कहते हैं कि कभी पूरी पाने के चक्कर में आपके हाथ से आधी रोटी भी निकल जाती है. राजस्थान की राजनीती में आजकल कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिल रहा है. पिछले रविवार और सोमवार को कांग्रेस खेमे से आला कमान के खिलाफ जो बगावती सुर आग उगल रहे थे आज उनकी तपिश में काफी कमी आ गयी है बल्कि बगावती 82 विधायकों में तो कई खुलकर सचिन पायलट की तरफ आ गए हैं, इनका कहना है कि इन्हें सचिन पायलट से कोई ऐतराज़ नहीं, वो बन जांय तो और भी अच्छी बात है, आला कमान की बात मानना हमारा फ़र्ज़ है, वो जिसे सीएम बनाना चाहे हमारा समर्थन साथ है. उधर पता चला है कि सचिन पायलट ने सोनिया गाँधी से कहा है कि आप सीएम बनाइये, विधायकों का इंतज़ाम करना हमारा काम है, गेहलोत खेमे के इन विधायकों के बदले सुर पायलट के दावे का समर्थन कर रहे हैं।
दरअसल पिछले दो दिनों में गेहलोत खेमे की तरफ जो कुछ हुआ वो कांग्रेस हाई कमान के लिए एक झटके से कम नहीं था लेकिन बाद दिल्ली से जो सन्देश मिलने लगे वो गेहलोत के लिए भी एक झटका ही थे, गेहलोत को भी एहसास हो गया कि जल्दबाज़ी हो गयी, परदे के पीछे से उन्होंने जो खेल खेलना चाहा वो एक्सपोज़ हो चूका है, कहाँ तो वो ब्लैक मेलिंग की पोजीशन में थे और कहाँ उनके हाथ से कांग्रेस अध्यक्षी भी जाने के हालात बनने लगे हैं, विधायकों के सुर बदलने से सीएम की कुर्सी भी खिसकने का डर भी पैदा हो गया है, मतलब न खुदा ही मिला न विसाले सनम, न इधर के रहे न उधर के रहने वाली बात. गेंद जितनी तेज़ी से फेंकी गयी उससे ज़्यादा तेज़ी से वो वापस आती दिख रही है.
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गेहलोत का खड़गे से माफ़ी माँगना भी शायद इसी का हिस्सा है कि बात बन जाए, कांग्रेस के महासचिव और राजस्थान के इंचार्ज अजय माकन जो गेहलोत ग्रुप का निशाना बने हुए हैं वो आज लिखित में राजस्थान में हुए गेहलोत गुट के विधायकों के कारनामों की रिपोर्ट आज सौंपेंगे। सोनिया को सारी दास्तान वो ज़बानी तौर पर पहले ही बता चुके हैं, क्या रिपोर्ट देंगे इसका भी लोगों को अंदाज़ा है क्योंकि मीडिया में वो पहले ही अनुशासनहीनता की बात कह चुके हैं. गेहलोत के सिपहसालारों धारीवाल और महेश जोशी को नोटिस भेजने की बात सामने आ रही है. कांग्रेस आला कमान अगर इन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करता है तो यह सीधा सन्देश गेहलोत को होगा। कांग्रेस पार्टी अभी अपने सबसे सीनियर नेताओं में से एक गेहलोत को सीधे तौर पर इस सारे बखेड़े के लिए आरोपित नहीं कर सकती लेकिन गेहलोत के लिए मुश्किल हालात तो ज़रूर पैदा कर सकती है.
कांग्रेस अध्यक्ष पद के होने वाले चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तारिख 30 सितम्बर है मतलब अभी तीन दिनऔर बाकी हैं, इसलिए अभी तीन दिनों कांग्रेस तक पार्टी में घमासान रहने वाला है, आला कमान के लिए भी परीक्षा की एक घड़ी है, देखना है इस मामले को वो कैसे हैंडल करता है, क्या कार्रवाई होती है, किस पर गाज गिरती है और कौन बलि का बकरा बनता है और सबसे बढ़कर राजस्थान की सीएम की कुर्सी पर कौन बैठता है, गेहलोत या उनके खेमे का कोई या फिर पायलट?