Share scam: शेयर घोटाले का प्लेटफार्म सोशल मीडिया बन गया है। सेबी ने एक साल में 17 शहरों के छापे मारकर 47 ठिकानों पर खेल का भंडाफोड़ किया। इन ठिकानों पर वीडियो और फर्जी एक्सपर्ट से गुमनाम शेयरों की कीमत बढ़ाई जाती हैं। यूपी के लखनऊ, कानपुर, नोएडा और गाजियाबाद में ये रैकेट सक्रिय हैं।
90 के दशक में एक हर्षद मेहता ने शेयरों की कीमत फर्जी तरीके से बढ़ाकर हजारों करोड़ का घोटाला कर दिया था। आज जालसाजों ने सोशल मीडिया को ‘हर्षद मेहता’ बना दिया। इसके जरिए जालसाज हजारों कंपनियों की कीमत फर्जी टिप्स देकर बढ़ाते हैं। कीमत चढ़ते ही सिंडीकेट शेयर बेचकर बाहर निकल जातें हैं और निवेशक लुटते हैं। सोशल मीडिया के मोहपाश में बंधे शेयर बाजार के निवेशकों को फंसाकर लूटने वालों का सिंडीकेट दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र, गुजरात और पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ है।
17 शहरों के 47 ठिकानों पर चल रहे रैकेट को ध्वस्त किया
सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने घटिया और गुमनाम शेयरों की कीमतें फर्जी तरीके से बढ़ाने वालों के खिलाफ छापेमारी अभियान चलाया हुआ है। सेबी के अनुसार सालभर में 17 शहरों के 47 ठिकानों पर चल रहे रैकेट को ध्वस्त किया है। दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई, कोलकाता के अलावा कानपुर, नोएडा, लखनऊ और गाजियाबाद में रैकेट सक्रिय है।
जांच में पता चला कि इन शहरों में चल रहे संस्थान गलत तरीके से लाभ प्राप्त करने के लिए धोखाधड़ी की गतिविधियों में शामिल थे। सेबी के अनुसार सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म को शेयर घोटाले का सबसे अच्छा हथियार बनाया है। कंपनियों के बारे में झूठी और भ्रामक वीडियो अपलोड करके शेयर कीमतों और मात्रा में हेरफेर कर बताया गया कि इस कंपनी में पैसा लगाने पर करोड़पति बनेंगे। फर्जी बैलेंसशीट दिखाई जाती है। फिर पैसा देकर एक्सपर्ट कमेंट खरीदे जाते हैं।
रैकेट ने कुछ नामी चेहरों की आड़ ली। इसका असर ये हुआ कि एक-एक चैनल व वीडियो के एक लाख से दस लाख तक सब्सक्राइबर बने। इनके जाल में अधिकांश युवा और नए निवेशक फंसते गए।
इस तरह किया जाता है खेल
इन पैनी स्टाक्स यानी छोटे-छोटे शेयरों को खरीदकर मोटा मुनाफा कमाने के लिए अधिकांश युवा और नए निवेशकों को ये रैकेट झांसा देता है। झांसे में आए निवेशक गुमनाम कंपनियों के शेयर ताबड़तोड़ खरीदते हैं। इससे गुमनाम कंपनियों के शेयरों की कीमत 30 गुना से 50 गुना तक बढ़ती गई। नतीजा ये हुआ कि इस खेल के खिलाड़ियों ने तत्काल अपने शेयर बेचकर मोटा मुनाफा कमा लिया। चूंकि अधिकांश शेयर उन्हीं के पास थे।
ऐसे में बिकवाली होने पर शेयर औंधे मुंह गिर गए और निवेशकों की जेब साफ हो जाती है। सेबी के अनुसार पूरे खेल में डिजिटल और टीवी चैनलों पर शेयर एक्सपर्ट्स से सांठगांठ की जाती है। जिस कंपनी के शेयरों की कीमत उठानी थी, उसे पहले सस्ते में खरीद लिया जाता है।
इसके बाद टीवी शो में उस कंपनी के शेयरों की सुनहरी भविष्यवाणी की गई। वे कीमत चढ़ते ही उसके शेयर बेचकर बाहर निकल गए। इसका मुनाफा कारोबारियों, शेयर विशेषज्ञों और सोशल मीडिया चैनलों के बीच साझा किए लोगों को होता है।
फर्जीवाड़े में 1500 कंपनियां प्रतिबंधित
सेबी ने ऐसे फर्जीवाड़े में अब तक देश भर में करीब 1500 कंपनियों को प्रतिबंधित किया है। इनमें 338 मामलों में एफआईआर दर्ज कराई है। 24 मामलों में कोर्ट ने कंपनियों को दोषी ठहराया। 82 मामलों में कंपनियों के पंजीकरण निरस्त कर दिए गए। इसी के साथ 30 का निलंबन और 12 को चेतावनी दी गई है।