राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मदरसों को मिलने वाले अनुदान को रोकने की सिफारिश की है। आयोग ने कहा है कि करीब 1.25 करोड़ बच्चों को शिक्षा से वंचित रखा जा रहा है और उन्हें इस तरह पढ़ाया जा रहा है कि वे खास समूहों के उद्देश्यों से जुड़ रहे हैं।
इस संबंध में सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों/प्रशासकों को लिखे पत्र में एनसीपीसीआर के प्रमुख प्रियंक कानूनगो ने कहा, “यह सिफारिश की गई है कि सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मदरसों और मदरसा बोर्डों को राज्य द्वारा दिया जाने वाला अनुदान बंद कर दिया जाए और मदरसा बोर्डों को बंद कर दिया जाए.”
NCPCR ने सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकालकर RTE act, 2009 के अनुसार बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूलों में भर्ती कराने की सिफारिश की है. इसके अलावा देश के सभी मदरसा बोर्ड को भंग किये जाने की बात कही है। बता दें कि देश के 7-8 राज्यों में मदरसा बोर्ड हैं.
आयोग ने मुस्लिम समुदाय के उन बच्चों के लिए नियमित स्कूल प्रवेश का भी सुझाव दिया जो मदरसा में पढ़ रहे हैं, चाहे मान्यता प्राप्त हो या गैर मान्यता प्राप्त, औपचारिक स्कूलों में नामांकित हैं और आरटीई अधिनियम, 2009 के अनुसार निर्धारित समय और पाठ्यक्रम की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। एनसीपीसीआर के प्रमुख ने कहा कि ये सिफारिशें नौ वर्षों की अवधि में किए गए एक व्यापक अध्ययन के बाद तैयार की गई रिपोर्ट पर आधारित हैं।
उन्होंने कहा, हमने पाया है कि लगभग 1.25 करोड़ बच्चे अपने बुनियादी शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं। उन्हें इस तरह से पढ़ाया जा रहा है कि वे कुछ खास लोगों के इरादों के अनुसार काम करें, यह गलत है।