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शैलजा-हुड्डा एक मंच पर, देखती रह गयी भाजपा

आर्टिकल/इंटरव्यूशैलजा-हुड्डा एक मंच पर, देखती रह गयी भाजपा

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अमित बिश्नोई
हरियाणा विधानसभा चुनाव का एलान होने और चुनाव प्रचार शुरू होने के बाद राहुल गाँधी आज किसान बहुल राज्य में कांग्रेस पार्टी की संभावनाओं और मज़बूत करने पहुंचे। उनका आज का हरियाणा का चुनावी दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण था. हरियाणा में सक्रिय चुनावी सरगर्मियां शुरू हुए दो हफ्ते बीत चुके हैं. आज से पहले प्रधानमंत्री मोदी की दो चुनावी रैलियां हो चुकी हैं जिसमें से एक कल सोनीपत में ही हुई जिसके बारे तमाम तरह की बातें कही जा रही थीं जिसके बारे में आगे बात करेंगे। लेकिन कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं विशेषकर राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी अभी तक हरियाणा की चुनावी सरगर्मियों से दूर ही रहे जिसपर सवाल भी उठने लगे कि क्यों ये लोग हरियाणा से दूरी बनाये हुए हैं, खैर वो बात अब ख़त्म हो गयी क्योंकि आज हरियाणा में राहुल गाँधी की दो चुनावी रैलियां असंध और बरवाला में हुई और इन रैलियों में राहुल गाँधी के साथ मंच पर वो नेता भी एकसाथ दिखाई दिए जिनके बारे में पिछले एक हफ्ते से हरियाणा की राजनीती में क्या क्या नहीं चल रहा था. राहुल गाँधी की आज की चुनावी रैलियों ने पार्टी के लिए जो भी हवा बनाई हो वो एक अलग बात है लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा की हवा बिगाड़ी ज़रूर है या फिर ऐसा भी कह सकते हैं कांग्रेस पार्टी में तोड़फोड़ करने के भाजपा के सपने को राहुल गाँधी ने तोड़ा ज़रूर है.

दरअसल पिछले एक हफ्ते की बात करें तो हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की दलित समुदाय की बड़ी नेता और सांसद कुमारी शैलजा को लेकर भारतीय जनता पार्टी बहुत उत्साहित लग रही थी. कुमारी शैलजा टिकट बंटवारे में भूपिंदर हुड्डा की मनमानी को लेकर नाराज़ चल रही थी, जिसको उन्होंने सबके सामने रखा भी, यहाँ तक कि मुख्यमंत्री पद की दावेदारी भी पेश कर दी और कहा कि दलित समुदाय से कोई मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता। अपनी नाराज़गी जताते हुए वो चुनाव प्रचार से भी दूर हो गयी थीं. भाजपा जो इसबार हरियाणा विधानसभा चुनाव में आपदा का सामना कर रही है, शैलजा में अवसर तलाशने लगी. मनोहर लाल खट्टर हो या फिर अमित शाह कुमारी शैलजा के स्वागत की तैयारी करने लगे. कहा तो यहाँ तक जा रहा था कि कल यानि 26 सितम्बर को सोनीपत में प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच पर शैलजा को भी होना था मगर दो दिन पहले ही कांग्रेस नेत्री ने कांग्रेस के झंडे में लिपटकर ही दुनिया से जाने की बात कहकर भाजपा के सपनों को चकनाचूर कर दिया और जो थोड़ा बहुत शक शुबहा बाकी था वो आज राहुल गाँधी की असंध की चुनावी रैली में पूरा हो गया.

राहुल गाँधी की इस चुनावी रैली में मंच पर हुड्डा भी मौजूद थे और कुमारी शैलजा भी. हुड्डा राहुल के एक साइड में थे तो कुमारी शैलजा दूसरी साइड पर और राहुल गाँधी दोनों से आत्मीयता से मिलते और बातें करते हुए नज़र आये. चुनावी मंच से कुमारी शैलजा ने भूपिंद्र हुड्डा को जहाँ वरिष्ठ नेता के रूप में सम्बोधित किया तो हुड्डा ने शैलजा को बहन बताया। मतलब भाजपा जो चाह रही थी या फिर जिसकी उम्मीद किये हुए थी वो नहीं हुआ. कांग्रेस पार्टी के आलाकमान ने सबकुछ अच्छी तरह से मैनेज कर लिया, कम से कम देखने में तो यही लगता है और देखने में आज की रैली से हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के लिए एक अच्छा और सकारात्मक सन्देश ही गया है. शैलजा प्रकरण की जहाँ तक बात है तो इसे हल करने का सेहरा कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को जाना चाहिए। उन्हीं की कोशिश की वजह से कुमारी शैलजा चुनावी कैम्पेन में उतरने को तैयार हुई और ये सारी कवायद पूरी होने के बाद ही राहुल गाँधी हरियाणा पहुंचे, क्योंकि वो चाहते थे कि जब वो हरियाणा के लोगों को सम्बोधित करें तो पार्टी के अंदर खटपट की बातें दब हो चुकी हों.

राहुल गाँधी इस बीच जम्मू कश्मीर के दो तीन दौरे कर आये लेकिन हरियाणा जो कांग्रेस पार्टी के लिए ज़्यादा महत्वपूर्ण है नहीं गए. बताया जा रहा है कि राहुल गाँधी ने साफ़ कह दिया था कि पहले झगडे मिटाओ तभी मैं आऊंगा। राहुल के इस अल्टीमेटम के बाद खड़गे शैलजा को मनाने आगे आये. दोनों के बीच पहली मीटिंग 22 सितम्बर को हुई जिसमें कुमारी शैलजा ने अपनी नाराज़गी, अपनी चिंताओं से उन्हें अवगत कराया और 24 सितम्बर को हुई दूसरी मीटिंग में समस्या को सुलझाने में कामयाबी हासिल हो गयी. कहा जा रहा है कि टिकट बंटवारे पर जो हो गया उसे तो अब वापस नहीं लिया जा सकता लेकिन चुनाव बाद कुमारी शैलजा की कई चिंताओं को दूर करने की कोशिश होगी। शैलजा भी अच्छी तरह जानती थी कि भूपिंदर हुड्डा ने टिकट बंटवारे में जो मनमानी की है उसे बदला नहीं जा सकता लेकिन उन्हें अपनी अहमियत भी दिखानी ज़रूरी थी और अपनी नाराज़गी का इज़हार कर उन्हें अपनी अहमियत जताई भी और इसी नाराज़गी की वजह से उन्हें पार्टी आलाकमान की तरफ से कुछ आश्वासन भी मिले जिनका पता तो चुनाव नतीजों के बाद चलेगा। लेकिन कुमारी शैलजा को लेकर पिछले एक हफ्ते में भाजपा ने जो कवायद की उससे उसको हासिल क्या हुआ. न खुदा ही मिला न विसाले सनम, न इधर के रहे न उधर के रहे. भाजपा ने पानी में लाठी मारी, उसे ऐसा लगा कि पानी फट गया है, उसमें दरार आ गयी है लेकिन कुछ ही पलों में पानी फिर बराबर हो गया. बहरहाल आज की हकीकत ये है कि भूपिंदर हुड्डा की बहन कुमारी शैलजा और कुमारी शैलजा के वरिष्ठ नेता हुड्डा मिलकर कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार करेंगे। यही सच है जिसे भाजपा को स्वीकार कर लेना चाहिए और अपनी सत्ता बचाने के लिए अपने ही दम पर कोई उपाय करना चाहिए।

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