइट इन्फेंट्री में हवलदार के पद से रिटायर हुए थे। उसके बाद पंजाब यूनिवर्सिटी में सिक्योरिटी सुपरवाइजर के तौर पर नौकरी कर रहे थे। 2014 में ब्रेन हैमरेज से मौत हुई तो मनप्रीत के छोटे भाई संदीप सिंह को उनकी जगह नौकरी मिल गई। मनप्रीत की एक बहन है।
संदीप ने बताया कि जब हम छोटे थे तो देखते थे पापा अपने से बड़े अफसरों को सैल्यूट करते हैं। मनप्रीत ने तभी सोच लिया था कि वह एक दिन सेना में अफसर बनेंगे। जब पापा उनके साथ खड़े होंगे तो अफसर उन्हें सैल्यूट करेंगे, जिन्हें वो तब सैल्यूट करते थे। बहन संदीप कौर ने कहा कि उनके बड़े भाई शुरू से सेना में जाने की इच्छा रखते थे।
बचपन में उसकी प्रैक्टिल बनाते समय एक बार उन्होंने उसमें लिख दिया था कि वह सेना में जाएंगे। वह बहुत मेहनती और पढ़ाई में होशियार थे। भाई से राखी पर बात हुई थी। तब उन्होंने घर जल्द आने का कहा था। भाई हमेशा छुट्टी पर बिना बताए आकर सरप्राइज देता था।