तौक़ीर सिद्दीक़ी
वक्त बड़ा बेरहम होता है, अभी कुछ महीने पहले की ही तो बात है जब रोहित शर्मा ICC टी20 चैंपियंस ट्रॉफी उठाये हुए एक हीरो के रूप में BCCI और पूरे देश को दिखाई दे रहे थे, ऑस्ट्रेलिया दौरे के आखरी टेस्ट तक पहुँचते पहुँचते जीरो नज़र आ रहे हैं या कह सकते हैं कि उन्हें जीरो बना दिया गया है. भारतीय टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी कप्तान ने टीम से खुद को बाहर करने का फैसला किया है, ऐसा भी कह सकते हैं बाहर बैठने के लिए मजबूर कर दिया गया. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या रोहित शर्मा के टेस्ट कैरियर का यहीं पर समापन हो चूका है, क्या बिना टेस्ट खेले रोहित शर्मा का टेस्ट क्रिकेट से रिटायरमेंट होगा, अगर ऐसा होता है जिसकी उम्मीद ज़्यादा है तो कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी। इससे पहले भी भारतीय क्रिकेट के कई बड़े सितारे मैदान के बाहर ही रिटायर हो गए, जिनमें से कुछ का नाम तो रोहित शर्मा ने कुछ ही दिन पहले अपनी उस प्रेस कांफ्रेंस में लिए थे जिसमें अश्विन ने बीच श्रंखला रिटायरमेंट का एलान कर दिया था, उन्होंने कई साथी खिलाडियों के साथ ही चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे का नाम भी लिया था हालाँकि इन दोनों भारतीय दिग्गजों ने अभी तक सन्यास का एलान नहीं किया है. अब इसे वक्त की बेरहमी ही तो कहेंगे कि टीम के कप्तान होते हुए भी रोहित शर्मा आज सिडनी टेस्ट से बाहर हैं, इसलिए नहीं कि उन्हें कोई शारीरिक समस्या है या कोई व्यक्तिगत कारण है, उन्हें सिर्फ इसलिए बाहर बैठना पड़ा क्योंकि ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उनसे रन नहीं बन रहे थे.
रन तो उनके बल्ले से काफी समय से नहीं बन रहे थे और इसलिए ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले ही इस बात को मान लिया गया था कि ये रोहित शर्मा की अंतिम टेस्ट श्रंखला होगी, क्योंकि उम्र अब उनका साथ नहीं दे रही थी क्योंकि भारत का अगला टेस्ट दौरा इंग्लैंड का है और उसमें अभी 6 महीने का समय है, तबतक उनकी उम्र 38 बरस की होने वाली होगी या हो चुकी होगी। इसीलिए उनके प्रदर्शन को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया दौरे को अंतिम दौरा माना गया था, हालाँकि किसी ने भी ऐसा नहीं सोचा होगा कि ऐसा भी हो सकता है कि रोहित शर्मा को अपनी आखरी माने जाने वाली टेस्ट श्रंखला के आखरी टेस्ट में मैदान के बाहर बैठकर मैच देखना होगा। निश्चित ही यह भारतीय क्रिकेट की एक बड़ी घटना कही जाएगी जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में दर्ज हो चुकी है और एक विवादित घटना के रूप में ही दर्ज हुई है क्योंकि सिडनी टेस्ट से एक दिन पहले भारतीय ड्रेसिंग रूम की हॉट टॉक जिस तरह बाहर आयी, गौतम गंभीर ने जिस तरह प्रेस कांफ्रेंस में अपने तेवर दिखाए, उससे पूरे दिन मीडिया और क्रिकेट की दुनिया में चर्चा रही.
दरअसल ये ऑस्ट्रेलिया दौरा ही भारतीय क्रिकेट के लिए एक विवादित दौरा कहा जायेगा क्योंकि जिस तरह रविचंद्रन अश्विन ने अचानक बीच श्रंखला अपने रिटायरमेंट का एलान किया वो भारतीय क्रिकेट में पहली घटना थी, इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि किसी भारतीय क्रिकेटर ने चलती श्रंखला में सन्यास की घोषणा की हो। आश्विन ने सन्यास क्यों लिया इसके बारे में अब सभी को पता चल चुका है कि उन्होंने टीम मैनेजमेंट की वादखिलाफ़ी से नाराज़ होकर ही अचानक यह फैसला लिया। अश्विन की भी ये अंतिम टेस्ट श्रंखला थी और उसकी जानकारी उन्होंने बोर्ड, सेलेक्टर्स और टीम मैनेजमेंट को दे दी थी और इस शर्त के साथ वो ऑस्ट्रेलिया जाने के लिए तैयार हुए थे कि श्रंखला में उन्हें पूरा मौका दिया जायेगा, क्योंकि वो एक सम्मानजनक विदाई चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं हो सकता। अब देखा जाय तो रोहित शर्मा के साथ भी कुछ उसी तरह हो रहा है. आज हालात ऐसे बन गए कि रोहित शर्मा को तथाकथित तौर पर टीम से खुद को टीम से अलग करना पड़ा, कहा जा रहा कि रोहित ने टीम के हित में ऐसा किया।
रोहित शर्मा का जिस तरह का स्वाभाव है वो अड़ियल नहीं है, टीम के अंदर जिस तरह का माहौल मेलबोर्न टेस्ट के बाद बना उस तरह का माहौल रोहित शर्मा के लिए एक नया अनुभव था. पिछले एक दहाई की भारतीय क्रिकेट को अगर देखें तो इस तरह का माहौल कभी नहीं रहा, ऐसा नहीं कि इससे पहले टीम इंडिया हारी नहीं लेकिन टीम हमेशा एकजुट रही और दिखी भी, विराट कोहली ने कप्तानी छोड़ी उस समय भी सबकुछ सामान्य रहा लेकिन आज टीम में वो माहौल नहीं रहा. टीम में एक बिखराव नज़र आ रहा है. ऑस्ट्रेलिया दौरे को अगर देखें तो टीम इंडिया का प्रदर्शन इतना बुरा नहीं है जितना बवाल मचा हुआ है, भारत के पास अभी भी श्रंखला बराबर करने का पूरा मौका है और ऐसी सूरत में बॉर्डर गावस्कर ट्राफी भारत के पास ही रहेगी, लेकिन ऐसा लग रहा है कि टीम इंडिया की पिछले दो टेस्ट मैचों में हार के लिए अकेले रोहित शर्मा ज़िम्मेदार हैं. मान लीजिये कि सिडनी टेस्ट में टीम इंडिया को निराशा मिले तो क्या कहियेगा, शुरुआत तो यहाँ भी अच्छी नहीं हुई है, पहली पारी में 56 रनों पर तीन विकेट गिर चुके हैं, एकबार फिर टॉप आर्डर बिखर चुका है, यह तो भाग्य ने साथ दिया जो विराट कोहली लंच तक क्रीज़ पर मौजूद थे वरना वो खाता भी नहीं खेल सके थे, यह तो अम्पायर जोए विलसन की तेज़ नज़र ने एक फ्रेम में देख लिया कि स्लिप में गेंद ने घास को छुआ था, बांग्लादेश के शरफ़ुद्दौला होते तो शायद एक और शून्य उनके नाम दर्ज हो गया होता।
दरअसल इस स्थिति के लिए रोहित शर्मा खुद ही ज़िम्मेदार कहे जायेंगे। उनके लिए क्रिकेट छोड़ने का सबसे सही समय वो था जब उन्होंने कुछ महीने पहले ICC टी20 ट्रॉफी उठाई थी और खुद को महान कपिल देव और महेंद्र सिंह धोनी की श्रेणी में खड़ा कर दिया था लेकिन यह दिल मांगे मोर वाली बात, और पाने की चाहत कभी कभी इंसान से वो इज़्ज़त और सम्मान छीन लेती है जो उसने बड़ी मेहनत से कमाई होती है. अब रोहित शर्मा के भविष्य का पता नहीं, वो आगे क्या करेंगे, क्या वो सिडनी टेस्ट की समाप्ति पर अपने टेस्ट कैरियर के समापन का एलान कर देंगे या फिर अभी वह यह सोच रहे होंगे कि BCCI उन्हें जून में इंग्लैंड के खिलाफ होने वाली टेस्ट श्रंखला में विदाई का मौका देगी। या वो भी ये सोच रहे होंगे कि ICC चैंपियंस ट्रॉफी उठाकर वह पूरी तरह से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास का एलान करेंगे। यह सारे सवाल भविष्य के गर्त में छिपे हैं. मेरा तो मानना यह है कि रोहित शर्मा को सिडनी टेस्ट की समाप्ति पर टेस्ट क्रिकेट से रिटायरमेंट का एलान कर देना चाहिए और दुनिया को बता देना चाहिए कि कप्तान होते हुए भी वो टीम की भलाई के लिए टीम से बाहर भी बैठ सकते हैं, जैसा कि आज उनके बारे में पूर्व क्रिकटरों द्वारा ऐसा कहा जा रहा है लेकिन सच्चाई तो यही है आज के प्रोफेशनल और पेशेवर दौर में इस तरह के फैसले कोई भी खिलाड़ी ख़ुशी से लेता नहीं है, मजबूरी ही उसे ऐसा कहने पर मजबूर करती है. बहरहाल सिडनी टेस्ट में रोहित के न खेलने को एक अच्छी घटना तो हरगिज़ नहीं कहा जा सकता। रोहित शर्मा ने भारतीय क्रिकेट की जितनी सेवा की है उसके हिसाब से तो उनकी एक नाकामी को और बर्दाश्त किया जा सकता था, टीम में 11 खिलाडी होते हैं , तो रोहित जैसे खिलाड़ी की एक और नाकामी की भरपाई बाकी 10 खिलाड़ी नहीं कर सकते, अगर नहीं तो फिर टीम से और भी कई खिलाडियों को बाहर होना चाहिए। रोहित शर्मा ऑस्ट्रेलिया दौरे का सा,समापन किस तरह करेंगे इस बारे में तो वही बता सकते हैं लेकिन मेरे हिसाब से उन्हें ऑस्ट्रेलिया में ही टेस्ट क्रिकेट को गुड बाई कह देना चाहिए। रोहित के साथ ऑस्ट्रेलिया में चाहे जो कुछ भी हुआ लेकिन भारतीय क्रिकेट के वो हीरो रहें हैं और रहेंगे। रोहित तुम महान हो.