राहुल की तारीफ या सच्चाई की स्वीकारोक्ति
अमित बिश्नोई
अपने अभिनय कॉल में तुलसी भाभी के रूप में नाम कमाने और फिर राजनीती में आने के बाद खुद को राहुल विरोधी के रूप में स्थापित करने वाली उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट से पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने दो दिन पहले एक टीवी चैनल के पॉडकास्ट में बहुत से विषयों पर काफी खुलकर बातचीत की. इस बातचीत के दौरान स्मृति ईरानी का लहजा काफी शांत और ठहराव वाला दिखा, आम तौर पर वो एक एंग्री वीमेन के रूप में नज़र आती रही हैं लेकिन इस पॉडकास्ट में एक नई स्मृति ईरानी नज़र आ रही थी जो एंकर के हर सवाल का बड़े विस्तार से और बड़े सुलझे तरीके से जवाब दे रही थीं, इसी पॉडकास्ट में उनसे राहुल गाँधी को लेकर भी सवाल हुआ जो स्वाभाविक था लेकिन हैरानी की बात ये रही कि उन्होंने राहुल गाँधी को लेकर जो बात कही उसने लोगों को हैरान कर दिया, एंकर भी कुछ पलों के लिए हतप्रभ सा दिखा। फिर क्या था, जैसे ही ये पॉडकास्ट सामने आया, जंगल में आग की तरह फैल गया. जिसने भी सुना उसे हैरानी हुई। एक राजनीतिक विश्लेषक ने तो एक प्रोग्राम में कार्यक्रम संचालक से ये भी पूछ लिया कि कहीं ये डीप फेक वीडियो तो नहीं। अब इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राहुल को लेकर स्मृति ईरानी द्वारा कही गयी बातों पर लोग कितना हैरान हुए हैं।
दरअसल उन्होंने पॉडकास्ट के एक हिस्से में जाने अनजाने में राहुल गाँधी की तारीफ कर दी, वैसे बहुत से लोगों ने कहा कि ये तारीफ नहीं बल्कि कटाक्ष है लेकिन जिसने भी पॉडकास्ट को देखा और स्मृति ईरानी जब राहुल गाँधी का ज़िक्र कर रही थीं तब उनके हावभाव को देखा है तब से कहीं भी नहीं लग रहा था कि वो कांग्रेस नेता पर कोई तंज़ कस रही हैं, अधिकांश लोगों का यही मानना है कि स्मृति ईरानी ने देश में बदलती हुई राजनीती को स्वीकारा है और सच्चाई को एक्सेप्ट किया है। बता दें कि स्मृति ईरानी ने कहा कि राहुल गाँधी की राजनीती में एक बदलाव आया है, वो सोचने लगे हैं कि उन्हें अब कामयाबी मिल रही है. जातिगत जनगणना का ज़िक्र करते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि राहुल गाँधी अब एक इंस्ट्रूमेंट के तौर पर बोल हैं, वो संसद में सफ़ेद टी शर्ट पहनकर बोलते है तो वो जानते हैं कि वो देश के युवा को क्या सन्देश देना चाह रहे हैं. स्मृति ने कहा आपको भले ही उनका कदम बचकाना लगे, अच्छा लगे या बुरा लगे लेकिन अब वो एक नई राजनीती कर रहे हैं, इसलिए राहुल को लेकर किसी को ग़लतफ़हमी में रहने की ज़रुरत नहीं है. शायद उनका इशारा अपनी ही पार्टी की तरफ था.
स्मृति ईरानी के राजनीतिक कैरियर में ऐसा पहली बार हुआ है कि उन्होंने जाने अनजाने में राहुल गाँधी के लिए कुछ अच्छा बोला है वरना उनका तो पूरा राजनीती कैरियर ही राहुल गाँधी के विरोध पर टिका रहा है. अमेठी में राहुल को 2019 में हराने के बाद तो प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें फूल टाइम राहुल गाँधी के विरोध के लिए ही रिज़र्व कर दिया था. कांग्रेस पार्टी के अन्य नेताओं और कांग्रेस पार्टी पर हमले के लिए भाजपा के पास पूरी फ़ौज थी और है लेकिन जब भी राहुल को घेरना होता था तब स्मृति ईरानी ही सामने आती थीं लेकिन 2024 में जब कांग्रेस पार्टी ने बड़ा दांव खेलते हुए अमेठी से राहुल गाँधी की जगह उनके प्यादे किशोरी लाल शर्मा को मैदान में उतार दिया तो ये स्मृति ईरानी के लिए बहुत बड़ा झटका साबित हुआ और इसके बाद उनका उस प्यादे से चुनाव हारना और भी बड़ा झटका साबित हुआ. इस हार के बाद स्मृति ईरानी जिस बुरी तरह से ट्रोल की जाने लगीं कि राहुल गाँधी को खुद सामने आकर कहना पड़ा कि किसी महिला के खिलाफ इस तरह की भाषा का इस्तेमाल शोभा नहीं देता और इसके बाद कांग्रेसियों द्वारा स्मृति ईरानी की ट्रोलिंग बंद हुई थी।
यही वजह है कि इस हार से उनकी राजनीतिक बुनियाद हिल गयी, इस पॉडकास्ट में उन्होंने हर सवाल का जवाब दिया लेकिन अमेठी में हार कैसे मिली इसपर वो खामोश रहीं और सिर्फ इतना ही कहा कि पार्टी के अंदर इस हार की समीक्षा की जा चुकी है इसलिए इसपर और बोलना ठीक नहीं है। ये दिखाता है कि इस हार से उन्हें बड़ी तकलीफ हुई है, उनके लगभग 25 साल के राजनीतिक कैरियर में इससे बुरा दिन कभी नहीं आया. चुनाव तो वो पहले भी हार चुकी थी लेकिन इस चुनाव में हार ने उनसे वो आधार ही छीन लिया जिसपर खड़ी होकर उन्होंने अपने राजनीतिक कद को बड़ा किया था. यही वजह रही कि चुनाव बाद वो एक तरह से राजनीतिक परिदृश्य से गायब सी हो गयी. इधर राहुल गाँधी लगातार स्कोर पर स्कोर कर रहे थे लेकिन उनपर हमला करने के लिए भाजपा के पास कोई नहीं था, कम से कोई असरदार नेता तो नहीं था. लोग लगातार सवाल पूछ रहे थे स्मृति ईरानी कहाँ हैं। अब जब स्मृति ईरानी इस पॉडकास्ट के बहाने सामने आयी हैं तो राहुल के लिए उनका ये नया रूप, नया भाव देखकर हर कोई हैरान है. उनका पॉडकास्ट लगभग दो घंटे का रहा और उसमें उन्होंने कई अच्छी बातें कीं, कई अच्छी यादें साझा कीं लेकिन ख़बरों में सुखियाँ बना पॉडकास्ट का वो दो मिनट का हिस्सा जिसमें उन्होंने राहुल गाँधी की राजनीती को एक्सेप्ट किया। स्मृति ईरानी के इस बयान का विश्लेषण अभी जारी है, राजनीति के विशेषज्ञ अपनी तरह से उनकी बातों का आंकलन कर रहे हैं लेकिन सच पूछिए तो स्मृति ईरानी ने सिर्फ सच्चाई को स्वीकारा है जो आज के राजनीतिक परिदृश्य में सभी को स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं.