इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इसे रद्द कर दिया था और बांड जारी करने वाले बैंक SBI को निर्देश दिए थे कि 6 मार्च को वो चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बांड की सभी जानकारी चुनाव आयोग को दे और चुनाव आयोग उसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड करे ताकि देश की जनता को पता चले कि वो जिस पार्टी को वोट देती है, पार्टी चलाने के लिए उसे कौन लोग और कितना चंदा देते हैं. लेकिन एसबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड का विवरण देने के लिए 30 जून तक समय माँगा है, मतलब लोकसभा चुनाव हो जाने और केंद्र में सरकार बन जाने के बाद.
स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गयी डेडलाइन पर इलेक्टोरल बॉन्ड का विवरण देने से इंकार करने और ज़्यादा समय मांगने को लेकर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार पर हमला किया है. खरगे ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए संदिग्ध लेनदेन छिपाने के लिए SBI को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रही है। खरगे ने कहा कि बीजेपी चाहती है लोकसभा चुनाव से पहले ये जानकारी सामने न आने पाए.
खड़गे ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से कहती रही है इलेक्टोरल बॉन्ड अपारदर्शी अलोकतांत्रिक और समान अवसर नष्ट करने वाली योजना थी। लेकिन मोदी सरकार, प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय ने भाजपा का खजाना भरने के लिए RBI , इलेक्शन कमीशन, संसद और विपक्ष पर बुलडोजर चला दिया। अब मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नाकाम करने के लिए SBI का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है!
बता दें कि SBI ने शीर्ष अदालत को दी गई अपनी अर्जी में कहा कि 2019 से 2024 तक विभिन्न पार्टियों को चुनावी चंदे के लिए 22217 इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए गए हैं। कॅश कराये गए इलेक्टोरल बॉन्ड को हर फेज के आखिर में अधिकृत ब्रांच द्वारा सीलबंद लिफाफे में मुंबई स्थित मेन ब्रांच में जमा किए गए थे। SBI ने कहा कि दोनों सूचना फाइलों की जानकारी जमा करने के लिए 44,434 सेटों को डिकोड करना होगा। ऐसे में 6 मार्च तक का समय पूरी प्रक्रिया के लिए पर्याप्त नहीं है।